Socio-Religious Reform Movement Mcq : Modern History Quiz Part-9 | UPSCSITE

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नमस्कार दोस्तों, UPSC SITE आपके लिए लेकर आया है आधुनिक भारत का इतिहास के Socio-Religious Reform Movement Mcq : Modern History Quiz Part-9 – Objective Question Answer, जिनकी प्रैक्टिस आप ऑनलाइन कर सकते है। हमारे संग्रह टेस्ट्स को प्रैक्टिस करने के बाद आपको अपनी तैयारी में अंतर समझ आने लग जायेगा। क्यूंकि हमने यहां पर केवल उन्ही प्रश्नो को सम्मिलित किया है जो किसी न किसी परीक्षा में पहले पूछे जा चुके है। लगभग भारत की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न बार – बार दोहराये जाते रहें है।

Socio-Religious Reform Movement Mcq : Modern History Quiz Part-9

यहां टॉपिक वाइज प्रश्नोत्तरी दिए गए हैं जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले सभी एस्पिरेंट्स के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण एवं लाभदायक साबित होने वाली है। यह ‘आधुनिक भारत का इतिहास’ Socio-Religious Reform Movement Mcq : Modern History Quiz Part-9 की टेस्ट सीरीज सभी एस्पिरेंट्स के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के पैटर्न के अनुसार स्मार्ट स्टडी करने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होने वाली है।

161. राममोहन राय को राजा की उपाधि किसने दी थी? UPPCS(Pre)2012 

  1. लॉर्ड विलियम बेटिंग ने 
  2. अकबर II ने 
  3. ब्रह्मा समाज के अनुयायियों ने 
  4. सती प्रथा का विरोध करने वाले बुद्धिजीवियों ने 

उत्तर – B

मुगल बादशाह अकबर द्वितीय (II) ने राममोहन राय को ‘राजा’ की उपाधि के साथ अपने दूत के रूप में 1830 ई. में तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य विलियम चतुर्थ के दरबार में भेजा था। राय को इंग्लैंड में सम्राट में मुगल बादशाह अकबर द्वितीय को मिलने वाली पेंशन की मात्रा बढ़ाने पर बातचीत करने थी। इंग्लैंड के ब्रिस्टल में ही 27 सितंबर, 1833 को राजा राममोहन राय की मृत्यु हो गई, जहां उनकी समाधि स्थापितहै।

162. निम्नलिखित पर विचार कीजिए- IAS(Pre)2016 

  1. कलकत्ता यूनिटेरियन 
  2. कमेटी टेबरनेकर ऑफ न्यू डिस्पेसेशन 
  3. इंडियन रिफॉर्म एसोसिएशन 

केशवचंद्र सेन का प्रबंध उपर्यूक्त में से किसकी/कितनी स्थापना से है?

  1. केवल 1 और 3 
  2. केवल 2 और 3 
  3. केवल 3 
  4. 1, 2 और 3 

उत्तर – B 

केशवचंद्र सेन महान समाज सुधाकर तथा राष्ट्रवादी व्यक्ति थे। केशवचंद्र का जन्म 19 नवंबर, 1838 को एक बंगाली परिवार में हुआ था। वे 1857 ई. में ब्रह्म समाज में सम्मिलित हुए। 24 जनवरी, 1866 को केशवचंद्र सेन ने टेबरनेकर ऑफ न्यू डिस्पेंसेशन नामक संघ की स्थापना की। 1870 ई. में केशवचंद्र सेन ने हिंदू  पूनर्रचना के प्रवक्ता के रूप में इंग्लैंड की यात्रा की।

1870 ई. में इंग्लैंड से वापस लौटने पर केशवचंद्र ने 29 अक्टूबर, 1870 को ‘इंडियन रिफॉर्म एसोसिएशन’ नामक संस्था का गठन किया। इसकी सदस्यता सभी जाति और धर्म के लोगों के लिए खुली थी। संस्था की ओर से ‘सुलभ समाचार’ नामक पत्र भी निकाला गया। जबकि ‘कलकत्ता यूनिटेरियन कमेटी’ का गठन 1823 ई. में राजा राममोहन राय, द्वारकानाथ टैगोर एवं विलियम एडम द्वारा किया गया था। 

163. निम्न में से किसे राममोहन राय के धार्मिक/सामाजिक विचारों के विरोध में प्रारंभ किया गया? UPPCS(Mains)2017  

  1. दिग्दर्शन 
  2. समाचार चंद्रिका 
  3. संवाद कौमुदी 
  4. बंगाल गजट 

उत्तर – B

राममोहन राय के धार्मिक/सामाजिक विचारों के विरोध में भवानीचरण बंधोपाध्याय ने 1822 ई. में समाचार चंद्रिका (पत्रिका) का प्रकाशन शुरू किया। इससे पूर्व के संवाद को कौमुदी के संपादक थे।

164.  ब्रह्मा समाज के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा से कथन सही है/हैं? IAS(Pre)2012

  1. इसने मूर्ति पूजा का विरोध किया। 
  2. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या के लिए इसने पुरोहित वर्ग को अस्वीकार। 
  3. इसने इस सिद्धांत का प्रचार किया कि वेद त्रुटिहीन हैं। 

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए-

  1. केवल 1 
  2. केवल 1 और 2 
  3. केवल 3 
  4. 1, 2 और 3 

उत्तर – B 

ब्रह्मा समाज की स्थापना राजा राममोहन राय द्वारा 1828 ई. में की गई। 

इसके प्रमुख सिद्धांत निम्न थे- 

  1. एकेश्वरवाद पर विश्वास एवं हिंदू धर्म को कुरीतियों से मुक्त कराना। 
  2. मूर्तिपूजा का विरोध तथा पुरोहितों के वर्चस्व पर कुठाराघात। 
  3. स्त्रियों की स्थिति को सुधारना 

वेदों को त्रुटिहीन मानने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती थे। इस प्रकार कथन 1 और 2 ब्रह्म समाज के संदर्भ में सही है, जबकि कथन 3 सही नहीं है।

165. व्यावहारिक-वेदांत के प्रतिपादक कौन हैं? CGPCS(Pre)2019 

  1. दयानंद 
  2. राजा राममोहन राय 
  3. गांधी 
  4. विवेकानंद 

उत्तर – D

व्यवहारिक वेदांत (Practical Vedanta) के प्रतिपादक स्वामी विवेकानंद थे। विवेकानंद के अनुसार एक धर्म के रूप में वेदांत को गहन रूप से व्यवहारिक होना चाहिए ताकि हम अपने जीवन में प्रत्येक भाग में इसका पालन करने में सक्षम हो सके। विवेकानंद ने व्यावहारिक वेदांत पर सर्वप्रथम अपना भाषण 10 नंबर, 1896 को लंदन में दिया था।

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166. इसमें से किस प्रख्यात समाज सुधारक ने ज्ञानयोग, योगकर्म तथा राजयोग नामक पुस्तकें लिखी? UP Lower Sub(Pre)2015 

  1. स्वामी विवेकानंद 
  2. रानाडे 
  3. राजा राममोहन राय 
  4. रामकृष्ण परमहंस 

उत्तर – A

स्वामी विवेकानंद ज्ञानयोग कर्मयोग तथा राजयोग नामक पुस्तकें लिखी। 1893 ई. में वे शिकागो गए, जहां उन्होंने ‘वलर्ड पार्लियामेंट ऑफ रिलीजनस’ (विश्व धर्म संसद) में अपना सुप्रसिद्ध भाषण दिया। 1897 ई. में इन्होंने  ‘रामकृष्णा मिशन’ की स्थापना की।

167. ब्रिटिश साम्राज्य पूरी तरह से सड़ चुका है, हर तरह से भ्रष्ट अत्याचारी व हीन है।’ यह कथन किनके द्वारा गया था? MPPCS(Pre)2018 

  1. सिस्टर निवेदिता 
  2. सावित्रीबाई फुले 
  3. एनी बेसेंट 
  4. बाल गंगाधर तिलक 

उत्तर – A

सिस्टर निवेदिका (विवेकानंद की शिष्य) ने कहा था कि ‘ब्रिटिश साम्राज्य पूरी तरह से भ्रष्टा, अत्याचारी व हीन है’।

168. निम्नलिखित संगठनों में से किसने शुद्धि आंदोलन का समर्थन किया? UPPCS(Pre)2010 

  1. आर्य समाज 
  2. ब्रह्मा समाज 
  3. देव समाज 
  4. प्रार्थना समाज 

उत्तर – A

स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा 1875 ई. में बंबई में स्थापित आर्य समाज ने धर्म परिवर्तन हिंदुओं की हिंदू धर्म में वापिस हेतु शुद्धि आंदोलन का समर्थन किया था। 

169. ‘प्रार्थना समाज’ संस्था के संस्थापक कौन थे? CGPCS(Pre)2004 

  1. दयानंद सरस्वती 
  2. राजा राममोहन राय 
  3. स्वामी सहजानंद 
  4. महादेव गोविंद रानाडे 

उत्तर – D 

प्रार्थना समाज की स्थापना 1867 ई. में बंबई में आचार्य केशवचंद्र सेन की प्रेरणा से आत्माराम पांडुरंग द्वारा की गई थी। महादेव गोविंद रानाडे इस संस्था से 1869 में जुड़ें तथा इसके मुख्य संचालक बने। इस संस्था का प्रमुख उद्देश्य जाति प्रथा का विरोध, स्त्री-पुरुष का विवाह की आयु में वृद्धि, विधवा विवाह एवं स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहित देने था। रानाडे का सामाजिक सुधार आंदोलन 19वीं शताब्दी के अंत तक सफलतापूर्वक जारी रहा। 

170. सत्यशोधक समाज ने संगठित किया- 

  1. बिहार में आदिवासियों के उन्नयन का एक आंदोलन 
  2. गुजरात में मंदिर-प्रवेश का एक आंदोलन 
  3. महाराष्ट्र में एक जाति-विरोध आंदोलन 
  4. पंजाब में एक किसान आंदोलन 

उत्तर – C 

1873 ई. में सत्यशोधक समाज की स्थापना ज्योतिबा फुले ने पुणे (महाराष्ट्र) में की थी। सत्यशोधक समाज से पहले भी इस देश में सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन चले, किंतु सत्यशोधक समाज इन सबसे अलग एवं ब्रिटिश है। इसमें ऊंचे वर्णों एवं श्रेणियों के प्रति पिछड़ी जातियों का विद्रोह प्रमुख था। 

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171. ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना किसने की थी?  BPSC(Pre)2019 

  1. दयानंद सरस्वती 
  2. ज्योतिबा फुले 
  3. गांधीजी 
  4. डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर 
  5. उपर्यूक्त में से कोई नही/उपर्युक्त में एक से अधिक 

उत्तर – B 

उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें। 

172. वह बंगाली नेता कौन था, जिसने सामाजिक/धार्मिक सुधारों का विरोध किया और रूढ़िवादीता का समर्थन किया? UP Lower Sub(Pre)2008 

  1. राधाकांत देव 
  2. नेमीसाधन बोस 
  3. हेमचंद्र विश्वास
  4.  हेमचंद्र डे 

उत्तर – A

राजा राधाकांत देव ने 1830 ई. बंगाल में ‘धर्म सभा’ की स्थापना कर सामाजिक-धार्मिक सुधारों का विरोध किया और रूढ़िवादी का समर्थन किया। 

173. महाराष्ट्र में विधवा पुनर्विवाह हेतु अभियान का नेतृत्व किया- UPPCS(Pre)(Re-Exam)2015 

  1. विष्णु परशुराम पंडित ने  
  2. बी. एम. मालाबारी ने 
  3. गोपाल हरि देशमुख ने 
  4. दादाभाई नौरोजी ने 

उत्तर – A

महाराष्ट्र में विधवा पुनर्विवाह हेतु प्रथम अभियान का नेतृत्व विष्णु परशुराम पंडित ने किया। उन्होंने 1850 ई. में ‘विडो  रिमैरिज एसोसिएशन’ की स्थापना की थी और साथी विधवा-पुनविवाह ढोलन भी चलाया था। बी. एम. मालाबारी बाल-विवाह प्रथा को वैधानिक रूप से समाप्त करने के लिए प्रसिद्ध हैं। 

174. 19वीं सदी के महानतम पारसी समाज सुधारक थे- RAS/RTS(Pre)2010 

  1. सर जमशेदजी 
  2. सर रुस्तम बहरामजी 
  3. नवलजी टाटा 
  4. बहराम एम. मालाबारी 

उत्तर – D

19वीं सदी के महानतम पारसी समाज सुधारक बहरामजी एम. मालाबारी थे। उनका जन्म बड़ौदा के पारसी परिवार में 1853 ई. में हुआ था। इन्होंने बाल विवाह के खिलाफ तथा विधवा विवाह के समर्थन के एक परिपत्र का संपादक किया था। 1891 ई. का ‘सम्मती आयु अधिनियम’ (Age Of Consent Act) इन्हीं के प्रयासों से पारित हुआ था। 

175. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है? RAS/RTS(Pre)2018 

            (संस्था)          (प्रवर्तक) 

  1. सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी – जी. के. गोखले 
  2. सोशल सर्विस लीग –  एन. एम. जोशी 
  3. सेवा समिति – एच. डी. कुंजरू 
  4. सोशल रिफॉर्मर एसोसिएशन –  श्रीराम बाजपेई 

उत्तर – D

सर्वेंटस ऑफ़ इंडिया सोसाइटी वर्ष 1905 में गोपाल कृष्ण गोखले द्वारा, सोशल सर्विस लीग वर्ष 1911 में नारायण मल्हार जोशी, चंद्रावरकर (पहले अध्यक्ष) द्वारा, सेवा समिति वर्ष 1914 में हृदय नाथ कुंजरु द्वारा तक बॉम्बे प्रेसीडेंसी सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन वर्ष 1903 में देश के तत्कालीन प्रमुख समाज सुधारक (चंदावरकर, भंडारण आदि) द्वारा। ज्ञतव्य है कि सोशल रिफॉर्म में एसोसिएशन रानाडे के नेशनल कॉन्फ्रेंस (1887) द्वारा स्थापित की गई संस्था थी। इसके पूर्व 1878 ई. में विरेशालिंगम ने राजमुंद्री रिफॉर्म एसोसिएशन की स्थापना की थी। 

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176. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय राष्ट्रीय सामाजिक सम्मेलन (नेशनल सोशल कॉन्फ्रेंस) का गठन किया गया था। इसके गठन के लिए उत्तरदाई कारण था- IAS(Pre)2012 

  1. बंगाल क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक सुधार ग्रुप/संगठन किसी एक मंच पर एकत्रित होकर व्यापारिक हित में मांगपत्र सरकार के सक्षम प्रस्तुत करना चाहते थे। 
  2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपने कार्यक्रम में सामाजिक सुधारो को नहीं रखना चाहती थी। इसलिए प्रस्तुत उद्देश्य के लिए उसने अलग से संगठन बनाने का सुझाव दिया। 
  3. बहरामजी मालाबारी और एम. जी. रानाडे ने यह निश्चित किया कि देश के समस्त समाजिक सुधार ग्रुपों को एक संगठन के अंतर्गत लाया जाए। 
  4. उपरोक्त संदर्भ में विकल्प (1), (2) और (3) में दिए गए वक्तव्य में कोई भी सही नहीं है। 

उत्तर – B

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपने कार्यक्रम में सामाजिक सुधारों को नहीं रखना चाहती थी। इसलिए प्रस्तुत उद्देश्य के लिए उसने अलग से संगठन बनाने का सुझाव दिया। 

177. निम्नलिखित में से किसने प्रमुख रूप से विधवा पुनर्विवाह के लिए संघर्ष किया और उसे कानूनी रूप से वैध बनाने में सफलता प्राप्त की। UPPCS(Mains)2012

  1. एनी बेसेंट 
  2. ईश्वर चंद्र विद्यासागर 
  3. एम. जी. रानाडे 
  4. राजा राममोहन राय 

उत्तर – B

कोलकाता का संस्कृत कालेज के आचार्य ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह के लिए अथक संघर्ष किया। इन्होंने यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि वेदों में विधवा विवाह को मान्यता दी गई है। इसके प्रयासों के फलस्वरूप 26 जुलाई, को ‘हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम’ पारित हुआ। 

178.शारदा अधिनियम के अंतर्गत लड़कियों एंव लड़कों के विवाह की न्यूनतम आयु क्रमाशा कितनी निर्धारित की गई थी? UPPCS(Pre)2012 UPRO/ARO(Mains)2013 

  1. 12 एवं 16 
  2. 14 एवं 18 
  3. 15 एवं 21
  4. 16 एवं 22 

उत्तर – B

1929 ई. में अजमेर निवासी एवं न्यायाधीश डॉ. हरविलास प्रयत्नों से एक बाल विवाह निषेध कानून बना पाया। उन्हीं के नाम पर ही इसे शारदा अधिनियम (शारदा एक्ट) कहा गया। इस अधिनियम के द्वारा लड़कियों के विवाह की न्यूनतम सीमा 14 वर्ष एवं लड़कों की 18 वर्ष निर्धारित की गई। 

179. निम्नलिखित में से किस समाज सुधारक ने 1826 अधिनियम का घोर विरोध किया? 

  1. ईश्वरचंद्र विद्यासागर 
  2. राजा राममोहन राय 
  3. महादेव गोविंद रानाडे 
  4. राजनारायण बसु 

उत्तर – B 

1826 ई. में ज्यूरी एक्ट पारित किया गया था, जिसके अंतर्गत न्यायालयों में  धार्मिक आधार पर भेदभाव की शुरुआत हुई। इसके अंतर्गत यह प्रावधान था कि हिंदु तथा मुसलमानों के मामलों की सुनवाई किसी यूरोपीय अथवा भारतीय ईसाई जजों द्वारा जो की जा सकती थी, किंतु किसी भी ईसाई, चाहे वह यूरोपीय हो अथवा भारतीय, की सुनवाई किसी हिंदू और मुसलमान न्यायाधीश द्वारा नहीं की जा सकती थी। राजा राममोहन राय ने इस भेदभाव का जोरदार तरीके से विरोध किया था। 

180. एसी.सी. सीतलवाड़ा बी. एन. राव. तथा अल्लादि कृष्णस्वामी अय्यर प्रख्यात सदस्य थे- 

  1. स्वराज्य पार्टी के 
  2. ऑल इंडियन नेशनल लिबरल फेडरेशम के 
  3. मद्रास लेबर यूनियन के 
  4. सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के 

उत्तर – D 

1905 ई. में पूना में गोपाल कृष्ण गोखले ने भारत सेवक मंडल (Servants of India Society) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारत सेवा के लिए प्रचारक तैयार करना था और संवैधानिक रूप से भारतीय जनता के सच सच्चे हितों को प्रोत्साहन देना था। इस मंडल ने वी. श्रीनिवास शास्त्री, जी. के. देवधर, एन. एम. जोशी, पंडित हृदयनाथ कुंजरु जैसे महान समाज सेवक पैदा किए। एम. सी. की सीतलवार, बी. एन. राय तथा अल्लादि कृष्णास्वामी अध्यय इसके प्रख्यात सदस्य थे। 

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