Ancient History Quiz Part-14 Mcq-2 : गुप्तकाल प्रश्नोत्तरी | UPSCSITE

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नमस्कार दोस्तों, UPSC SITE आपके लिए लेकर आया है प्राचीन भारत का इतिहास के Ancient History Quiz Part-14 Mcq-2 : गुप्तकाल प्रश्नोत्तरी – Objective Question Answer, जिनकी प्रैक्टिस आप ऑनलाइन कर सकते है। हमारे संग्रह टेस्ट्स को प्रैक्टिस करने के बाद आपको अपनी तैयारी में अंतर समझ आने लग जायेगा। क्यूंकि हमने यहां पर केवल उन्ही प्रश्नो को सम्मिलित किया है जो किसी न किसी परीक्षा में पहले पूछे जा चुके है। लगभग भारत की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न बार – बार दोहराये जाते रहें है।

Ancient History Quiz Part-14 Mcq-2 : गुप्तकाल प्रश्नोत्तरी

यहां टॉपिक वाइज प्रश्नोत्तरी दिए गए हैं जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले सभी एस्पिरेंट्स के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण एवं लाभदायक साबित होने वाली है। यह ‘प्राचीन भारत का इतिहास’ Ancient History Quiz Part-14 Mcq-2 : गुप्तकाल प्रश्नोत्तरी की टेस्ट सीरीज सभी एस्पिरेंट्स के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के पैटर्न के अनुसार स्मार्ट स्टडी करने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होने वाली है।

281. वर्तमान नगरपालिका प्रशासन का कौन- सा कार्य मौर्य काल से जारी है ?

  1. नाप-तौल के बांटो का निरीक्षण 
  2. वस्तुओं की कीमतें निर्धारित करना 
  3. जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण 
  4. शिल्पकारों का संरक्षण 

उत्तर – C 

मौर्य युग में नगरों का प्रशासन नगरपालिकाओ द्वारा चलाया जाता था, जिसका प्रमुख ‘नागरक’ या ‘पुरमुख्य’ था। मेगस्थनीज ने पाटलिपुत्र के नगर परिषद की पांच-पांच सदस्यों वाली 6 समितियों का उल्लेख किया है। इनमें से तीसरी समिति जन्म-मृत्यु पंजीकरण का हिसाब रखती थी। वर्तमान में भी यह कार्य नगरपालिका प्रशासन द्वारा किया जाता है। 

282. ‘भाग’ एवं ‘बली’ थे?

  1. सैनिक विभाग 
  2. राजस्व के स्रोत 
  3. धार्मिक अनुष्ठान 
  4. प्रशासकिय 

 उत्तर – B 

‘भाग’ एंव ‘बलि’  प्राचीन भारत में राजस्व के स्त्रोत थे। अर्थशास्त्र से ज्ञात होता है कि राजा भूमि का मालिक होता था, वह भूमि से उतपनन उत्पादन के एक भाग का अधिकारी था। इस कर को ‘भाग’ कहते थे। इसी प्रकार ‘बलि’ भी राजस्व का स्त्रोत था। 

283. मौर्य काल में भूमि कर, जो कि राज्य की आय का मुख्य स्रोत किस अधिकारी द्वारा एकत्रित किया जाता था?

  1.  अग्रोनोमाई
  2.  शुल्कध्यक्ष
  3.  सीताध्यक्ष
  4. आक्रध्यक्ष

उत्तर – C 

मौर्य काल में ‘सीताध्यक्ष’ कृषि भूमि का अध्यक्ष था, वही भूमि कर वसूलने का कार्य करता था, जबकि  ‘अग्रोनोमोई’ जिले के अधिकारियों को कहा जाता था, ‘शूलकाध्यक्ष’ विभिन्न प्रकार के व्यासाय एवं व्यापार कर वसूलता था तथा ‘आक्रध्यक्ष” (आकाराध्यक्ष) खानों का नियंत्रण करता था। अतः विकल्प (c)सही उत्तर है।

284. मौर्यकाल में ‘सीता’ से तात्पर्य है?

  1. एक देवी 
  2. एक धार्मिक संप्रदाय 
  3. राजकीय भूमि से प्राप्त आय 
  4. ऊसर भूमि 

उत्तर – C 

मौर्यकाल में राजकीय भूमि की व्यवस्था ‘सीताध्यक्ष’ द्वारा होती थी। इससे प्राप्त होने वाली आय को ‘सीता’ कहा जाता था।

285. मौर्य मंत्रिपरिषद में निम्न में से कौन राजस्व इकट्ठा करने में करने से संबंधित था?

  1. समाहर्ता 
  2. व्यभारिका 
  3. अंतपाल 
  4. प्रदेष्टा

उत्तर – A

मौर्य मंत्रिपरिषद में राजस्व एकत्र करने का कार्य समाहर्ता के द्वारा किया जाता था। अंतपाल सीमा रक्षक या सीमावर्ती दुगौ की देखभाल करता था, जबकि प्रदेष्टा विषयों या कमिशनरियो का प्रशासन था।

Ancient History Quiz Part-14 Mcq-2

286. निम्नलिखित में से कौन मौर्ययुगीन अधिकारी तौल-माल का प्रभारी था?

  1. पौतवाध्यक्ष 
  2. पणयाध्यक्ष
  3. सीताध्यक्ष 
  4. सुनाध्यक्ष  

उत्तर – A 

मौर्ययुगीन अधिकारी ‘पौतवाध्यक्ष’ तौल- मान का प्रभरी था। पणयाध्यक्ष वाणिज्य विभाग तथा सुनाध्यक्ष बूचड़खाने के प्रभारी थे।

287. ‘पंकोदकसनीरोधे’ मौर्य प्रशासन द्वारा लिया जाने वाला जुर्माना था?

  1. पीने के पानी को गंदा करने पर 
  2. सड़क पर कीचड़ फैलाने पर 
  3. कूड़ा फेंकने पर 
  4. मंदिर को गंदा करने पर 

उत्तर – B 

‘पंकोदकसन्नरोधे’ मौर्य प्रशासन में सड़क पर जल और कीचड़ इकट्ठा करने या कीचड़ फेंकने के कारण लिए जाने वाला जुर्माना था। 

288. भारत के सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में इतिवृत्तों, राजवंशीय इतिहासों तथा वीरगाथाओ को कंठस्थ करना निम्नलिखित में से किसका व्यवस्था था?

  1. श्रमण 
  2. परिव्राजक 
  3. अग्रहारिक  
  4. मागध 

उत्तर – D 

भारत के संस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में इतिवृतो राजवंशीय इतिहासों तथा वीरगाथाओ को कंठस्य करने का व्यवसाय मागध एवं सूत वर्गों का था।

289. अंतिम मौर्य सम्राट था?

  1. जालौक 
  2. अंवति वर्मा 
  3. नंदी वध्रन 
  4. ब्रूहद्र्य 

उत्तर- D 

अंतिम मौर्य शासक ब्रूहद्र्य था। बृहद्रथ की हत्या इसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग के द्वारा 184 ई. पू. में की गई। 

290. निम्नलिखित अभिलेखों में से किसमें अशोक भी पाया गया है?

  1. महाक्षत्रप रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख
  2. गौतमीपुत्र सातकणी से संबंधित नासिक प्रशस्ति
  3. खारवेल का हाथीगुंफा अभिलेख
  4. उपरोक्त में से किसी में नहीं

उत्तर – A

अशोक का अभिलेख महाक्षत्रप रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख पर भी पाया गया हैं। रुद्रदामन पश्चिमी भारत के शकों का एक महान राजा था। गुजरात के जूनागढ़ (गिरनार) से शक संवत 72 (150ई.) का उसका एक अभिलेख प्राप्त हुआ हैं।। इससे उसकी विजयों, व्यक्तिगत एवं कृतित्व का विवरण प्राप्त होता हैं।

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291. बराबर पहाड़ी की गुफाओं के विषय में निम्न में से कौन सा सही नहीं है?

  1. बराबर पहाड़ी पर कुल 4 गुफाएं हैं।
  2. तीन गुफाओं की दीवारें पर अशोक के अभिलेख उत्कीर्ण है।
  3. ये अभिलेख इन गुफाओं को आजीविकाओं को समर्पित होने का उल्लेख करते हैं।
  4. यह अभिलेख ईसा पूर्व छठी शताब्दी के है।

उत्तर – D

दक्षिण बिहार के गया जिले में स्थित बराबर और नागार्जुनी पहाड़िया हैं। नागार्जुनी में तीन गुफाएं हैं तथा ‘बराबर’ नामक पहाड़ी पर कुल 4 गुफाएं स्थित हैं, जिनमें से तीन गुफाओं की दीवारों पर अशोक के लेख उत्कीर्ण मिले हैं। चौथी गुफा (लोमस ऋषि गुफा) में मौखरि शासक अनन्तवर्मन का लेख है।

इसे वैष्णव गुफा भी कहते हैं। प्रथम 3 गुफा अशोक द्वारा आजीवक संप्रदाय के साधनों के निवास के लिए गुफा दान में दिए जाने का विवरण सुरक्षित है। चट्टानों को काटकर बनाए गए इन गुफाओं का संबंध मौर्य काल (322-185 ई.पू) से है। इन गुफाओं में उत्कीर्ण अभिलेख तीसरी सदी ई.पू. से संबंधित है।

292. निम्नलिखित में से किस हिंद-यवन शासक ने सीसे के सिक्के जारी किए थे?

  1. स्ट्रैटो II
  2. स्ट्रैटो I
  3. डेमेट्रियस
  4. मेनांडर

उत्तर – A

स्ट्रैटो II ने सीसे के सिक्के जारी किए थे। इस हिंद-यवन शासक का शासन 25 ईसा पूर्व से 10 ईस्वी तक माना जाता है।

293. निम्नलिखित शासकों में से किसके सिक्कों पर संकर्षन एवं वासुदेव दोनों अंकित हैं?

  1. हुविष्क
  2. कनिष्क
  3. समुद्रगुप्त
  4. अगाथोक्लीज

उत्तर – D

हिंद-यवन शासक मिनांडर की मृत्यु के उपरांत उसका पुत्र स्ट्रेरा प्रथम अवयस्क था। अतः उसकी पत्नी अगाथोक्लीज ने शासन संभाला। अगाथोक्लीज द्वारा चलवाए गए चांदी के सिक्के पर संकर्षण (बलराम) एवं वासुदेव के चित्र अंकित हैं।

294. निम्नलिखित में से कौन-सा एक अन्य तीनों के समसामयिक नहीं था?

  1. बिंबिसार
  2. गौतम बुद्ध
  3. मिलिंद
  4. प्रसेनजीत

उत्तर- C

बिम्बिसार (544-492 ईसा पूर्व) मगध साम्राज्य की महत्ता का वास्तविक संस्थापक था। वह हर्यक कुल से संबंधित था। प्रसेनजीत कौशल महाजनपद का राजा था। वह महात्मा बुध का समकालीन था। गौतम बुध (563-483 ईसा पूर्व) ने बौद्ध धर्म का प्रवर्तन किया। मिनांडर, जिसे मिलिंद के नाम से भी जाना जाता है, उत्तर भारत में indo-greek राजा था।

इसका समय 155 अथवा 165 से 130 ईसा पूर्व था।

इस प्रकार बिंबिसार गौतम बुध एवं प्रसनजीत तीनों समकालीन थे जबकि मिलिंद इनका समसामयिक नहीं था।

295. ‘काव्य’ शैली का प्राचीनतम नमूना किसके अभिलेख में मिलता है?

  1. काठियावाड़ के रुद्रदामन के
  2. अशोक के
  3. राजेंद्र प्रथम के
  4. उपरोक्त में कोई नहीं

उत्तर- A

रुद्रदामन (130-150 ई.) का जूनागढ़ अभिलेख गुजरात में गिरनार पर्वत पर प्राप्त हुआ है। ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण संस्कृत भाषा का यह अभिलेख अब तक प्राप्त संस्कृति अभिलेखों में सर्वाधिक प्राचीन है। इस अभिलेख में संस्कृत ‘काव्य’ शैली का प्राचीनतम नमूना प्राप्त होता है।

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296. किस अभिलेख में रुद्रदामन प्रथम की विभिन्न उपलब्धियां वर्णित हैं?

  1. जूनागढ़
  2. भितरी
  3. नासिक
  4. सांची

उत्तर- A

गुजरात के जूनागढ़ से रुद्रदामन का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह जिस शिला पर उत्कीर्ण हैं उसी पर अशोक के 14 पज्ञापनों की एक प्रति तथा स्कंदगुप्त के दो लेख भी खुदे हुए। यह विशुद्ध संस्कृत भाषा तथा ब्राही लिपि में लिखा गया है। इसमें रुद्रदामन की वंशावली, विजयो, शासन व्यक्तित्व आदि पर प्रकाश डाला गया है।

297. बिना बेगार के किसने सुदर्शन झील पर जीणोद्धार कराया?

  1. चंद्रगुप्त मौर्य
  2. बिंदुसार
  3. अशोक
  4. रुद्रदामन प्रथम

उत्तर – D

जूनागढ़ अभिलेख से पता चलता है कि रुद्रदामन गिरनार के निकट सुदर्शन झील की मरम्मत बिना बेगार लिए ही करवाई थी, जो कि मौर्य वंश के शासक चंद्रगुप्त मौर्य के आदेश पर बनवाई गई थी।

298. उत्तरी तथा उत्तरी-पश्चिम भारत में सर्वाधिक संख्या में तांबे के सिक्कों को जारी किया था-

  1. इंडो-ग्रीक ने
  2. कुषाणों ने
  3. शकों ने
  4. प्रतिहारों ने

उत्तर – B

उत्तर-पश्चिम भारत में स्वर्ण सिक्कों का प्रचलन इंडो-ग्रीक (हिंद यवन) राजाओं ने करवाया था जबकि उन्हें नियमित एवं पूर्ण रूप से प्रचलित करवाने का श्रेय कुषाण शासकों को जाता है। कुषाण शासकों ने स्वर्ण एवं ताम्र दोनों ही प्रकार के सिक्कों को व्यापक पैमाने पर प्रचलित किया था।

299. निम्नलिखित में से किसने भारत में स्वर्ण सिक्कों का प्रचलन नियमित उपयोग के लिए किया था?

  1. विम कैडफिसेज ने
  2. कुजुल कैडफिसेज ने
  3. कनिष्क ने
  4. हर्मविज ने

उत्तर- A

कुषाण वंशीय विम कैडफिसेज जो कि कनिष्क प्रथम का पिता भी था, ने भारत में स्वर्ण सिक्कों का प्रचलन नियमित उपयोग के लिए किया था। जबकि कुजुल कैडफिसेज ने तांबे के सिक्के प्रचलित कराए थे 

300. इनमें से किसने सर्वप्रथम व्यापक पैमाने पर स्वर्ण मुद्रा का प्रचलन किया?

  1. पुष्यमित्र शुंग
  2. मिनांडर
  3. विम कडफिसेज
  4. गौतमीपुत्र सातकर्णी
  5. उपयुक्त में से कोई नहीं/उपयुक्त में से एक से अधिक

उत्तर – C

कुषाण शासकों द्वारा व्यापक पैमाने पर स्वर्ण मुद्रा का प्रचलन प्रारंभ करना भारतीय उपमहाद्वीप में उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान था। कुषाण शासक विम कडफिसेज को स्वर्ण मुद्राओं के प्रचलन का श्रेय प्राप्त है।

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