यूपीएससी, अन्य राज्य पीसीएस, एनडीए, सीडीएस, सीएपीएफ परीक्षाओं के तैयारी के लिए मध्यकालीन भारतीय इतिहास बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तरी ख़िलजी वंश Quiz
Table of Contents
ख़िलजी वंश Quiz
टोटल प्रश्न – 20
समय – 10min
“All The Best”
दिल्ली सल्तनत गुलाम वंश Quiz विश्लेषण – हिंदी में
21. गुलाम वंश का संस्थापक कौन था?
- इल्तुतमिश
- अलाउद्दीन खिलजी
- बलबन
- कुतुबुद्दीन ऐबक
उत्तर – 4
1206 से 1290 ई. तक दिल्ली सल्तनत के सुल्तान गुलाम वंश के सुल्तानों के नाम से विख्यात हुए, जिसका संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था।
22. दिल्ली सल्तनत का कौन-सा सुल्तान ‘लाख बख्श’ के नाम से जाना जाता है?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- मुहम्मद बिन तुगलक
- कुतुबुद्दीन ऐबक
उत्तर – 4
अपनी उदारता के कारण कुतुबुद्दीन ऐबक इतना अधिक दान करता था कि उसे ‘लाख बख्श’ (लाखों को देने वाला) के नाम से पुकारा गया। फरिश्ता ने लिखा है कि ‘यदि व्यक्ति किसी की दानशीलता की प्रशंसा करते थे, तो उसे अपने युग का ऐबक पुकारते थे। ‘इसकी एक उपाधि’ ‘कुरान ख्वां’ भी था। ऐबक को साहित्य से अनुराग था और स्थापत्य कला में रूचि था।
23. ‘ढाई दिन का झोपड़ा’ क्या है?
- मस्जिद
- मंदिर
- संत की झोपड़ी
- मीनार
उत्तर – 1
ऐबक ने दिल्ली में ‘कुव्वत- उल- इस्लाम’ और अजमेर में ‘ढाई दिन का झोपड़ा’ नामक मस्जिदों का निर्माण कराया था।
24. निम्नलिखित में से किसने प्रसिद्ध कुतुबमीनार के निर्माण में योगदान नहीं दिया?
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- इल्तुतमिश
- गयासुद्दीन तुगलक
- फिरोजशाह तुगलक
उत्तर – 3
कुतुबमीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने आंरभ किया और इसका निर्माण कार्य इल्तुतमिश के काल में पूरा हुआ। फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में इसकी चौथी मंजिल को काफी हानि पहुंची थी, जिस पर फिरोज ने चौथी मंजिल के स्थान पर दो और मंजिलों का भी निर्माण करवाया। गयासुद्दीन तुगलक ने इसके निर्माण में कोई योगदान नहीं दिया था।
25. सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु कैसे हुई?
- उनके एक महत्वकांक्षी कुलीन व्यक्ति ने कपट से छुरा मारकर उनकी हत्या कर दी
- पंजाब पर अधिकार जमाने के लिए गजनी के शासक ताजुद्दीन यल्दौज के साथ हुए युद्ध में उसकी मृत्यु हुई
- बुंदेलखंड के किले कालिंजर को घेरा डालते समय उन्हें चोटें लगी जिसके कारण बाद में उनकी मृत्यु हो गई
- चौगान की क्रीडा के दौरान अश्व से गिरने के पश्चात उनकी मृत्यु हो गई
उत्तर – 4
कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु चौगान के खेल (आधुनिक पोलो की भांति का एक खेल) में घोड़े से गिरने के दौरान 1210 ई. में हुई थी। उसे लाहौर में दफनाया गया। उसे गुलाम वंश का संस्थापक माना जाता है।
26. निम्नलिखित में से किसने दिल्ली को सल्तनत की राजधानी के रूप में स्थापित किया था?
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- इल्तुतमिश
- रजिया
- मुइज्जुद्दीन गोरी
उत्तर – 2
इल्तुतमिश (1210-1236 ई.) दिल्ली को सल्तनत की राजधानी के रूप में स्थापित किया था। इससे पूर्व ऐबक ने लाहौर से ही शासन किया था।
27. दिल्ली का वह प्रथम सुल्तान कौन था जिसने नियमित सिक्के जारी किए तथा दिल्ली को अपने साम्राज्य की राजधानी घोषित किया?
- नासिरुद्दीन महमूद
- इल्तुतमिश
- आराम शाह
- बलबन
उत्तर – 2
इल्तुतमिश ने ही भारत में सल्तनत काल में सवर्प्रथम शुद्ध अरबी सिक्के चलाए थे। सल्तनत युग के दो महत्वपूर्ण सिक्के चांदी का टंका (175 ग्रेन) और तांबे का जीतल उसी ने आरंभ किए तथा सिक्कों पर टकसाल का नाम लिखवाने की परंपरा शुरू की।
28. ‘गुलाम का गुलाम’ किसे कहा गया था?
- मो. गोरी
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- बलबन
- इल्तुतमिश
उत्तर – 4
‘गुलाम का गुलाम’ इल्तुतमिश को कहा जाता है। मि. गोरी के गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने इल्तुतमिश को खरीदा था। ऐबक ने आंरभ से ही इसे ‘सर- ए- जहांदार’ (अंगरक्षकों का प्रधान) का महत्वपूर्ण पद दिया। ऐबक ने अपनी पुत्री का विवाह इल्तुतमिश से किया था।
29. निम्नलिखित में से कौन मध्यकालीन भारत की प्रथम महिला शासिका थी?
- रजिया सुल्तान
- चांदबीबी
- दुर्गावती
- नूरजहां
उत्तर – 1
मध्यकालीन भारत की प्रथम महिला शासिका रजिया सुल्तान (1236-40) थी। व्यक्तिगत दृष्टि से उसने भारत में पहली बार स्त्री के संबंध में इस्लाम की परंपराओं का उल्लंघन किया और राजनीतिक दृष्टि से उसने राज्य की शक्ति को सरदारों अथवा सूबेदारो में विभाजित करने के स्थान पर सुल्तान के हाथों में केंद्रित करने वाला बल दिया तथा इस प्रकार उसने इल्तुतमिश के संपूर्ण प्रभुत्व- संपन्न राजतंत्र के सिद्धांत का समर्थन किया, जो उस समय की परिस्थितियों में तुर्की राज्य में हित में था।
30. मंगोल आक्रमणकारी चंगेज खां भारत की उत्तर- पश्चिम सीमा पर निम्न में से किसके काल में आया था?
- अलाउद्दीन खिलजी
- इल्तुतमिश
- बलबन
- ऐबक
उत्तर – 2
मंगोल नेता चंगेज भारत की उत्तर- पश्चिमी सीमा पर इल्तुतमिश के शासनकाल में आया था। चंगेज खां के प्रकोप से रक्षार्थ ख़्वारिज्म शाह का पुत्र जलालुद्दीन मंगबरनी सिंधु घाटी पहुंचा। संभवतः चंगेज खां ने इल्तुतमिश के पास अपने दूत भेजे थे कि वह मंगबरनी की सहायता ना करें, अतः इल्तुतमिश ने उसकी कोई सहायता की और जब मंगबरनी 1224 ई. में भारत से चला गया तो इस समस्या का समाधान हो गया।
31. दिल्ली का कौन सुल्ताना मंगोल नेता चंगेज खां का समकालीन था?
- इल्तुतमिश
- रजिया
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
उत्तर – 1
उपयुक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
32. किसके शासनकाल में मंगोल प्रथम बार सिंधु के तट पर देखे गए?
- बलबन
- इल्तुतमिश
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- रजिया
उत्तर – 2
उपयुक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
33. चंगेज खां के अधीन मंगोलों ने भारत पर आक्रमण किया-
- बलबन के शासनकाल में
- फिरोज तुगलक के शासनकाल में
- इल्तुतमिश के शासनकाल में
- मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में
उत्तर – 3
उपयुक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
34. चंगेज खान का मूल नाम था।
- खासुल खान
- एशुगई
- तेमुचिन
- ओगदी
उत्तर – 3
चंगेज खान एक मंगोल शासक था। जिसने मंगोल साम्राज्य विस्तार में एक अहम भूमिका निभाई। चंगेज खान का वास्तविक या प्रारंभिक नाम तेमुजिन (या तेमुचिन) था।
35. इल्तुतमिश ने बिहार में अपना प्रथम सूबेदार नियुक्त किया था?
- ऐवाज
- नसीरुद्दीन महमूद
- अलिमर्दान
- मालिक जानी
उत्तर – 4
इल्तुतमिश ने बिहार शरीफ एवं बाढ़ पर अधिकार कर राजमहल की पहाड़ियों में टेलियागढ़ी के समीप हिसामुद्दीन ऐवाज को पराजित किया। ऐवाज की इल्तुतमिश की अधीनता स्वीकार कर ली। इल्तुतमिश ने ऐवाज के स्थान पर मालिक जानी को बिहार का सूबेदार नियुक्त किया।
36. रजिया बेगम को सत्ताच्युत में किसका हाथ था?
- अफगानों का
- मंगोलों का
- तुर्कों का
- अरबों का
उत्तर – 3
रजिया बेगम को सत्ताच्युत करने में तुर्कों का हाथ था। उन्होंने भटिंडा के गवर्नर मालिक अल्तूनिया के नेतृत्व में रजिया के विरुद्ध विद्रोह कर उसे सत्ता से हटाया था।
37. दिल्ली के सुल्तान बलबन का पूरा नाम—- — बलबन था?
- जलालुद्दीन
- इल्तुतमिश
- गयासुद्दीन
- कुतुबुद्दीन
उत्तर – 3
सुल्तान बलबन का पूरा नाम गयासुद्दीन बलबन था। बलबन ने 1266 से 1287 ई. तक सुल्तान के रूप में सल्तनत की बागडोर संभाली। उसे उलुग खां के नाम से भी जाना जाता है। उसका वास्तविक नाम बहाउद्दीन था। इल्तुतमिश की भांति वह भी इल्बरी तुर्क था।
38. दिल्ली के किस सुल्तान के विषय में कहा गया है कि उसने “रक्त और लौह” की नीति अपनाई थी?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- जलालुद्दीन फ़िरोज खिलजी
- फिरोजशाह तुगलक
उत्तर – 2
बलबन के विषय में कहा गया है कि उसने “रक्त और लौह” की नीति अपनाई थी। बलबन के राजत्व सिद्धांत की दो मुख्य विशेषताएं थी: प्रथम, सुल्तान का ईश्वर के द्वारा प्रदत्त होता है और द्वितीय, सुल्तान का निरंकुश होना आवश्यक है। उसके अनुसार “सुल्तान पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि (नियमित- ए- खुदाई) है और उसका संस्थान पैगंबर के पश्चात है। सुल्तान को कार्य करने की प्रेरणा और शक्ति ईश्वर से प्राप्त होती है। इस कारण जनसाधारण या सदस्यों को उसके कार्यों की आलोचना का अधिकार नहीं है।”
39. अपनी शक्ति को समेकित करने के बाद बलबन ने भव्य उपाधि धारण की-
- तूतीए -हिंद
- कैसरे- हिंद
- जिल्ले- इलाही
- दीने- इलाही
उत्तर – 3
बलबन ने फारस के लोक- प्रचलित वीरों की प्रेरणा लेकर अपना राजनीतिक आदर्श निर्मित किया था। उनका अनुकरण करते हुए उसने राजत्व की प्रतिष्ठा को उच्च सम्मान दिलाने का प्रयत्न किया। राजा को धरती पर ईश्वर का प्रतिनिधि ‘नियमित- ए- खुदाई’ माना गया। बलबन के अनुसार मान मर्यादा में वह केवल पर पैग़ंबर के बाद है। राजा ‘जिल्ले अल्लाह’ या ‘जिल्ले इलाही’ अर्थात ‘ईश्वर का प्रतिबिंब’ है।
40. निम्नलिखित सुल्तानों में से किसने गढ़मुक्तेश्वर की मस्जिद की दीवारों पर अपने शिलालेख में स्वयं को ‘खलीफा का सहायक’ कहा है?
- बलबन
- कैकुबाद
- जलालुद्दीन
- उपयुक्त प्रश्न में से कोई नहीं
उत्तर – 1
बलबन ने गढ़मुक्तेश्वर के मस्जिद के दीवारों पर उत्कीर्ण शिलालेख पर स्वयं को ‘खलीफा का सहाय सहायक’ कहा है।
(Note – ख़िलजी वंश Quiz में कोई डाटा गलत पाया गया हो या त्रुटि मिले तो नीचे टिप्पणी में साझा करें, जाँच करके सुधार कर दिया जाएगा।)
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ख़िलजी वंश Quiz का विश्लेषण अगले टेस्ट में किया जाएगा।
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