President : राष्ट्रपति (Make Complete Notes Class 15) | UPSCSITE

President Complete Notes For UPSC & PCS : राष्ट्रपति (Make Complete Notes Class 15)

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President : राष्ट्रपति

15. राष्ट्रपति

~भारतीय संघ की कार्यपालिका की शक्ति राष्ट्रपति में निहित होती है।

~भारत में ब्रिटेन के समान संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है। अतः राष्ट्रपति नाममात्र का कार्यपालिका प्रमुख है तथा वास्तविक शक्ति मंत्रिमंडल ( प्रधानमंत्री ) में निहित होती है। 

~राष्ट्रपति को संवैधानिक प्रमुख होने के कारण प्रथम नागरिक कहा जाता है। 

~अनुच्छेद 58 राष्ट्रपति पद के लिए निम्न योग्यता निर्धारित करता है- 

1. वह भारत का नागरिक हो तथा 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।

2. वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो।

3. वह चुनाव के समय लाभ का पद धारण नहीं करता हो । किन्तु यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद पर या संघ अथवा किसी राज्य के मंत्रिपरिषद का सदस्य हो तो वह लाभ का पद नहीं माना जाएगा।

President : राष्ट्रपति Class Notes

~राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचन मण्डल – अनुच्छेद 54 के अनुसार राष्ट्रपति का निर्वाचन लोकसभा, राज्यसभा एवं सभी विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा होता है। 70वें संशोधन के बाद संघ राज्य पाण्डिचेरी तथा दिल्ली विधान सभा के निर्वाचित सदस्य को भी इस निर्वाचन मंडल में शामिल कर लिया गया। 

~एक संसद के मतों का मूल्य

सभी राज्यों के विधायकों के मतों का कुल मूल्य/संसद का निर्वाचित सदस्य ।

~राष्ट्रपति पद के उम्मीद्वार के लिए निर्वाचक मंडल के 50 सदस्य प्रस्तावक तथा 50 सदस्य अनुमोदनकर्ता होता है। राष्ट्रपति के उम्मीद्वार की जमानत राशि 15,000 रुपये है।

~राष्ट्रपति का निर्वाचन अनुच्छेद 55 के तहत अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा समानुपातिक प्रतिनित्वि प्रणाली और एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है।

~राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवाद का समाधान उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाता है। निर्वाचन में गड़बड़ी पाये जाने पर चुनाव को अवैध घोषित कर दिया जाता है, किन्तु उस कार्यकाल में राष्ट्रपति द्वारा किये गये कार्य को वैध माना जाता है।

~11वें संविधान संशोधन अधिनियम 1961 के अनुसार किसी राज्य की विधानसभा भंग होने की स्थिति में राष्ट्रपति चुनाव कराया जा सकता है।

~अनुच्छेद 57 के अनुसार व्यक्ति जितनी बार चाहे राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हो सकता हैं

~अनुच्छेद 60 के तहत राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुआ व्यक्ति, उच्चतम न्यायालय (भारत) के मुख्य न्यायाधीश या उसकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय के बरिष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष अपने पद के कार्यपालन की शपथ लेता है कि-

1. वह अपने पद के प्रति वफादार रहेगा,

2. संविधान एवं कानून का पालन एवं रक्षा करेगा, 

3. स्वयं को भारत के लोगों की सेवा व कल्याण करने में समर्पित रहेगा।

~अनुच्छेद 56 के अनुसार राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष होता है, किन्तु व्यवहार में कार्यकाल की समाप्ति के बाद भी अपने उत्तराधिकारी चुनें जाने तक पद पर बने रहते हैं। 

~अपने कार्यकाल के मध्य में भी राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को सौंप सकता है। जिसकी सूचना उपराष्ट्रपति लोकसभा अध्यक्ष को अविलम्ब देता है।

~महाभियोग- अनुच्छेद 61 के तहत राष्ट्रपति द्वारा संविधान का अतिक्रमण करने पर किसी भी सदन द्वारा राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाया जा सकता हैं परंतु इसके लिए आवश्यक है कि राष्ट्रपति को 14 दिन पहले इस बात की लिखित सूचना दी जाए, जिस पर उस सदन के एक चौथाई (25%) सदस्यों का हस्ताक्षर हो। इसके बाद बारी-बारी से दोनों सदनों द्वारा दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर दिया जाए तो महाभियोग की प्रक्रिया पूरी समझी जाएगी और उस तिथि से राष्ट्रपति को पदत्याग करना होगा।

~राष्ट्रपति का पद यदि किसी कारण वश रिक्त हो जाता है तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा और यदि उपराष्ट्रपति भी किसी कारणवश हट जाता है तो भारत का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा। न्यायमूर्ति मु. हिदायतुल्लाह ऐसी ही स्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किये।

~राष्ट्रपति का पद छः महीने से अधिक रिक्त नहीं रह सकता हैं।

~वेतन एवं भत्ता राष्ट्रपति का मासिक वेतन डेढ़ लाख रुपया हैं उनका वेतन आयकर से मुक्त होता है। 

~राष्ट्रपति के कार्यकाल में उनके वेतन तथा भत्ते में कोई भी कमी नहीं की जा सकती है। 

~राष्ट्रपति को वेतन के अतिरिक्त निःशुल्क निवास स्थान व संसद द्वारा स्वीकृत अन्य भत्ते प्राप्त होते हैं।

~राष्ट्रपति के लिए 6 लाख रुपये वार्षिक पेंशन निर्धारित की गई है। 

~डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। वे एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें दो बार भारत का राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ है।

~वी. वी. गिरि एक मात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं, जिनके निर्वाचन में द्वितीय चक्र की मतगणना करनी पड़ी।

~नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध निर्वाचित होने वाले भारत के एक मात्र राष्ट्रपति है।

~भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल हैं। 

~मुहम्मद हिदायतुल्लाह भारत के मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल में कार्यवाहक राष्ट्रपति बने थे।

~भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति वी. वी. गिरि, न्यायमूर्ति मु. हिदायतुल्लाह एवं बी. डी. जत्ती । 

President : राष्ट्रपति Class Notes

राष्ट्रपति के अधिकार एवं कर्तव्य-

~कार्यपालिका शक्तियाँ- अनुच्छेद 73 के अनुसार संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है और वह अपनी इस शक्ति का प्रयोग केन्द्रीय मंत्रिमण्डल की सहायता से करता है। राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्ति को निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।

1. मंत्रिपरिषद का गठन- अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति संघ की कार्यपालिका शक्ति के संचालन के लिए मंत्रपरिषद का गठन करता है, जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है।

2. नियुक्ति संबंधी शक्तियाँ- राष्ट्रपति निम्न को नियुक्ति करता है – 

(1) भारत का प्रधानमंत्री 

(2) प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों, 

(3) सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों, (4) भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, 

(5) राज्यों के राज्यपाल, 

(6) मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त, 

(7) भारत के महान्यायवादी, 

(8) राज्यों के मध्य समन्वय के लिए अन्तर्राज्यीय । परिषद् के सदस्य, 

(9) संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों,  

(10) वित्त आयोग के सदस्यों, 

(11) भाषा आयोग के सदस्यों, 

(12) पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों, 

(13) अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों, 

(14) भारत के राजदूतों तथा अन्य राजनयिकों आदि । राष्ट्रपति ये सभी नियुक्तियां मंत्रिपरिषद्  की सलाह से करता है। वह अपने द्वारा नियुक्त प्राधिकारियों तथा अधिकारियों को पदमुक्त भी कर सकता है। 

3. आयोगों का गठन- राष्ट्रपति के राज्यक्षेत्र में सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग की दशाओं का अन्वेषण करने के लिए आयोग, राज्यभाषा पर प्रतिवेदन देने के लिए आयोग, अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन पर रिपोर्ट देने के लिए तथा राज्यों में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबंधी क्रियाकलापों पर रिपोर्ट देने के लिए आयोग का गठन करना शामिल है। 

4. सैन्य शक्ति- राष्ट्रपति तीनों सेना का सर्वोच्च होते हैं।

5. राजनयिक शक्ति- अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में राष्ट्रपति भारत का प्रतिनिधित्व करता है। अन्य देशों में भेजे जाने तथा उच्चायुक्त राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किये जाते हैं। साथ ही अन्य देशों से भारत में नियुक्ति पर आने वाले राजदूतों एवं उच्चयुक्तों का अनुमोदन भी राष्ट्रपति ही करते हैं। दूसरे देशों के साथ कोई भी समझौता या संधि राष्ट्रपति के नाम से ही की जाती है।

6. संसद से संबंधित शक्तियाँ- राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है, क्योंकि संसद का गठन राष्ट्रपति, लोकसभा एवं राज्यसभा से मिलकर होता है। 

इस रूप में राष्ट्रपति के कार्य- 

~राष्ट्रपति को संसद के सत्र आहूत करने, सत्रावसान करने तथा लोकसभा भंग करने का अधिकार प्राप्त है। 

~वह लोकसभा में दो एवं राज्यसभा में 12 आंग्ल- भारतीय सदस्यों की नियुक्ति करता है। 

~वह दोनों सदनों में गतिरोध होने पर संयुक्त बैठक बुला सकता है. जिसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है। 

~वह सदन के एक सदन में या एक साथ सम्मिलित रूप से दोनों सदनों में अभिभाषण कर सकता है। 

~संसद द्वारा पारित कोई भी विधेयक राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद ही कानून बनता है। राष्ट्रपति या तो उस पर अपनी अनुमति देता है या विधेयक पर पुनः विचार करने के लिए संसद को वापस भेजता है। यदि संसद द्वारा पुनः विधेयक पारित कर दिया जाता है तो राष्ट्रपति उस पर अपनी अनुमति देने के लिए बाध्य हैं।

7. निम्न विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व सहमति के बिना संसद में पेश नहीं किया जा सकता-

(1) व्यापार की स्वतंत्रता पर रोक लगाने वाले राज्य का कोई विधेयक। 

(2) धन विधेयक 

(3) भूमि अधिग्रहण से संबंधि त विधेयक 

(4) संचित निधि में व्यय करने वाले विधेयक 

(5) जिस कराधान में राज्य का हित हो, उस कराधान पर प्रभाव डालने वाले विधेयक। 

(6) नये राज्य का निर्माण करने या विद्यमान राज्य के क्षेत्र, सीमा या नाम में परिवर्तन करने वाले विधेयक |

8. अध्यादेश जारी करने की शक्ति- अनुच्छेद 123 के तहत राष्ट्रपति विश्रान्तिकाल में अध्यादेश जारी कर सकता हैं राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश का प्रभाव केवल 6 मास तक रहता है। 6 माह के अंदर यदि दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता तो यह अध्यादेश प्रभावहीन हो जाता है। 

9. राष्ट्रपति की वीटो शक्ति- संविधान द्वारा राष्ट्रपति को स्पष्टतः वीटो की शक्ति प्रदान नहीं की गयी है, किन्तु राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से जेवी वीटो का प्रयोग करता हैं इसके तहत 1 राष्ट्रपति संसद द्वारा पारित किसी विधेयक को न तो अनुमति देता है और न ही पुनर्विचार के लिए वापस भेजता है। इस वीटो का प्रयोग राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने 1986 में संसद द्वारा पारित भारतीय डाक (संशोधन) अधिनियम के संदर्भ में किया है।

10. अनुच्छेद 143 के अनुसार राष्ट्रपति किसी सार्वजनिक महत्व के प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय के मुख्य ज्यायाधीश से परामर्श ले सकता है, किन्तु वह यह परामर्श मानने के लिए बाध्य नहीं है और न्यायधीश भी परामर्श देने के लिए बाध्य नहीं है। और न्यायाधीश भी परामर्श देने के लिए बाध्य नहीं ।

11. क्षमादान की शक्ति- संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को क्षमा तथा कुछ मामलों में दण्डादेश के निलम्बन, परिहार या लघुकरण की शक्ति प्रदान की गयी है। क्षमा तात्पर्य अपराध के दण्ड से मुक्ति प्रदान करना है। प्रतिलम्बन का तात्पर्य विधि द्वारा विहित दण्ड के स्थायी स्थगन से है। परिहार के अन्तर्गत दण्ड की प्रकृति में परिवर्तन किए बिना दण्ड की मात्रा को कम किया जाना हैं लघुकरण का अर्थ दण्ड की प्रकृति में परिवर्तन करना है।

12. आपातकालीन शक्ति- राष्ट्रपति को निम्नलिखित आपातकालीन शक्तियां प्रदान की गयी हैं- (1) राष्ट्रीय आपात घोषित करने की ( अनुच्छेद-352 ) (2) राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर वहां आपातकाल घोषित करने की ( अनुच्छेद-356) और (3) वित्तीय आपात घोषित करने की ( अनुच्छेद-360)।

13. राष्ट्रपति को विशेषाधिकार- राष्ट्रपति अपने पद के किसी कर्तव्य के निर्वहन तथा शक्तियों के प्रयोग में किये जाने वाले किसी कार्य के लिए न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है। साथ ही जब कोई व्यक्ति राष्ट्रपति के पद पर आसीन है। तब तक उसके विरुद्ध किसी दीवानी या फौजदारी न्यायालय में कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता ।

~42वें संशोधन के द्वारा यह व्यवस्था की गयी कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार काम करने के लिए बाध्य है, किन्तु 44वें संशोधन द्वारा यह व्यवस्था की गई राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह को पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकता है।

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~राष्ट्रपति की सुरक्षा दस्ते का अमर वाक्य है- भारत माता की जय

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