दिल्ली सल्तनत-प्रशासन quiz : Medieval History Quiz Part-7 | UPSCSITE

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नमस्कार दोस्तों, UPSC SITE आपके लिए लेकर आया है मध्यकालीन भारत का इतिहास के दिल्ली सल्तनत-प्रशासन quiz : Medieval History Quiz Part-7 – Objective Question Answer, जिनकी प्रैक्टिस आप ऑनलाइन कर सकते है। हमारे संग्रह टेस्ट्स को प्रैक्टिस करने के बाद आपको अपनी तैयारी में अंतर समझ आने लग जायेगा। क्यूंकि हमने यहां पर केवल उन्ही प्रश्नो को सम्मिलित किया है जो किसी न किसी परीक्षा में पहले पूछे जा चुके है। लगभग भारत की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न बार – बार दोहराये जाते रहें है।

दिल्ली सल्तनत-प्रशासन quiz : Medieval History Quiz Part-7

यहां टॉपिक वाइज प्रश्नोत्तरी दिए गए हैं जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले सभी एस्पिरेंट्स के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण एवं लाभदायक साबित होने वाली है। यह ‘मध्यकालीन भारत का इतिहास’ दिल्ली सल्तनत-प्रशासन quiz : Medieval History Quiz Part-7 की टेस्ट सीरीज सभी एस्पिरेंट्स के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के पैटर्न के अनुसार स्मार्ट स्टडी करने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होने वाली है।

121. इतिहासकार बरनी ने दिल्ली के सुल्तानों के अधीन भारत में शासन को वास्तव में इस्लामी नहीं माना क्योंकि – 

  1. अधिकतर आबादी इस्लाम का अनुसरण नहीं करती थी 
  2. मुस्लिम धर्मतत्वज्ञ की अक्सर उपेक्षा की जाती थी 
  3. सुल्तान ने मुस्लिम कानून के साथ- साथ अपने स्वयं के भी नियम बना दिए थे 
  4. गैर- मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता दे दी गई थी 

उत्तर – A 

इतिहासकार बरनी ने दिल्ली के सुल्तानो के अधीन भारत में शासन को वास्तव में इस्लामी नहीं माना है, क्योंकि सल्तनत काल में अधिकतर आबादी इस्लाम का अनुसरण नहीं करती थी। 

122. सल्तनत काल में अधिकांश अमीर एवं सुल्तान किस वर्ग के थे?

  1. तुर्क 
  2. मंगोल 
  3. तातार 
  4. अरब 

उत्तर – A 

सल्तनत काल में अधिकांश अमीर एवं सुल्तान तुर्क वर्ग के थे। सुल्तान केंद्रीय शासन का प्रधान था। इसी तरह सल्तनत काल में प्रायः सभी प्रभावशाली पदों पर नियुक्त व्यक्तियों को अमीर की संज्ञा दी जाती थी। इन अमीरों का प्रभाव उस समय अधिक होता था, जब सुल्तान आयोग्य और निर्बल अथवा अल्पवयस्क होता था। 

123. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए – 

  1. दिल्ली सल्तनत के राजस्व प्रशासन में राजस्व वसूली के प्रभारी को ‘आमिल’ कहा जाता था। 
  2. दिल्ली के सुल्तानो की इक्ता प्रणाली एक प्राचीन देशी संस्था थी।
  3.  ‘मीर बख्शी’ का पद दिल्ली के खलजी सुल्तानों के शासनकाल में अस्तित्व में आया। 

उपर्युक्त में से कौन- सा / से कथन सही है / हैं?

  1. केवल 1 
  2. केवल 1 और 2 
  3. केवल 3 
  4. 1,2 और 3 

उत्तर – A 

दिल्ली सल्तनत में राजस्व प्रशासन में प्रत्येक परगना (ग्रामो का समूह) पर एक आमिल या अमलगुजार की नियुक्ति की जाती थी, जो परगने के राजस्व संग्रह का कार्य करता था। इक्ता प्रणाली भारत की प्राचीन देशी संस्था ना होकर अरब की मौलिक प्रणाली थी, जिसका उद्रभव पश्चिमी एशिया (ईरान) में हुआ था। इसे दिल्ली सल्तनत में इल्तुतमिश द्वारा लागू किया गया था। मीर बख्शी (सैन्य विभाग का प्रमुख और मनसबदारों का प्रमुख) मुगल काल का पद है, न कि सल्तनत काल का  सल्तनत काल में सैन्य विभाग का प्रमुख दीवान-ए-आरिज कहलाता था। 

124. निम्नलिखित में से कौन- सी एक विशिष्टता ‘इक्ता व्यवस्था’ की नहीं है? 

  1. इक्ता एक राजस्व एकत्रित करने की व्यवस्था थी 
  2. सियासतनामा इक्ता  व्यवस्था की जानकारी का स्त्रोत था 
  3. इक्ता से एकत्रित राजस्व सीधा सुल्तान के खाते में जारी थी 
  4. मुक्ति को इक्ता से एकत्रित राजस्व से सैनिक रखने पड़ते थे 

उत्तर – C

भारत में सल्तनत काल के दौरान इल्तुतमिश द्वारा ‘इक्ता प्रणाली’ का प्रचलन किया गया था। इक्ता व्यवस्था के तहत इक्ता के  धारक (इक्तादारी को या मुक्ती) को उस भू- क्षेत्र से राजस्व और करो को एकत्रित करने की जिम्मेदारी दी जाती थी। इक्ता से  एकत्रित राजस्व सीधा सुल्तान के खाते में नहीं जाता था, बल्कि इसी राजस्व से मुक्ति अपने सैन्य और प्रशासनिक व्यय पूरे करता था तथा उसे इस राजस्व से सुल्तान की सेवा हेतु सैनिक रखने पड़ते थे। ख़ालिसा भूमि से प्राप्त आय सीधे सुल्तान के खाते में जाती थी। अबू अली हसन इब्न अली तुसी ‘निजाम अल- मुल्क’ की फारसी पुस्तक ‘सियासतनामा’ में प्रारंभिक इक्ता व्यवस्था का विवरण मिलता है। 

125. निम्नलिखित में से कौन- सा सही रुप में सुमेलित है? 

  1. दीवाने -ए-बंदगान – फिरोज तुगलक 
  2. दीवान-ए-मुस्तखराज – बलबन
  3. दीवान-ए-कोही – अलाउद्दीन खिलजी 
  4. दीवान-ए-अर्ज – मोहम्मद तुगलक 

उत्तर – A 

‘दीवाने-ए-बंदगान’ विभाग का गठन फिरोजशाह तुगलक ने किया। यह विभाग दासों की देखरेख करता था। फिरोज के शासनकाल में दासों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुए। अफीफ के लेखानुसार राजधानी तथा प्रांतों में दासों की संख्या बढ़कर एक लाख 80 हजार हो गई।। अलाउद्दीन खिलजी ने राजस्व व्यवस्था में भ्रष्टाचार और लूट को समाप्त करने के लिए एक नए विभाग  ‘दिवान-ए-मुस्तखराज’ की व्यवस्था की। मुहम्मद बिन तुगलक ने संकट की स्थिति में कृषकों को सहायता प्रदान करने के लिए केंद्र में किस कृषि विभाग (दीवाने-ए-कोही) की स्थापना की। दिवान-ए-अर्ज (सैनिक विभाग) की स्थापना बलबन ने की थी। 

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126. दिल्ली सल्तनत में दीवान-ए-अर्ज विभाग की स्थापना किसने की?

  1. बलबन 
  2. इल्तुतमिश 
  3. अलाउद्दीन खिलजी 
  4. फिरोज तुगलक 

उत्तर – A

दिल्ली सल्तनत में गुलाम वंश के शासक बलबन ने सैन्य व्यवस्था सुदृढ़ करने के उद्देश्य से दीवान- ए- अर्ज विभाग की स्थापना की सर्वप्रथम बलबन ने हीं तत्पर सेना रखने की शुरुआत की। बलबन ने इमादुलमुल्क को दीवार- ए- आरिज (सैन्य मंत्री) नियुक्त किया तथा उसे रावत- ए- अर्ज की उपाधि दी। आरिज विभाग का प्रमुख कार्य सैन्य भर्ती, सेना को अस्त्र-शस्त्र को सुसज्जित करना व  वेतन वितरण आदि था।

127. निम्नलिखित में से कौन एक युग्म  सुमेलित नहीं है?

  1. दीवान-ए-मुस्तखराज   –   अलाउद्दीन खिलजी 
  2. दीवान-ए-अमीरकोही।  –    मोहम्मद तुगलक 
  3. दीवान-ए-खैरात।        –     फिरोज तुगलक 
  4. दीवान-ए-रियासत       –     बलबन 

उत्तर – D 

विकल्पों में दिए गए प्रशासनिक विभागों को प्रारंभ करने वाले शासक इस प्रकार है:

दिवान-ए-मुस्तखराज      –     अलाउदीन खिलजी (राजस्व विभाग) 

दीवान-ए-अमीरकोही      –    मोहम्मद बिन तुगलक (कृषि विभाग) 

दीवान-ए- खैतान           –     फिरोज तुगलक (दान विभाग) 

दीवाने-ए-रियासत          –    अलाउदीन खिलजी (बाजार नियंत्रण विभाग) 

128. सल्तनत काल में ‘दीवान- ए- अमीर- कोही’ विभाग निम्नलिखित में से किससे संबंधित था?

  1. सेना 
  2. राजस्व 
  3. कृषि 
  4. मनोरंजन 

उत्तर – C 

मोहम्मद बिन तुगलक ने कृषि की उन्नति के लिए एक नया विभाग ‘दीवान- ए- अमीर- कोही’ की स्थापना कि। इस विभाग का मुख्य कार्य कृषकों को प्रत्यक्ष सहायता देकर अधिक भूमि कृषि कार्य के अधीन लाना था।

129. निम्नलिखित में से किस शासक ने ‘दीवान- ए- अमीर- कोही’ विभाग की स्थापना की थी?

  1. बलबन 
  2. अलाउद्दीन खिलजी 
  3. मुहम्मद- बिन तुगलक 
  4. फिरोज शाह तुगलक 

उत्तर – C 

उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।

130. ‘दीवान- ए- अर्ज’ विभाग संबंधित था-

  1. शाही पत्रचार से 
  2. विदेश विभाग से 
  3. रक्षा विभाग से 
  4. वित्त विभाग से 
  5. उपरोक्त में से कोई नहीं / उपरोक्त में से एक से अधिक 

उत्तर – C 

‘दीवान- ए- आरिज’ अथवा ‘आरिज- ए- मुमालिक’ सल्तनत काल मे सैन्य विभाग का प्रमुख अधिकारी होता था और ‘आरिज- ए- मुमालिक’ का विभाग ही ‘दीवान- ए- अर्ज’ कहलाता था। इस विभाग की स्थापना की बलबन ने की थी।

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131. निम्नलिखित में कौन भूमि- उत्पाद पर लगाने वाले कर को इंगित करता है?

  1. खराज 
  2. ख़ुम्स 
  3. उश्र 
  4. मुक्तई 

अपने उत्तर का चयन निम्नलिखित कूटों से करें- 

  1. केवल 1 
  2. 2 एवं 3 
  3. 1,2 एवं 3 
  4. 1,3 एवं 4

उत्तर – D

‘ख़ुम्स’ भूमि उत्पाद पर लगने वाला कर नहीं था, अपितु यह एक धर्म निरपेक्ष कर था। खुम्स लूट का धन था। जो युद्ध में शत्रु राज्य की जनता से लूट में प्राप्त होता था। इस लूट का 4/5 भाग सैनिकों में बांट दिया जाता था और शेष 1/5 भाग राजकोष में जमा होता था, किंतु अलाउद्दीन खिलजी और मोहम्मद बिन तुगलक ने 4/5 भाग राजकोष में रखा और शेष 1/5 सैनिकों में बांटा। सिकंदर लोदी ने गड़े हुए खजाना से कोई हिस्सा नहीं लिया। खुम्स के अलावा सभी भूमि- उत्पाद पर लगाने वाले कर को इंगित करते हैं।

132. भारत के किस मध्यकालीन शासक ने “इक्ता व्यवस्था” प्रारंभ की थी?

  1. इल्तुतमिश 
  2. बलबन 
  3. अलाउद्दीन खिलजी 
  4. उपरोक्त में से कोई नहीं 

उत्तर -A

भारत में इक्ता व्यवस्था की शुरुआत इल्तुतमिश ने की थी। यह हस्तांतरणीय लगान अधीन्यास था। यह भूमि का एक विशेष खंड होता था, जो सैनिक या सैनिक अधिकारियों को प्रदान किया जाता था किंतु वे इस भूभाग के मालिक नहीं होते थे। वे केवल लगान का ही उपभोग कर सकते थे। 

133. सल्तनत काल में भू- राजस्व का सर्वोच्च ग्रामीण अधिकारिता था-

  1. चौधरी 
  2. रावत 
  3. मलिक 
  4. पटवारी 

उत्तर – A

सल्तनत काल में शासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी, जो स्वशासन तथा पैतृक अधिकारियों की व्यवस्था के अंतर्गत थी। ग्राम स्तर पर चौधरी भू- राजस्व का सर्वोच्च अधिकारी था। इस प्रकार राज्य कर्मचारियों का किसानों से प्रत्यक्ष न था बल्कि वे वंशानुगत और परंपरा से चले आ रहे गांव अथवा जिले के अधिकारियों से संपर्क रखते थे और किसानों से लगान वसूल कर उन्हें देते थे। मुक्ति और वली के कार्यों की देखभाल के लिए सुल्तान ख्वाजा नामक एक अधिकारी की नियुक्त करता था।

134. ‘शर्ब’ कर लगाया जाता था – 

  1. व्यापार पर 
  2. सिंचाई पर 
  3. गैर- मुसलमानों पर 
  4. उद्योग पर 

उत्तर – B 

फिरोज तुगलक ने कुरान के नियमों को दृष्टि में रखकर कर निर्धारण किया। उसने कुरान में अनुमोदित चार कर लगाने की अनुमति दी- खराज, जजिया, खुम्स एवं जकात धार्मिक नियमों के विद्वानों से परामर्श कर उसने खेतों की उपज के दस प्रतिशत की दर से सिंचाई कर (शर्ब) भी लगाया। फिरोज तुगलक ने अपने समय में 28 कष्टदायक करो को समाप्त कर दिया था।

135. जवाबित का संबंध किससे था?

  1. राज्य कानून से 
  2. मनसब प्रणाली को नियंत्रित करने वाले कानून से 
  3. टकसाल से संबंधित कानून 
  4. कृषि संबंधित कर 

उत्तर – A

सल्तनत कालीन प्रशासनिक शब्दावली में जबाबित का संबंध राज्य के कानून से है।

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136. हदीस है एक –

  1. इस्लामिक कानून 
  2. बंदोबस्त कानून 
  3. सल्तनत कालीन कर 
  4. मनसबदार 
  5. इनमें से कोई नहीं 

उत्तर – A

हदीस एक इस्लामिक कानून है। इस्लाम धर्म के मूल स्रोत ‘कुरान’ के बाद दूसरा स्रोतों ‘हदीस’ है। दोनों को मिलाकर इस्लाम धर्म की संपूर्ण व्याख्या और इस्लामी शरीअत की संरचना होती है।

137. सल्तनत काल में ‘फवाजील’ का अर्थ था?

  1. अभिजात वर्ग(Nobles) को दिया जाने वाला अतिरिक्त भुगतान 
  2. वेतन के बदले में निर्धारित मालगुजारी 
  3. इक्तादारों द्वारा सरकारी खजाने में जमा की जाने वाली अतिरिक्त राशि 
  4. कृषिको से की जाने वाली गैर- कानूनी जबरी वसूली 

उत्तर – C

सल्तनत काल में ‘फवाजिल’ या ‘फाजिल’ शब्द से आशय इक्तादारो द्वारा सरकारी खजाने में जमा की जाने वाली अतिरिक्त राशि से है।

138. सल्तनत काल की दो प्रमुख मुद्राओं का पता निम्नलिखित कूट से करें –

  1. दाम 
  2. जीतल 
  3. रुपिया 
  4. टंका 

कूट:  

  1. 1 और 2 
  2. 1 और 3 
  3. 2 और 3 
  4. 2 और 4 

उत्तर – D 

सल्तनत कालीन दो प्रमुख मुद्राएं हैं- जीतल एवं टंका। इल्तुतमिश पहला तुर्क शासक था, जिसने शुद्ध अरबी सिक्के चलाए। मुद्रा प्रणाली में उसका योगदान दिल्ली सल्तनत के शासकों के सर्वाधिक है, क्योंकि उसी ने दो प्रमुख सिक्के अर्थात चांदी का टंका और तांबे का जीतल प्रचलित किया। शशगनी भी चांदी का सिक्का था। टंका एवं जीतल का अनुपात 1:48 का था। 

139. उत्तर भारत में चांदी का सिक्का ‘टंका’ जारी करने वाला कौन मध्यकालीन शासक था?

  1. इल्तुतमिश 
  2. रजिया 
  3. अलाउद्दीन खिलजी 
  4. मोहम्मद तुगलक 

उत्तर – A 

उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।

140. किसके सिक्कों पर बगदाद के अंतिम खलीफा का नाम सर्वप्रथम अंकित हुआ?

  1. कुतुबुद्दीन ऐबक 
  2. इल्तुतमिश 
  3. अलाउद्दीन खिलजी 
  4. अलाउदीन मसूद शाह 

उत्तर – D 

अलाउद्दीन मसूद शाह (1242- 46 ई.) के सिक्के पर सर्वप्रथम बगदाद के अंतिम खलीफा का नाम अंकित हुआ था। बगदाद के अंतिम खलीफा अल मुस्तसिम थे। यह 1242- 58 ई. तक खलीफा रहे। इल्तुतमिश के सिक्के पर खलीफा अल मुस्तनसीर का नाम उल्लिखित था, जो 1226- 42 ई. तक खलीफा रहे।

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सामान्य ज्ञान भारतीय इतिहास दिल्ली सल्तनत-प्रशासन quiz : Medieval History Quiz Part-7 के रूप में सामान्य ज्ञान और सामान्य जागरूकता प्रश्न और उत्तर की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। ये भारतीय इतिहास मॉक टेस्ट उन सभी विषयों को कवर करते हैं जो सभी छात्रों के लिए किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

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