Important Indian National Congress Sessions Quiz : Modern History Quiz Part-18 | UPSCSITE

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नमस्कार दोस्तों, UPSC SITE आपके लिए लेकर आया है आधुनिक भारत का इतिहास के Important Indian National Congress Sessions Quiz : Modern History Quiz Part-18 – Objective Question Answer, जिनकी प्रैक्टिस आप ऑनलाइन कर सकते है। हमारे संग्रह टेस्ट्स को प्रैक्टिस करने के बाद आपको अपनी तैयारी में अंतर समझ आने लग जायेगा। क्यूंकि हमने यहां पर केवल उन्ही प्रश्नो को सम्मिलित किया है जो किसी न किसी परीक्षा में पहले पूछे जा चुके है। लगभग भारत की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न बार – बार दोहराये जाते रहें है।

Important Indian National Congress Sessions Quiz : Modern History Quiz Part-18

यहां टॉपिक वाइज प्रश्नोत्तरी दिए गए हैं जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले सभी एस्पिरेंट्स के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण एवं लाभदायक साबित होने वाली है। यह ‘आधुनिक भारत का इतिहास’ Important Indian National Congress Sessions Quiz : Modern History Quiz Part-18 की टेस्ट सीरीज सभी एस्पिरेंट्स के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के पैटर्न के अनुसार स्मार्ट स्टडी करने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होने वाली है।

341. 18 वर्ष की आयु में स्नातक, 20 वर्ष की आयु में प्रोफेसर तथा सुधाकर के संपादक, 25 वर्ष की आयु में सर्वजनिक सभा और प्रांतीय सम्मेलन के मंत्री, 29 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय कांग्रेस के मंत्री, 31 वर्ष की आयु में महत्वपूर्ण रॉयल कमीशन के सक्षम अग्रणी प्रवाह, 34 वर्ष की आयु में प्रांतीय विधायक, 36 वर्ष की आयु में इम्पीरियल विधायक 39 वर्ष की आयु में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष—— एक देश भक्त जिसे महात्मा गांधी ने स्वयं अपना गुरु माना है।” इन शब्दों में एक जीवनीकार ने वर्णन किया है- IAS(Pre)1997 

  1. पंडित मदन मोहन मालवीय का 
  2. महादेव गोविंद रानाडे का 
  3. गोपाल कृष्ण गोखले का 
  4. बाल का बाल गंगाधर तिलक का 

उत्तर – C 

गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई, 1866 को रत्नागिरी (महाराष्ट्र) के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। 1884 ई. में बी.ए. पास करने के बाद (18 वर्ष में) वह रानाडे द्वारा स्थपित दक्कन शिक्षा सभा (Daccan Education Society) में सम्मिलित हो गए। उन्होंने 20 वर्ष तक इस सभा की सेवा भिन्न-भिन्न रूपों में की अर्थत विद्यालय के मुख्य अध्यापक, फगर्यूसन कॉलेज पूना के प्राध्यापक के रुप में और फिर प्रिंसिपल के रूप में। पहली बार 1889 ई. में इलाहाबाद कांग्रेस अधिवेशन के मंच से राजनीति में भाग लिया, 1897 में उन्हें और वाचा को भारतीय व्यय के लिए नियुक्त वेल्बी आयोग के सम्मुख साक्ष्य देने को कहा गया।

वर्ष 1902 में वह बंबई में संविधान परिषद के लिए और कालांतर में Imperial Legislative Council के लिए चुने। अपने राजनैतिक दर्शन के वह सच्चे उदारवादी थे। वह समभाव और मृदृ न्यायप्रियता में विश्वास करते थे। उन्हें पूर्ण विश्वास था कि देश का पुनरुद्धार राजनैतिक उत्तेजना के बवंडरों में नहीं हो सकता। वे साध्य और साधन दोनों की पवित्रता में विश्वास करते थे। इन्हीं कारणों से महात्मा गांधी उनसे प्रभावित हुए और उनके राजनीतिक शिष्य बन गया। 

342. गोपाल कृष्ण गोखले ने कांग्रेस के लिए अधिवेशन में अध्यक्षता की? UP Lower(Pre)2003, UP Lower Sub(Pre)2004 

  1. 1902 
  2. 1905  
  3. 1906 
  4. 1909 

उत्तर – B

 गोपाल कृष्ण गोखले ने कांग्रेस के बनारस अधिवेशन (1905) की अध्यक्षता की। 

343. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1905 के बनारस अधिवेशन का अध्यक्ष कौन था? UPPCS(Pre)1999 

  1. सुरेंद्रनाथ बनर्जी 
  2. फिरोजशाह मेहता 
  3. गोपाल कृष्ण गोखले 
  4. दिनशा वाचा 

उत्तर – C

344. निम्नलिखित में से किस नेता ने 1906 में कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की थी? BPSC(Pre)2000 

  1. बाल गंगाधर तिलक 
  2. गोपाल कृष्ण गोखले 
  3. अरबिंद घोष 
  4. दादाभाई नौरोजी 

उत्तर – D 

वर्ष 1906 कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी में विभाजन की नौबत आ गई थी, लेकिन दादाभाई नौरोजी के अध्यक्ष बनने से संभावित विभाजन उस समय टल गया। दादाभाई नौरोजी को लगभग सभी राष्ट्रवादी एक सच्चे देशभक्त मानते थे। राजनीतिक विचारों से दादाभाई पूर्ण राजभक्त थे। वह समझते थे कि भारत में अंग्रेजी राज्य से बहुत लाभ हुआ है और वह इस साहचर्य (Association) के सदा बने रहने में अभिरूचि रखते थे। राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में ही पहली बार दादाभाई ने स्वराज की मांग की। 

345. स्वराज को बतौर राष्ट्रीय मांग के रूप में सर्वप्रथम रखा था- UKPCS(Pre)2002 

  1. बी.जी. तिलक ने 
  2. सी.आर. दास ने 
  3. दादाभाई नौरोजी ने 
  4. महात्मा गांधी ने 

उत्तर – C

वर्ष 1906 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में कांग्रेस के मंच से स्वराज की मांग पहली बार करने का श्रेय दादाभाई नौरोजी को है। 

Important Indian National Congress Sessions Quiz

346. कांग्रेस के मंच से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में प्रथम बार ‘स्वराज’ शब्द व्यक्त किया गया था? UPPCS(Pre)2014 

  1. बनारस अधिवेशन, 1905 
  2. कलकत्ता अधिवेशन, 1906  
  3. सूरत अधिवेशन, 1907 
  4. उपर्युक्त में से कोई नहीं 

उत्तर – B

कांग्रेस के मंच से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन, 1906 में प्रथम बार ‘स्वराज’ शब्द दादाभाई नौरोजी द्वारा व्यक्त किया गया था। दादाभाई नौरोजी ने ‘स्वराज’ शब्द की व्याख्या करते हुए इसे कोलकत्ता अधिवेशन, 1906 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लक्ष्य बताया था। प्रारंभ में उ.प्र. लोक सेवा आयोग ने इस प्रश्न का उत्तर विकल्प (2) माना था, परंतु संशोधित उत्तर-पत्रक में इस प्रश्न के उत्तर को निरस्त कर दिया गया। स्वराज शब्द को अभिव्यक्त करने की तिथियों में भिन्नता मिलती है। इस लिए उत्तर निरस्त कर दिया गया। 

347. ‘स्वराज’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? UPRO ARO(Mains)2013 

  1. बाल गंगाधर तिलक ने 
  2. लाला लाजपत राय ने 
  3. एस.सी. बोस ने 
  4. महात्मा गांधी ने 

उत्तर – D

बाल गंगाधर तिलक का कथन था कि “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा”। हालांकि ‘स्वराज’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग दयानंद सरस्वती ने किया था। किंतु दिए गए विकल्पों में तिलक ने ही पहली बार स्वराज की मांग का समर्थन किया। 

348. दादाभाई नौरोजी आमतौर पर किस नाम से जाने जाते थे? UPPCS(Pre)1991 

  1. पंजाब केसरी 
  2. गुजरात रत्न 
  3. गुरुदेव 
  4. ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया 

उत्तर – D

दादाभाई नौरोजी को लोग श्रद्धा से ‘भारत के वयोवृद्ध नेता’ (Grand Old Man of India) के नाम से स्मरण करते हैं। 1892 ई. में वे पहले भारतीय थे, जो उदारवादी दल की ओर से फिंसबरी से ब्रिटिश संसद के सदस्य चुने गए। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1886 ई., 1893 ई. और वर्ष 1906 में अध्यक्ष भी रहे। सी.वाई. चिंतामणि ने दादाभाई नौरोजी के विषय में कहा था कि “भारत के सार्वजनिक जीवन को अनेक बुद्धिमान और नि:स्वार्थ नेताओं ने सुशोभित किया है, परंतु हमारे युग में कोई भी दादाभाई नौरोजी जैसा नहीं था।” दूसरी और गोखले ने कहा था- “यदि उसमें कहीं देवत्व है, तो वह दादाभाई में है।”  

349.भारत में ‘ग्रैंड ओल्ड मैन’ की संज्ञा किसे दी जाती है? UKUDA LDA(Pre)2007 

  1. दादाभाई नौरोजी 
  2. गोपाल कृष्ण गोखले 
  3. रमेश चंद्र बनर्जी 
  4. सर सैयद अहमद खां 

उत्तर – A

350. इसमें से किसे ‘दि ग्रैंड ओल्ड मैन’ के नाम से जाना जाता है? UPRO ARO(Pre)2014 

  1. खान अब्दुल गफ्फार खां 
  2. डब्ल्यू.सी. बनर्जी 
  3. दादाभाई नौरोजी 
  4. मोतीलाल नेहरू 

उत्तर – C 

Important Indian National Congress Sessions Quiz

351. निम्नलिखित में से कौन खत्म दादाभाई नौरोजी के विषय में स्तय नहीं है? UP Lower Sub(Pre)2008 

  1. उन्होंने पॉवर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया’ पुस्तक लिखी थी। 
  2. उन्होंने गुजराती के प्रोफेसर के रूप में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कार्य किया था। 
  3. उन्होंने मुंबई में महिला शिक्षक की नींव रखी थी 
  4. वे ब्रिटिश पार्लियामेंट के सदस्य के रूप में अनुदारवादी पार्टी के टिकट पर चुने गए थे। 

उत्तर – D

दादाभाई नौरोजी 1892 ई. में ब्रिटिश पार्लियामेंट के सदस्य के रूप में उदारवादी पार्टी (Liberal Party) के टिकट पर चुने गए थे। अतः कथन (4) सही नहीं है, अन्य तीनों कथन सत्य हैं। 

352. दादाभाई नौरोजी के विषय में निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन असत्य हैं? UPPCS(Pre)2014  

  1. वह पहले भारतीय थे, जो एलफिंस्टन कॉलेज, बंबई में गणित एवं भौगोलिक के प्रोफेसर नियुक्त हुए थे। 
  2. 1892 में उन्हें ब्रिटिश पार्लियामेंट का एक सदस्य निर्वाचित किया गया था। 
  3. उन्होंने एक गुजराती पत्रिका, ‘रास्त गोफ्तार’ का आरंभ किया था। 
  4. उन्होंने चार बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष की थी। 

उत्तर – D 

दादाभाई नौरोजी पहले भारतीय थे जो एलफिंस्टन कॉलेज, बंबई में गणित एवं भौतिकी के प्रोफेसर नियुक्त हुए थे। 1892 से 1895 ई. तक ये उदारवादी दल से ब्रिटिश पार्लियामेंट के सदस्य रहे। इन्होंने एक गुजरात पत्रिका ‘रास्त गोफ्तार’ की शुरुआत 1851 ई. की थी। दादाभाई नौरोजी ने 1886 ई. , 1893 ई. तथा वर्ष 1906 में कुल तीन बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षता की थी। 

353. ब्रिटिश पार्लियामेंट में चुना जाने वाला प्रथम भारतीय कौन था? UPPCS(Pre)1992 

  1. रासबिहारी बोस 
  2. सुरेंद्र नाथ बनर्जी 
  3. दादाभाई नौरोजी 
  4. विट्ठलभाई पटेल 

उत्तर – C

दादाभाई नौरोजी (Grand Old Man of India) प्रथम भारतीय थे, जो 1892 ई. में उदारवादी दल की ओर से फिंसबरी से ब्रिटिश संसद के सदस्यों चुने गए। अपने लंदन प्रवास (1855-69) के दौरान दादाभाई नौरोजी ने अंग्रेजों को भारतीयों की समस्याओं से अवगत करने के उद्देश्य से- ‘लंदन इंडियन सोसाइटी’ (1865) तथा ‘ईस्ट इंडिया एसोसिएशन (1866) नामक संस्थाएं स्थापित की थीं। 

354. नरम दल और गरम दल के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विभाजन किस अधिवेशन में हुआ? UPPCS(Pre)1990 

  1. बंबई 
  2. सूरत 
  3. इलाहाबाद 
  4. लाहौर 

उत्तर – B

वर्ष 1907 में सूरत में आयोजित कांग्रेस के 23वें वार्षिक अधिवेशन में उदारवादीयों और उग्रवादियों में अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस का विभाजन हो गया। उग्रपंथी जहां लाला लाजपत राय को अध्यक्ष बनाना चाहते थे, वहीं उदारवादी रासबिहारी घोष को अध्यक्ष बनाना चाहते थे। अंततः रासबिहारी घोष अध्यक्ष बनने में सफल हुए। सम्मेलन में उग्रवादियों द्वारा वर्ष 1906 में पास करवाए गए प्रस्ताव- स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा और स्वशासन के प्रयोग को लेकर विवाद और गहरा हो गया और अंतत: दोनों पक्षों में खूले संघर्ष के बाद कांग्रेस में पहला विभाजन हो गया। 

355. भारतीय कांग्रेस कहां पर उदारवादियों एवं उग्रवादियों दो भागों में विभाजित हो गई? UPPCS(Mains)2012 

  1. सूरत अधिवेशन, 1907 
  2. लाहौर अधिवेशन, 1909 
  3. कलकत्ता अधिवेशन, 1911 
  4. कराची अधिवेशन, 1913 

उत्तर – A

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356. 1907 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सूरत के वार्षिक अधिवेशन के अध्यक्ष थे-  UPUDA LDA(Pre)2010, UPPCS(Mains)2007 

  1. दादाभाई नौरोजी 
  2. बाल गंगाधर तिलक 
  3. गोपाल कृष्ण गोखले 
  4. आर.बी घोष 

उत्तर – D

357. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वर्ष 1906 में विख्यात कलकत्ता अधिवेशन में चार संकल्प पारित किए गए थे। सूरत में 1907 में हुए कांग्रेस के अगले अधिवेशन में इन चारों संकल्पों को स्वीकार करने अथवा उन्हें अस्वीकृत करने के प्रश्न पर कांग्रेस में विभाजन हो गया था। निम्नलिखित में से कौन-सा एक संकल्प इन चारों संकल्पो में नहीं था? IAS(Pre)2010 

  1. बंगाल के विभाजन को रद्द करना 
  2. बहिष्कार (बॉयकॉट) 
  3. राष्ट्रीय शिक्षा 
  4. स्वदेशी 

उत्तर – A

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358. बीसवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में कांग्रेस में विभाजन की प्रक्रिया शुरू हुई- BPSC(Pre)2015 

  1. कांग्रेस आंदोलन की राजनीतियों पर 
  2. कांग्रेस आंदोलन के उद्देश्यों पर 
  3. कांग्रेस आंदोलन में लोगों की भागीदारी पर 
  4. उपर्यूक्त सभी 

उत्तर – D

बीसवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में कांग्रेस के विभाजन का एक प्रमुख कारण नरमपंक्तियों का अपने रणनीतियों, उद्देश्यों और आम जनता को अपने साथ रख पाने में असफल होना था। नरमपंथीयों ने आम जनता के बीच काम नहीं किया। नरमपंथी राजनीतिक घटनाक्रमों के अनुसार अपनी रणनीति में फेरबदल नहीं कर पाते थे। वे यह महसूस न कर सके कि उनकी उपलब्धियों ने उनकी राजनीति को अव्यवहारिक बना दिया।

नरमपंथी और गरमपंथी के सोच और अनुमान पारस्परिक मतभेद के दृष्टिकोण और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण दोनों से ही गलत थे। नरमपंथी यह समझ नहीं पाए कि सरकार गरमपंथी के भय के कारण ही उनसे बातचीत कर रही है और गरमपंथी यह नहीं समझ पाए कि उनके संघर्ष में नरमपंथी उनके लिए कवच का काम कर सकते हैं। फलस्वरूप वर्ष 1907 के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन हो गया। 

359. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में ‘सूरत के फुट’ हुए थी- 

  1. 1905 में 
  2. 1906 में 
  3. 1907 में 
  4. 1908 में  

उत्तर – C

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सूरत फुट वर्ष 1907 में कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में हुई थी, जिसमें कांग्रेसी नरमपंथी और गरमपंथी दो अलग-अलग गुटों में विभक्त हो गई। सूरत अधिवेशन ताप्ती नदी के किनारे हुआ था सूरत के विभाजन में गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक ने किया था। 

360. वर्ष 1907 में सूरत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विभाजन का मुख्य कारण क्या था? IAS(Pre)2016 

  1. लॉर्ड मिंटो द्वारा भारतीय राजनीतिक में संप्रदायिकता का प्रवेश करना 
  2. अंग्रेजी सरकार के साथ नरमपंथियों की वार्ता करने की क्षमता के बारे में चरमपंथियों में विश्वास का अभाव 
  3. मुस्लिम लिंग की स्थापना 
  4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित हो सकने में अरबिंद घोष की असमर्थता 

उत्तर – B

वर्ष 1907 में सूरत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विभाजन का मुख्य कारण था अंग्रेजी सरकार के साथ नरमपंथियों की वार्ता करने की क्षमता के बारे में चरमपंथियों में विश्वास था अभाव। सूरत अधिवेशन में चरमपंथी लाला लाजपत राय को अध्यक्ष बनाना चाहते थे, जबकि उदारवादी रासबिहारी घोष को अध्यक्ष बनने के पक्षधर थे। अंततः रास बिहारी घोष अध्यक्ष बनाने में सफल हुए।

Important Indian National Congress Sessions Quiz

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