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Citizenship (Part-II Article 5 to 11) : नागरिकता (भाग-2 अनुच्छेद 5 से 11) क्लास नोट्स (Make Complete Notes Class 11) | UPSCSITE

Citizenship (Part-II Article 5 to 11) Complete Notes For UPSC & PCS : नागरिकता (भाग-2 अनुच्छेद 5 से 11) क्लास नोट्स (Make Complete Notes Class 11)

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Citizenship (Part-II Article 5 to 11) : नागरिकता (भाग-2 अनुच्छेद 5 से 11) क्लास नोट्स

Class 11. नागरिकता ( भाग-2 अनुच्छेद 5 से 11 )

~नागरिकता का विषय संघीय सूची में रखा गया है, किन्तु नागरिकता की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है।

~भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान है। 

~अनुच्छेद 11 संसद को भविष्य में नागरिकता के संबंध में कानून बनाने का अधिकार प्रदान करता है। इसी आधार पर भारतीय नागरिकता अधिनियम-1955 प्रस्तुत किया गया।

नागरिकता का प्रावधान:-

~जन्म द्वारा- 26 जनवरी 1950 के बाद भारत में जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति भारत का नागरिक होगा, किन्तु नागरिकता संशोधन अधिनियम 1986 के बाद भारत के राज्यक्षेत्र में जन्म लेने वाला कोई व्यक्ति तब भारत का नागरिक होगा, जब उसके माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो।

~देशीकरण द्वारा- कोई भी विदेशी व्यक्ति जो अपने देश की नागरिकता का परित्याग कर चुका हो, 12 वर्ष से लगातार भारत में रह रहा हो और वह राज्यनिष्ठ एवं अच्छे चरित्र हो तो भारत सरकार को आवेदन देकर भारत का नागरिक बन सकता है।

~वंश परंपरा द्वारा- भारत के बाहर अन्य देश में 26 जनवरी 1950 के पश्चात् जन्म लेने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा, यदि उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो। माता की नागरिकता के आधार पर विदेश में जन्म लेने वाले व्यक्ति को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान नागरिकता संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा किया गया है।

~पंजीकरण द्वारा- जो व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है वह पंजीकरण द्वारा भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकता है। पंजीकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को इसके लिए नियुक्त प्राधिकारी के समक्ष विहित प्रारूप में आवेदन करना होता है। पंजीकरणकर्ता के लिए यह आवश्यक है कि वह कम से कम 5 वर्ष तक भारत में निवास किया  हो।

~अर्जित भू-भाग के विलयन द्वारा- यदि किसी नये भू-भाग को भारत में शामिलन किया जाता है तो उस क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को स्वतः भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।

~भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम 1986- भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 बहुत उदार था। जम्मू-कश्मीर तथा असम जैसे राज्यों में घुसपैठियों ने अनाधिकृत रूप से प्रवेश का अनुचित लाभ उठाया। इसी कारण यह संशोधन पारित किया गया।

~नागरिकता कानून में संशोधन 1992- इसके द्वारा नागरिकता के प्रसंग में बच्चे के माता को पिता के समकक्ष स्थिति प्रदान कर दी गयी।

~प्रवासी भारतीयों की नागरिकता संबंधी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2003- यह विधेयक लक्ष्मीमल सिंघवी की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया था। 25 अगस्त 2004 को केन्द्र सरकार ने भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों को दोहरी नागरिकता का लाभ दिलाने के लिए नागरिकता नियमावली 2004 संबंधी अधि सूचना जारी की। इसके तहत बंग्लादेश एवं पाकिस्तान को छोड़कर वैसे सभी प्रवासी भारतीय को यह नागरिकता प्राप्त होगी बशर्ते वह जिस देश में रह रहा है वहां दोहरी नागरिकता का प्रावधान हो। इस प्रकार के नागरिकों को भारत सरकार की सेवाओं में रोजगार, मतदान और संवैधानिक पद पाने के अतिरिक्त शेष सारे अधिकार प्राप्त होंगे।

~भारतीय नागरिकता का अंत- यदि किसी व्यक्ति ने किसी अन्य देश की नागरिकता स्वीकार कर ली हो, नागरिकता का परित्याग कर दिया हो या सरकार द्वारा उसकी नागरिकता छीन ली गयी हो।

~नागरिकता के लिए जम्मू- कश्मीर का विशेषाधिकार- जम्मू कश्मीर राज्य के विधानमंडल को राज्य में स्थायी रूप से निवास करने वाले व्यक्ति को विशेषाधिकार प्रदान करने की शक्ति प्रदान की गयी है-

(1) राज्य के अधीन नियोजन के संबंध में।

(2) राज्य में स्थायी रूप से बस जाने के संबंध में।

(3) छात्रवृत्तियों अथवा इसी प्रकार की सहायता जो सरकार प्रदान करे, के संबंध में।

(4) राज्य में अचल सम्पत्ति के अर्जन के सम्बंध में।

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