सामान्य अध्ययन यूपीएससी, यूपीपीएससी एवं अन्य राज्य पीसीएस, एनडीए, सीडीएस, सीएपीएफ परीक्षाओं के जीएस की तैयारी के लिए प्राचीन भारत इतिहास बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तरी प्राचीन भारत में स्थापत्य-कला quiz
Table of Contents
यहाँ प्राचीन इतिहास के निम्निखित टॉपिको पर क्विज़ उपलब्ध हैं-
- पाषाण काल- ✔
- सैंधव सभ्यता एवं संस्कृति-✔
- वैदिक काल-✔
- बौद्ध धर्म-✔
- जैन धर्म-✔
- शैव, भागवत धर्म-✔
- छठी शताब्दी ई.पू.-✔
- यूनानी आक्रमण-✔
- मौर्य साम्राज्य-✔
- मौर्योत्तर काल-✔
- गुप्त एवं गुप्तकाल-✔
- प्राचीन भारत में स्थापत्य कला-✔
- दक्षिण भारत (चोल, चालुक्य, पल्लव एवं संगम युग)
- प्राचीन साहित्य
- पूर्व मध्यकाल
प्राचीन भारत में स्थापत्य-कला quiz
टोटल प्रश्न – 20
समय – 10min
“All The Best”
Ancient History Quiz Part-18 (Mcq) In Hindi विश्लेषण –
341. भारत में दार्शनिक विचार के इतिहास में संबंध में, सांख्य संप्रदाय से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ?
- सांख्य पुनर्जन्म या आत्मा के आवागमन के सिद्धांत को स्वीकार नहीं करता हैं।
- सांख्य की मान्यता है कि आत्मज्ञान की मोक्ष की ओर ले जाता है ना कि कोई ब्रम्हा प्रभाव अथवा कारक।
उपयुक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है-
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- ना तो 1 और ना ही 2
उत्तर – 2
सांख्य पुनर्जन्म अथवा आत्मा के आवागमन के सिद्धांत को स्वीकार करता है। सांख्य दर्शन अज्ञानता को ही दुखों का कारण तथा विवेक ज्ञान को उनसे मुक्ति का एकमात्र उपाय बता बताया गया हैं। अतः विकल्प 2 सही उत्तर है।
342. निम्नलिखित में से कौन एक ‘अष्टांग योग’ का अंश नहीं है?
- अनुस्मृति
- प्रत्याहार
- ध्यान
- धारणा
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर – 1
महर्षि पंतजलि ने योग को ‘चित्त की वृत्तियों का निरोध’ (योग : चित्तवृत्ति निरोध) के रूप में परिभाषित किया है। लगभग 200 ई. पू. में महर्षि पंतजलि ने योग को लिखित रूप में संग्रहित किया है किया और योग-सूत्र की रचना की। योग सूत्र की रचना के कारण पंतजलि को योग का जनक कहा जाता। उन्होंने योग के आठ अंग यथा- यम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि का वर्णन किया। यही अष्टांग योग स्पष्ट हैं कि अनुस्मृति अष्टांग योग का अंश नहीं है।
343. केवल प्रत्यक्ष प्रमाण को कौन स्वीकार करता है?
- जैन
- चावर्क
- बोद्ध
- सांख्य
उत्तर – 2
भारतीय दर्शन में विभिन्न संप्रदायों में प्रमाणों की संख्या के विषय में पर्याप्त मतभेद है। बौद्ध और वैशेषिक संप्रदाय प्रत्यक्ष तथा अनुमान केवल दो प्रमाणों को स्वीकार करते। जैन, सांख्य, योग और विशिष्टद्वेत दर्शन इन दोनों के साथ शब्द प्रमाण को भी जोड़ देते हैं। न्याय दार्शनिक प्रत्यक्ष, अनुमान, शब्द और उपमान 4 प्रमाणों को स्वीकार करते हैं। प्रभाकर मीमांसा में इन चारों प्रमाणों के साथ तथा अर्थापत्ति को भी जोड़ दिया जाता है। भट्ट-मीमांसा और अद्वैत वेदांत दर्शन में इन प्रमाणों के साथ अनुपलब्धि को भी प्रमाण मान लिया जाता है। इन सबके विपरीत चावर्क दर्शन केवल प्रत्यक्ष को प्रमाण मानता है और अन्य प्रमाणों का निषेध करता है।
344. अधोलिखित में से कौन एक चावर्क के अनुसार सर्वोच्च मूल्य है?
- धर्म
- अर्थ
- काम
- मोक्ष
- भक्ति
उत्तर – 3
चावर्क दर्शन ने भारतीय परंपरा में स्वीकृत चारों पुरुषार्थ में ‘काम’ को परम पुरुषार्थ माना हैं। इसके अनुसार जो कर्म काम की पूर्ति करें या मनुष्य को सुख प्रदान करें वह उचित है। चावर्क के अनुसार, अर्थ सुख प्राप्ति का साधन है। उल्लेखनीय है कि चावर्क दर्शन में सुख का अर्थ इंद्रिय सुख से है।
345. न्याय दर्शन को प्रचलित किया था-
- चावर्क ने
- गौतम ने
- कपिल ने
- जैमीनी ने
उत्तर – 2
न्याय दर्शन का प्रवर्तन गौतम ने किया, जिन्हें ‘अक्षपाद’ भी कहा जाता है। न्याय का शाब्दिक अर्थ तर्क या निर्णय होता हैं। न्याय दर्शन में 16 पदार्थों के तत्वों का अस्तित्व स्वीकार किया गया है। न्याय दर्शन का मूल ग्रंथ गौतम कृत ‘न्याय सूत्र’ है।
346. निम्न में से किस दर्शन का मत है कि वेद शाश्वत सत्य है?
- सांख्य
- वैशेषिक
- मीमांसा
- न्याय
- योग
उत्तर – 3
मीमांसा दर्शन वीरों को शाश्वत सत्य मानता है। पूर्व मीमांसा दर्शन में वेद के कर्मकांड भाग पर विचार किया गया है और उत्तर मीमांसा में वैद ज्ञानकांड भाग पर विचार किया गया है।
347. अपूर्व का सिद्धांत संबंधित है-
- चावर्क से
- जैन से
- बौद्ध से
- मीमांसा से
उत्तर – 4
अपूर्व का सिद्धांत मीमांसा दर्शन से संबंधित है। मीमांसा दर्शन में एक अदृश्य शक्ति की कल्पना की गई है, जो कर्म तथा उसके परिणाम के बीच एक अतिलौकिक कड़ी है। वह इसे ‘अपूर्ण’ कहता है। अपूर्व का शाब्दिक अर्थ है ‘कोई नई वस्तु’ जो पहले नहीं जानी गई अथवा वह जो पहले नहीं था।
348. निम्नलिखित युगों में से कौन-सा एक भारतीय षड्दर्शन का भाग नहीं है?
- मीमांसा और वेदांत
- न्याय और वैशेषिक
- लोकायत और कापालिक
- सांख्य और योग
उत्तर -3
‘मीमांसा और वेदांत’ , ‘न्याय और वैशेषिक’ तथा ‘संख्या और योग’ भारतीय षठदर्शन के भाग हैं। वेदों को मान्यता देने के कारण ही सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदांत षठदर्शन, आस्तिक दर्शन कहे जाते हैं । इनके प्रणेता क्रमशः कपिल, पतंजलि, गौतम, कणाद, जैमिनी, तथा बादरायण थे, जबकि लोकायत ओर कापालिक भारतीय षठदर्शन के भाग नहीं हैं।
349. लोकायत दर्शन किसको कहा जाता है?
- जैन
- बौद्ध
- चावर्क
- सांख्य
उत्तर -3
चावर्क दर्शन को ही लोकायत दर्शन के नाम से जाना जाता है। यह भौतिकवादी दर्शन है, जो भौतिक या सांसारिक सुख को अधिक महत्व देता है।
350. अद्वैत दर्शन के संस्थापक है-
- शंकराचार्य
- रामानुजाचार्य
- माधवाचार्य
- महात्मा बुद्ध
- इसमें इनमें से कोई नहीं
उत्तर – 1
अद्वेत दर्शन के संस्थापक शंकराचार्य हैं। शंकराचार्य ने ‘प्रस्थानत्रयी’ (उपनिषद, ब्रह्मास्त्र और भगवत गीता) पर भाष्य लिखकर अद्वैतवाद का समर्थन किया। ब्रह्मसूत्र पर उनका भाष्य ‘ब्रह्मसूत्रभाष्य’ या ‘शारीरिकशास्त्र’ कहलाता है।
351. ‘प्रच्छन्न-बौद्ध’ किसे कहा जाता है?
- शंकर
- कपिल
- रामानुज
- पंतजलि
उत्तर – 1
शंकर या शंकराचार्य अद्वैत दर्शन के प्रणेता तथा हिंदू हिंदू धर्म के प्रख्यात दार्शनिक थे। बौद्ध धर्म की संकल्पनाओं को अपने दर्शन में शामिल करने में के कारण उन्हें ‘प्रच्छन-बौद्ध’ संज्ञा दी जाती है।
352. निम्नलिखित में से अद्वेत वेदांत के अनुसार, किसके द्वारा मुक्ति प्रदान किया जा सकती है?
- ज्ञान
- कर्म
- भक्ति
- योग
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर – 1
अद्वैत वेदांत के ज्ञान मार्ग को मोक्ष का साधन स्वीकार किया जाता है। उसकी मान्यता है कि केवल ज्ञान से ही मुक्ति मिलती है। (ज्ञान देव मुक्ति) ज्ञान के अभाव से मुक्ति संभव नहीं है।
353. निम्न में से किसका संबंध ‘वेदांत दर्शन’ के साथ नहीं है?
- शंकराचार्य
- अभिनव गुप्त
- रामानुज
- माधव
उत्तर- २
वेदांत दर्शन को भारतीय विचारधारा की पराकाष्ठा माना जाता हैं। वेदांत का शाब्दिक अर्थ हैं- ‘वेद का अंत’ या ‘वैदिक विचारधारा की पराकाष्ठा’ वेदांत दर्शन के तीन आधार है- उपनिषद, ब्रह्मा सूत्र और भगवत गीता। इन्हें वेदांत दर्शन को ‘प्रस्थानत्रयी’ कहा जाता हैं। कई सूक्ष्मों भेदों के आधार पर इसके कई उपसम्प्रदाय एवं उनके प्रवर्तक हैं, जैसे- शंकराचार्य का अद्वैतवाद, रामानुज का विशिष्टद्वेत, मध्वाचार्य का अद्वैतवाद। अभिनव गुप्त की मुख्य ख्याति तंत्र तथा अलंकार शास्त्र के क्षेत्र में हैं। ये दर्शन के क्षेत्र में तर्कशास्त्र से जुड़े हुए थे।
354. पुराणों के अनुसार, चंद्रवंशीय शासकों का मूल स्थान था-
- काशी
- अयोध्या
- प्रतिष्ठानपुर
- श्रावस्ती
उत्तर -3
पुराणों के अनुसार, चंद्रवंश (या सोमवंश) क्षत्रिय वर्ण के 3 मूल वंशो (अन्य दो सूर्यवंश एवं अग्निवंश) में से एक था। चंद्रवंशीय शासकों का मूल स्थान त्रेतायुग में प्रयाग था, परन्तु प्रलय के पश्चात द्वापर युग में चंद्रवंशी सँवारन के प्रतिष्ठानपूर (वर्तमान झूसी इलाहाबाद) में राजधानी की स्थापना की थी।
355. मौखरि शासकों की राजधानी…….थी?
- थानेश्वर
- कन्नौज
- पुरुषपुर
- उपयुक्त में से कोई नहीं
उत्तर- 2
मौखरि गुप्तों के समांतर थे, जो मूलतः गया के निवासी थे। मौखरी वंश के शासकों ने अपनी राजधानी कन्नौज बनाई। इस वंश के प्रमुख शासक हरिवर्मा, आदित्य वर्मा, ईशान वर्मा, सर्ववर्मा एवं ग्रह वर्मा थे।
356. ‘हर्षचरित’ नामक पुस्तक किसने लिखी?
- आर्यभट्ट
- बाणभट्ट
- विष्णुगुप्त
- परिमलगुप्त
उत्तर- 2
‘हर्षचरित’ ग्रंथ की रचना सुप्रसिद्ध लेखक बाणभट्ट ने की थी। यह वर्धन वंश के इतिहास का प्रमुख स्रोत है। इसमें लेखक अपने समकालीन शासक तथा उसके पूर्वजों के जीवनवृत्त का वर्णन प्रस्तुत करता है।
357. नर्मदा नदी पर सम्राट हर्ष के दक्षिणावर्ती अग्रगमन को रोका-
- पुलकेशिन I ने
- पुलकेशिन II ने
- विक्रमादित्य I ने
- विक्रमादित्य II ने
उत्तर- 2
हर्ष की विजयों के फलस्वरूप उसके राज्य की पश्चिमी सीमा नर्मदा नदी तक पहुंच गई। इधर पुलकेशिन II भी उत्तर की ओर राज्य का विस्तार करना चाहता था, ऐसी स्थिति में दोनों के बीच युद्ध अवश्यंभावी हो गया। फलतः नर्मदा के तट पर दोनों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें पुलकेशिन II ने हर्ष को पराजित किया। पुलकेशिन II की एहोल प्रशस्ति एवं ह्वेनसांग का विवरण इस युद्ध के साथ है।
358. चीनी लेखक भारत का उल्लेख किस नाम से करते हैं?
- फो-क्वो-की
- यिन-तु
- सि-यू-की
- सिकिया-पोनो
उत्तर- 2
प्राचीनकालीन चीनी लेखको ने भारत का उल्लेख ‘यिन-तू’ तथा ‘थिआन-तू’ के नाम से किया है।
359. निम्नलिखित में से कौन सा ‘चार-धाम’ में सम्मिलित नहीं है-
- पूरी
- द्वारिका
- मानसरोवर
- रामेश्वरम
उत्तर – 3
चारधाम में बद्रीनाथ ,द्वारका, पूरी तथा रामेश्वरम आते थे, जबकि छोटा चारधाम में उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ तथा बद्रीनाथ आते हैं। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठ है- उत्तर में केदारनाथ, दक्षिण में श्रंगेरी, पूर्व में पूरी तथा पश्चिम में द्वारिका।
प्रचीन भारत में स्थापत्य कला
360. खजुराहो मंदिर स्थापत्य के निर्मित में सहयोगी थे-
- चंदेल
- गुजर्र-प्रतिहार
- चाहमान
- परमार
उत्तर – 1
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो के चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित मंदिर आज भी चंदेल स्थापत्य की उत्कृष्टता का बखान कर रहे हैं। इन मंदिरों का निर्माण 950-1050 ई. के बीच कराया गया था। यहां के मंदिरों में कंदरिया महादेव मंदिर सर्वोत्तम है।
प्राचीन भारत में स्थापत्य-कला Quiz MCq का विश्लेषण अगले टेस्ट में किया जाएगा। इसका पीडीएफ फ़ाइल टेलीग्राम पर उपलब्ध कर दिया जाएगा।
(Note – प्राचीन भारत में स्थापत्य-कला Quiz में कोई डाटा गलत पाया गया हो या त्रुटि मिले तो आप नीचे टिप्पणी में साझा करें, उसकी जाँच करके सुधार कर दिया जाएगा।)
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