Bhashayi Aadhar Per Rajyo Ka Punergathan : भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन (Make Complete Notes Class 10) | UPSCSITE

Bhashayi Aadhar Per Rajyo Ka Punergathan Complete Notes For UPSC & PCS : भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन

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Bhashayi Aadhar Per Rajyo Ka Punergathan : भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन

Class 10 भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन

~स्वतंत्रता के पूर्व कांग्रेस दल राजनीतिक कारणों से भाषा के आधार पर राज्यों के पुर्नगठन की मांग का समर्थन करते थे।

~तेलगु, कन्नड़ तथा मराठी भाषी जनता के दबाव में संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस. के. धर की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय भाषाई प्रांत आयोग का गठन किया। आयोग ने 10 दिसम्बर 1948 को अपनी रिपोर्ट संविधान सभा को सौंपा, जिसमें भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का विरोध और प्रशासनिक सुविधा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का समर्थन किया गया।

~इस रिपोर्ट के प्रति जनता की प्रतिक्रिया के कारण कांग्रेस कार्य समिति ने अपने जयपुर अधिवेशन में भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के मामले पर विचार करने के लिए जवाहरलाल नेहरू, बल्लभी भाई पटेल तथा पट्टाभि सीतारमैया की एक समिति गठित की। इस समिति ने भाषायी आधार पर राज्यों के पुर्नगठन की मांग को खारिज कर दिया।

~नेहरू, पटेल तथा सीताभीमैया समिति की रिपोर्ट के बाद मद्रास राज्य के तेलगु भाषियों ने पोट्टी श्री रामुल्लू के नेतृत्व आंदोलन प्रारम्भ कर दिया।

~रामुल्लू की 56 दिन के लगातार आमरण अनशन के बाद 15 दिसम्बर 1952 को उनकी मृत्यु हो गयी।

~रामुल्लू की मृत्यु के बाद आंदोलन की तीव्रता के कारण प्रधानमंत्री नेहरू ने 19 दिसम्बर 1952 को तेलुगु भाषियों के लिए आन्ध्र प्रदेश के गठन की घोषणा कर दी।

~1 अक्टूबर 1953 को आन्ध्र प्रदेश राज्य का गठन हो गया, जो भाषा के आधार पर गठित भारत का पहला राज्य था। 

~केन्द्र सरकार ने 22 दिसम्बर 1953 को न्यायमूर्ति फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग की घोषणा की। ‘अन्य सदस्य थे- पं. हृदयनाथ कुंजरू और के. एम. पणिक्कर। 

Bhashayi Aadhar Per Rajyo Ka Punergathan : भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन

~आयोग की सिफारिशें- 

(1) केवल भाषा तथा संस्कृति के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन नहीं किया जाना चाहिए। 

(2) राज्यों का पुनर्गठन करते समय राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विकास को भी ध्यान में रखना चाहिए। 

(3) भारतीय संघ को 16 राज्यों एवं 3 संघ राज्यक्षेत्रों में विभाजित करना चाहिए।

~राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश के आधार पर 1956 में 14 राज्यों और पांच संघ राज्य क्षेत्रों का गठन किया गया। 

~28 मई 1956 को भारत और फ्रांस के बीच एक संधि हुई, जिसके अनुसार फ्रांस ने अपने उपनिवेश क्षेत्र चन्द्रनगर, माहे, यनाम और ‘कारकल’ भारत को सौंप दिया। इन सभी को मिलाकर छठवां संघ राज्य क्षेत्र पाण्डिचेरी का गठन किया गया।

~गोवा मुक्ति संग्राम की उग्रता कारण भारत सरकार ने 1961 में सैनिक हस्तक्षेप करके गोवा, दमन तथा दीव को जीतकर भारत में मिला लिया और इसे सातवां संघ राज्य क्षेत्र बनाया गया।

~मुम्बई पुनर्गठन अधिनियम 1960 द्वारा मुम्बई राज्य को दो भागों-गुजरात तथा महाराष्ट्र में विभाजित कर दिया गया। 

Bhashayi Aadhar Per Rajyo Ka Punergathan : भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन

संविधान संशोधन तथा राज्यों का गठन

~सातवां संशोधन 1956- केन्द्र को भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की शक्ति देने के लिए।

~10वां संशोधन 1961- दादरा एवं नगर हवेली को संघ राज्य क्षेत्र बनाने के लिए।

~12वां संशोधन 1962- गोवा, दमन तथा दीव को भारत में शामिल कर संघ राज्य क्षेत्र बनाने के लिए।

~13वां संशोधन 1962- नागालैण्ड को राज्य का दर्जा प्रदान करने के लिए।

~14वां संशोधन 1962- पांडिचेरी के लिए अनुच्छेद 239 जोड़कर विधान सभा तथा मंत्रिमण्डल के गठन हेतु प्रावधान। 

~18वां संशोधन 1966- पंजाब तथा हरियाणा को राज्य तथा हिमाचल प्रदेश को संघ राज्य क्षेत्र बनाने के लिए।

~22वां संशोधन 1969- मेघालय को राज्य का दर्जा प्रदान करने के लिए।

~27वां संशोधन 1975- मणिपुर तथा त्रिपुरा को राज्य तथा मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश को संघ राज्य क्षेत्र बनाने क लिए।

~36वां संशोधन 1975- सिक्किम को 22वां राज्य बनाने के लिए।

~53वां संशोधन 1986- मिजोरम को 23वां राज्य बनाने के लिए।

~55वां संशोधन 1986- अरुणाचल प्रदेश को 24वां राज्य बनाने के लिए।

~56वां संशोधन 1987- गोवा को 25वां राज्य बनाने के लिए।

~1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़, 26वें राज्य, 9 नवम्बर 2000 को उत्तरांचल (अब उत्तराखण्ड) 27वें राज्य और 15 नवम्बर 2000 को झारखण्ड 28वें राज्य के रूप में स्थापित किया गया।

~2 जून 2014 को तेलंगाना औपचारिक तौर पर देश का 29वां राज्य बन गया। के. चन्द्रशेखर राव तेलंगाना के प्रथम मुख्यमंत्री बने।

~वर्तमान में भारतीय संघ में 29 राज्य और 7 संघ राज्य क्षेत्र शामिल हैं।

~क्षेत्रीय परिषद्- राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की धारा 15 में क्षेत्रीय परिषद् का प्रावधान किया गया। वर्तमान में पांच क्षेत्रीय परिषद् हैं। इन परिषदों के गठन का आधार देश की प्राकृतिक एवं भौगोलिक स्थिति, आर्थिक विकास की आवश्यकताएं, सांस्कृतिक एवं भाषायी सम्पर्क, नदी व्यवस्था, संचार के साधन तथा सुरक्षा की आवश्यकता रही है।

~इन क्षेत्रीय परिषदों का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। केन्द्रीय गृहमंत्री या राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत कोई भी केन्द्रीय मंत्रीय इस परिषद के अध्यक्ष होते हैं तथा सम्बंधित राज्यों के मुख्यमंत्री उपाध्यक्ष होते हैं, जो प्रतिवर्ष बदलते हैं।

~क्षेत्रीय परिषद् का मुख्य कार्य विघटनकारी तत्व को कमजोर करना और एकता का संचार करना है।

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~क्षेत्रीय परिषद् एवं उनके अन्तर्गत शामिल राज्य:-

1.उत्तरी क्षेत्रीय परिषद्- जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान राज्य तथा चण्डीगढ़ एवं दिल्ली संघ राज्यक्षेत्र। 

मुख्यालय- नई ई दिल्ली।

2. मध्य क्षेत्रीय परिषद्- उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखण्ड एवं छत्तीसगढ़। मुख्यालय- इलाहाबाद।

3.पूर्वी क्षेत्रीय परिषद्- बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़ीसा, असोम, सिक्किम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैण्ड, अरुणाचल -प्रदेश तथा मिजोरम | मुख्यालय- कलकत्ता।

4. पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद्- गुजरात, महाराष्ट्र तथा दादरा-नगर हवेली संघ राज्य क्षेत्र, मुख्यालय मुम्बई ।

5.दक्षिण क्षेत्रीय परिषद् – आन्ध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक तथा तमिलनाडु राज्य एवं पण्डिचेरी संघ राज्य क्षेत्र मुख्यालय- चेन्नई।

~इसके अतिरिक्त पूर्वोत्तर परिषद अधिनियम 1971 के अधीन एक पूर्वोत्तर परिषद भी बनाई गई है जो कि असम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश तथा मिजोरम की

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भारतीय संविधान में ‘विशेष राज्य’ का दर्जा प्राप्त ‘राज्य’

1969 ई. (1) असम, (2) नागालैण्ड, (3) जम्मू-कश्मीर। 

1971 ई. (4) हिमाचल प्रदेश।

1972 ई. (5) मणिपुर, (6) मेघालय, (7) त्रिपुरा। 1975-76 ई. (8) सिक्किम ।

1987-88 ई. (9) मिजोरम (10) अरुणाचल प्रदेश और सम्मिलित समस्याओं पर विचार विमर्श करती है। 23 नवम्बर 2002 को सिक्किम को भी पूर्वोत्तर परिषद में शामिल किया गया और इसे पूर्वी क्षेत्रीय परिषद से हटाने की प्रक्रिया गृह मंत्रालय द्वारा आरम्भ कर दी गई है।

~प्राप्तियां- विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को 90% अनुदान और 10% ऋण उदार शर्तों पर दी जाती है।

~राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देने का कार्य डी. आर. गाडगिल फार्मूले के आधार पर शुरू किया गया था।

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