UPSC Ancient History PYQ Part-2 Solution | UPSC PYQ 2001-2022 | UPSCSITE

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नमस्कार दोस्तों, UPSC SITE आपके लिए लेकर आया है “प्राचीन भारत का इतिहास” Ancient History Previous Year Question 2001-2022, जिनकी प्रैक्टिस आप ऑनलाइन कर सकते है। हमारे संग्रह टेस्ट्स को प्रैक्टिस करने के बाद आपको अपनी तैयारी में अंतर समझ आने लग जायेगा। क्यूंकि हमने यहां पर केवल उन्ही प्रश्नो को सम्मिलित किया है UPSC Prelims परीक्षा में पहले पूछे जा चुके है।
UPSC Ancient History PYQ Part-2
51. निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है? (2004)
- श्रवणबेलगोला स्थित गोमतेश्वर की प्रतिमा जैनियों के अन्तिम तीर्थंकर को दर्शाती है
- भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ अरूणाचल प्रदेश में
- खजुराहो के मन्दिर चन्देल राजाओं द्वारा बनवाए गए
- होयशलेश्वर मन्दिर शिव को समर्पित है
Ans – 1
जैनों के अन्तिम तीर्थंकर (24वें) महावीर स्वामी थे जबकि श्रवणबेलगोला स्थित गोमतेश्वर की प्रतिमा जैनियों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को दर्शाती है।
52. प्राचीन भारत के बौद्ध मठों में, पवरन नामक समारोह आयोजित किया जाता था जो: (2002)
- संघपरिनायक और धर्म तथा विनय विषयों पर एक-एक वक्ता को चुनने का अवसर होता था ।
- वर्षा ऋतु के दौरान मठों में प्रवास के समय भिक्षुओं द्वारा किये गए अपराधों को स्वीकारोक्ति का अवसर होता था।
- किसी नए व्यक्ति को बौद्ध संघ में प्रवेश देने का समारोह होता था,जिसमें उसका सिर मुंडवा दिया जाता था और पीले वस्त्र दिये जाते थे।
- आषाढ़ की पूर्णिमा के अगले दिन बौद्ध भिक्षुओं के एकत्र होने का अवसर होता था जब वे वर्षा ऋतु के आगामी चार महीनों के लिए निश्चित आवास चुनते थे।
Ans- 2
पवरन बौद्धों का समारोह था जो ग्यारहवें चन्द्रमास की पूर्णिमा को मनाया जाता था। बौद्ध भिक्षु वर्षा ऋतु के दौरान मठों में प्रवास करते थे तथा अपने अपराधों की स्वीकारोक्ति करते थे।
53. विशाखदत्त के प्राचीन भारतीय नाटक मुद्राराक्षस की विषय वस्तु है: (2002)
- प्राचीन हिन्दू अनुश्रुति के देवताओं और राक्षसों के बीच संघर्ष के बारे में
- एक आर्य राजकुमार और एक कबीली महिला की प्रेम कथा के बारे में
- दो आर्य कबीलों के बीच सत्ता के संघर्ष की कथा के बारे में
- चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में राजदरबार की दुरभिसन्धियों के बारे में
Ans- 4
विशाखदत्त द्वारा संस्कृत भाषा में रचित नाटक मुद्राराक्षस उत्तर भारत में चन्द्रगुप्त मौर्य के उत्थान व शक्ति के विषय में बताता है।
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54. नर्मदा नदी पर सम्राट हर्ष के दक्षिणावर्ती आगमन को रोकाः (2003)
- पुलकेशिन प्रथम ने
- पुलकेशिन द्वितीय ने
- विक्रमादित्य प्रथम ने
- विक्रमादित्य द्वितीय ने
Ans- 2
हर्षवर्धन के दक्षिण की ओर प्रस्थान को नर्मदा नदी पर चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय ने रोका।
55. निम्न कथनों पर विचार कीजिए: (2003)
- चोलों ने पाण्ड्य तथा चेर शासकों को पराजित कर प्रायद्वीपीय भारत पर प्रारम्भिक मध्यकालीन समय में अपना प्रभुत्व स्थापित किया।
- चोलों ने दक्षिण-पूर्वी एशिया के शैलेन्द्र साम्राज्य के विरुद्ध सैन्य चढ़ाई की तथा कुछ क्षेत्रों को जीता।
इन कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों 1 और 2
- उपरोक्त में से कोई नहीं
Ans- 3
चोल शासक राजराज प्रथम ने पाण्ड्य तथा चेर शासकों को पराजित कर प्रायद्वीपीय भारत पर प्रारंभिक मध्यकालीन समय में अपना प्रभुत्व स्थापित किया। इसके अतिरिक्त इसने श्रीलंका के उत्तरी भाग को जीतकर चोल साम्राज्य का एक प्रान्त बना दिया तथा मालदीव पर भी आधिपत्य स्थापित कर लिया। इसी प्रकार राजेन्द्र चोल ने न केवल सम्पूर्ण श्रीलंका को जीता, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया के शैलेन्द्र साम्राज्य के विरुद्ध सैन्य अभियान कर कुछ क्षेत्रों पर आधिपत्य स्थापित कर लिया।
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56. शूद्रक द्वारा लिखी हुई प्राचीन भारतीय पुस्तक ‘मृच्छकटिकम्’ का विषय था: (2003)
- एक धनी व्यापारी और एक गणिका की पुत्री की प्रेम-गाथा
- चन्द्रगुप्त द्वितीय की पश्चिम भारत के शक क्षत्रपों पर विजय
- समुद्रगुप्त के सैन्य अभियान तथा शौर्यपूर्ण कार्य
- गुप्त राजवंश के एक राजा तथा कामरूप की राजकुमारी की प्रेम – गाथा
Ans- 1
मृच्छकटिकम् (मिट्टी की गाड़ी) दूसरी सदी ई. पू. में संस्कृत में शूद्रक द्वारा लिखा गया एक नाटक है। इसमें युवा व्यापारी चारूदत्त तथा उसकी प्रेमिका वसन्तसेना की कहानी है, जो एक गणिका की पुत्री थी।
57. निम्न कथनों पर विचार कीजिए: (2003)
- वर्धमान महावीर की माता लिच्छवि के मुखिया चेतक की पुत्री थी।
- गौतम बुद्ध की माता कोशल राजवंश की राजकुमारी थी।
- 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ बनारस से थे।
इन कथनों में कौन-सा सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 2 और 3
- 1, 2 और 3
Ans- 3
जैन धर्म के संस्थापक महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था इनका-
जन्म – वैशाली के ‘कुण्डग्राम में 540 ई. पू.
पिता – सिद्धार्थ
माता – त्रिशला (लिच्छवी गणराज्य के प्रमुख चेटक की बहन ) बौद्ध धर्म के प्रणेता गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था इनका – जन्म – नेपाल की तराई में स्थित लुम्बिनी वन में 563 ई. पू.
पिता – शुद्धोधन (शाक्य गणराज्य के प्रमुख)
माता – महामाया (कोशल राज्य की राजकुमारी )
जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ काशी (बनारस) नरेश अश्वसेन के पुत्र थे, अतः इनका सम्बन्ध बनारस से था।
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58. निम्न कथनों पर विचार कीजिए: (2003)
- अन्तिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या उसके प्रधान सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की थी।
- अन्तिम शुंग राजा देवभूति की हत्या उसके ब्राह्मण मन्त्री वासुदेव कण्व ने की और उसके राजसिंहासन को हथिया लिया।
- आन्ध्र ने कण्व राजवंश के अन्तिम शासक को पदवचित किया था
इन कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- 1 और 2
- केवल 2
- केवल 3
- 1, 2 और 3
Ans-4
सभी कथन सही हैं। अंतिम मौर्य शासक वृहद्रथ 185 ई. पू. में सेनापति पुष्यमित्र शुंग द्वारा मारा गया। शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या उसके अमात्य वासुदेव ने 73 ई. पू. में की। तत्पश्चात् उसने कण्व वंश की नींव डाली। कण्व वंश का अंतिम शासक सुशर्मा था। इसकी हत्या 60 ई. पू. में सिमुक ने की जो आन्ध्र-सातवाहन वंश का संस्थापक था।
59. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (2004)
- चीनी तीर्थयात्री फाह्यान ने कनिष्क द्वारा आयोजित की गई चतुर्थ महान् बौद्ध परिषद् (Fourth Buddhist Council) में भाग लिया।
- चीनी तीर्थयात्री हेनसांग, हर्ष से मिला और उसे बौद्ध धर्म का प्रतिरोधी (Antagonist) पाया।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- उपरोक्त में से कोई नहीं
Ans- 4
दोनों कथन गलत हैं। चतुर्थ बौद्ध संगीति कनिष्क के समय कश्मीर में आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता वसुमित्र ने की। चीनी यात्री फाह्यान (399 ई. से 414 ई.) चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय भारत आया था। चीनी यात्री ह्वेनसांग 613 ई. से 630 ई. के मध्य हर्ष के समय भारत आया। उसने हर्ष को बौद्ध धर्म का प्रतिरोधी नहीं बताया।
60. प्राचीन जैन धर्म के सम्बन्ध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही है? (2004)
- स्थलबाहु के नेतृत्व में दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रचार हुआ।
- पाटलिपुत्र में हुई परिषद् के पश्चात् जो जैन धर्म के लोग भद्रबाहुके नेतृत्व में रहे, वे श्वेताम्बर कहलाए
- प्रथम शतक ई. पू. में जैन धर्म को कलिंग के राजा खारवेल का समर्थन मिला
- बौद्धों के विपरीत, जैन धर्म की प्रारम्भिक अवस्था में, जैन धर्म के लोग चित्रों का पूजन करते थे
Ans- 3
दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रचार भद्रबाहु के द्वारा हुआ। पाटलिपुत्र में (आधुनिक पटना ) आयोजित प्रथम बौद्ध संगीति के पश्चात् जो लोग भद्रबाहु के नेतृत्व में थे, वे दिगम्बर कहलाये तथा स्थूलबाहु के नेतृत्व में श्वेताम्बर । प्रारम्भ में जैन धर्म में मूर्तिपूजा का प्रचलन नहीं था। विभाजन के पश्चात् श्वेताम्बर अनुयायियों ने महावीर तथा अन्य तीर्थकरों की मूर्तियों की पूजा प्रारम्भ की। अतः विकल्प (c) सही है। कलिंग राजा खारवेल ने जैन धर्म को समर्थन दिया।
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61. निम्नलिखित चार वेदों में से किस एक में जादुई माया और वशीकरण (Magical charm and spells) का वर्णन है? ( 2004)
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- अथर्ववेद
- सामवेद
Ans- 3
अथर्ववेद तन्त्र-मंत्र, जादू आदि से सम्बन्धित ग्रंथ है। इसमें जादू-टोना व वशीकरण से सम्बन्धित मंत्र हैं, जिनका प्रयोग बुरी शक्तियों व बीमारियों को दूर करने के लिये किया जाता है।
62. निम्नलिखित में से कौन-सा एक अन्य तीनों के समसामयिक (Contemporary) नहीं था? (2005)
- बिम्बिसार
- गौतम बुद्ध
- मिलिन्द
- प्रसेनजीत
Ans- 3
बिम्बिसार हर्यक वंश का शासक था जो 544 ईसा पूर्व में मगध के सिंहासन पर आसीन हुआ। वह बुद्ध का समकालीन था। अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिये बिम्बिसार ने वैवाहिक सम्बन्ध बनाये। इस दिशा में इसने कोशल नरेश की पुत्री से विवाह किया जो प्रसेनजित की बहन थी। ये भी बुद्ध के समकालीन थे। मिलिन्द का काल 2सदी ई० पू० था।
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63. निम्नलिखित में से किसने राष्ट्रकूट साम्राज्य की नींव रखी? (2006)
- अमोघवर्ष प्रथम
- दन्तिदुर्ग
- ध्रुव
- कृष्ण
Ans- 2
दन्तिदुर्ग चालुक्यों का सामन्त था । इसने 753 ई. में राष्ट्रकूट साम्राज्य की नींव डाली और मान्यखेत को अपनी राजधानी बनाया।
64. प्राचीन नगर तक्षशिला निम्नलिखित में से किनके बीच स्थित था? (2006)
- सिन्धु तथा झेलम
- झेलम तथा चिनाब
- चिनाब तथा रावी
- रावी तथा व्यास
Ans- 1
तक्षशिला सिन्धु तथा झेलम नदी के बीच स्थित था। वर्तमान मे यह पाकिस्तान में है।
65. प्राचीन काल के भारत पर आक्रामकों के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही कालानुक्रम है? (2006)
- यूनानी – शक – कुषाण
- यूनानी – कुषाण- शक
- शक – यूनानी कुषाण
- शक – कुषाण- यूनानी
Ans -1
विकल्प (a) सही है। इनका सही कालानुक्रम है- यूनानी-शक -कुषाण ।
यूनानी – 513 ई. पू. में यूनानी शासक डेरियस के नेतृत्व में भारत आये।
शक – 90 ई. पू. में भारत आये ।
कुषाण – 45 ई. स. में भारत आये।
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66. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (2006)
- दक्षिण भारत के इक्ष्वाकु शासक बौद्धमत के विरोधात्मक थे।
- पूर्वी भारत के पाल शासक बौद्धमत के समर्थक थे।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों 1 और 2
- न ही 1 और न ही 2
Ans -2
पहला कथन सही नहीं है। आंध्र में शासन करने वाले इक्ष्वाकु वंश के अभिलेखों से पता चलता है कि इनके काल में बौद्ध विहार तथा बौद्ध मूर्तियों का निर्माण हुआ। अर्थात् इक्ष्वाकु राजा बोद्ध धर्म के समर्थक थे। पूर्वी भारत के पाल शासक बौद्ध मत के समर्थक थे।
67. इलाहाबाद स्तम्भ शिलालेख निम्नलिखित में से एक से सम्बद्ध है? (2006)
- महापद्म नन्द
- चन्द्रगुप्त मौर्य
- अशोक
- समुद्रगुप्त
Ans – D
कौशाम्बी (इलाहाबाद) अभिलेख समुद्रगुप्त के प्रशस्ति-पत्र के रूप में प्रसिद्ध है। समुद्रगुप्त के राज्यकवि हरिषेण ने इसको लिखा था। यद्यपि यह मूलतः अशोक द्वारा उत्कीर्ण अभिलेख था, परन्तु इसकी सम्बद्धता समुद्रगुप्त से अधिक है।
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68. बौधायन प्रमेय (बौधायन शुल्व सूत्र) किससे सम्बन्धित है? (2008)
- समकोण त्रिभुज की भुजाओं की लम्बाइयाँ
- Pi के मान की गणना
- लघुगणकीय गणनाएँ
- प्रसामान्य बण्टन वक्र
Ans – 1
बौधायन प्रमेय समकोण त्रिभुज की भुजाओं की लम्बाई से सम्बन्धित है।
69. अनेकान्तवाद निम्नलिखित में से किसका क्रोड सिद्धान्त एवं दर्शन है? (2009)
- बौद्ध मत (Buddhism)
- जैन मत (Jainism)
- सिख मत (Sikhism)
- वैष्णव मत (Vaishnavism)
Ans – 2
जैन आध्यात्म वास्तविक तथा अनेकवाद पर आधारित है। इसे अनेकान्तवाद या स्यादवाद कहा जाता है। इसे सात रूपों में व्यक्त किया जा सकता है।
1. है ।
2. नहीं है।
3. है और नहीं है।
4. कहा नहीं जा सकता।
5. है किन्तु कहा नहीं जा सकता।
6. नहीं है और कहा जा सकता।
7. नहीं है और कहा नहीं जा सकता।
70. प्राचीन भारत में गुप्त काल से सम्बन्धित गुफा चित्रांकन के केवल दो उदाहरण उपलब्ध हैं। इनमें से एक अजन्ता की गुफाओं में किया गया चित्रांकन है। गुप्त काल के चित्रांकन का दूसरा अवशिष्ट उदाहरण किस स्थान पर उपलब्ध है? (2010)
- बाघ गुफाएँ
- एलोरा गुफाएँ
- लोमस ऋषि गुफा
- नासिक गुफाएँ
Ans – 1
गुप्तकाल से सम्बन्धित चित्र अजन्ता तथा बाघ की गुफाओं में मिलते हैं। अजन्ता के चित्र धार्मिक तथा बाघ के चित्र लौकिक विषयों से सम्बन्धित हैं। अजन्ता में निर्मित 20 गुफाओं में से 16वीं तथा 17वीं गुफा गुप्तकालीन है। बाघ से 9 गुफायें मिली हैं।
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71. भारत ने दक्षिणपूर्वी एशिया के साथ अपने आरंभिक सांस्कृतिक संपर्क तथा व्यापारिक संबंध बंगाल की खाड़ी के पार बना रखे थे। निम्नलिखित में से कौन-सी बंगाल की खाड़ी के इस उत्कृष्ट आरंभिक समुद्री इतिहास की सबसे विश्वसनीय व्याख्या/व्याख्याएँ हो सकती है/हैं? (2011–1)
- प्राचीन काल तथा मध्य काल में भारत के पास दूसरों की तुलना में अति उत्तम पोत-निर्माण तकनीकी उपलब्ध थी।
- इस उद्देश्य के लिए दक्षिण भारतीय शासकों ने व्यापारियों, ब्राह्मण पुजारियों और बौद्ध भिक्षुओं को सदा संरक्षण दिया।
- बंगाल की खाड़ी में चलने वाली मानसूनी हवाओं ने समुद्री यात्राओं को सुगम बना दिया था।
- इस संबंध में (a) तथा (b) दोनों विश्वसनीय व्याख्याएँ हैं।
Ans – 4
भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ अपने आरंभिक सांस्कृतिक संपर्क तथा व्यापारिक संबंध बना रखे थे, क्योंकि प्राचीन एवं पूर्व मध्य काल में भारत के पास दूसरों की तुलना में उत्तम पोत निर्माण की तकनीक उपलब्ध थी। इसके साथ-साथ दक्षिण भारतीय शासकों ने व्यापारियों, ब्राह्मणों, बौद्धभिक्षुओं आदि को सदा संरक्षण दिया।
72. जैन दर्शन के अनुसार सृष्टि की रचना एवं पालन-पोषण (2011–1)
- सार्वभौमिक विधान से हुआ है।
- सार्वभौमिक सत्य से हुआ है।
- सार्वभौमिक आस्था से हुआ है।
- सार्वभौमिक आत्मा से हुआ है
Ans – 4
जैन धर्म में ईश्वर को सृष्टिकर्ता के रूप में स्थान नहीं दिया गया है। जैन सिद्धांतों के अनुसार, ब्राह्मंड़ और उसके घटक (आत्मा) पदार्थ, स्थान, समय और गति ) हमेशा मौजूद रहे हैं। जैन दर्शन के अनुसार सृष्टि की रचना एवं पालन-पोषण सार्वभौमिक विधान से हुआ है।
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73. सिंधु घाटी सभ्यता के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (2011–1)
- यह प्रमुखतः लौकिक सभ्यता थी तथा उसमें धार्मिक तत्व, यद्यपि उपस्थित था, वर्चस्वशाली नहीं था।
- उस काल में भारत में कपास से वस्त्र बनाए जाते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
Ans – 3
सिन्धु घाटी सभ्यता एक नगरीय एवं लौकिक सभ्यता थी यद्यपि उसमें धार्मिक तत्व विद्यमान था किन्तु वर्चस्वशाली नहीं था। इस काल में न सिर्फ आन्तरिक बल्कि वाह्य व्यापार भी उन्नत दशा में था। इस काल में सूती वस्त्र बनाए जाते थे जिसके प्रमाण हमें मोहनजोदड़ो से मिलते हैं। मेहरगढ़ से कपास की खेती करने का साक्ष्य भी मिला है।
74. “धर्म” तथा “ऋत” भारत की प्राचीन वैदिक सभ्यता के एक केंद्रीय विचार को चित्रित करते हैं। इस संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (2011–1)
- ‘धर्म’ व्यक्ति के दायित्वों एवं स्वयं तथा दूसरों के प्रति व्यक्तिगत कर्तव्यों की संकल्पना था।
- ‘ऋत’ मूलभूत नैतिक विधान था, जो सृष्टि और उसमें अंतर्निहित सारे तत्वों के क्रियाकलापों को संचालित करता था।
उपर्युक्त में से कौन सा/कौन-से कथन सही है/हैं?
- केवल ।
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो । और न ही 2
Ans – 3
धर्म तथा ऋतु भारत की प्राचीन वैदिक सभ्यता के एक केन्द्रीय विचार को चित्रित करते हैं। जहाँ धर्म व्यक्ति के दायित्वों एवं स्वयं तथा दूसरों के प्रति व्यक्तिगत कर्त्तव्यों की संकल्पना था वहीं ऋतु मूलभूत नैतिक विधान था जो सृष्टि और उसमें अंतर्निहित सारे तत्त्वों के क्रियाकलपों को संचालित करता था।
75. प्राचीन कालीन भारत में हुई वैज्ञानिक प्रगति के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं? (2012–1)
- प्रथम शती ईसवी में विभिन्न प्रकार के विशिष्ट शल्य औजारों का उपयोग आम था।
- तीसरी शती ईसवी के आरम्भ में मानव शरीर के आन्तरिक अंगों का प्रत्यारोपण शुरू हो चुका था।
- पाँचवीं शती ईसवी में कोण के ज्या का सिद्धान्त ज्ञात था ।
- सातवीं शती ईसवी में चक्रीय चतुर्भुज का सिद्धान्त ज्ञात था ।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए :
- केवल 1 और 2
- केवल 3 और 4
- केवल 1, 3 और 4
- 1, 2, 3 और 4
Ans – 3
प्रश्न में दिया गया कथन 1, 3 तथा 4 सही हैं।
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76. प्राचीन भारतीय इतिहास के सन्दर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों में समान रूप से विद्यमान था/थे? (2012–1)
- तप और भोग की अति का परिहार
- वेद- प्रामाण्य के प्रति अनास्था
- कर्मकाण्डों की फलवत्ता का निषेध
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए :
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
Ans – 2
बौद्ध तथा जैन धर्मों ने वेद-प्रामाण्य के प्रति अनास्था प्रकट किया एवं कर्मकाण्डों की फलवत्ता का विरोध किया था।
77. नागर, द्राविड़ और वेसर हैं। (1995,2012–1)
- भारतीय उपमहाद्वीप के तीन मुख्य जातीय समूह
- तीन मुख्य भाषा वर्ग, जिनमें भारत की भाषाओं को विभक्त किया जा सकता है
- भारतीय मन्दिर वास्तु की तीन मुख्य शैलियाँ
- भारत में प्रचलित तीन मुख्य संगीत घराने
Ans – 3
नागर, द्रविड़ और वेसर प्राचीन भारत की मन्दिर निर्माण को शैलियाँ हैं। नागर शैली उत्तर भारत में, वेसर शैली मध्य भारत में तथा द्रविड़ शैली दक्षिण भारत में प्रचलित थीं।
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78. भगवान बुद्ध की प्रतिमा कभी-कभी एक हस्त मुद्रा युक्त दिखाई गई है, जिसे ‘भूमिस्पर्श मुद्रा’ कहा जाता है। यह किसका प्रतीक है? (2012–1)
- मार पर दृष्टि रखने एवं अपने ध्यान में विघ्न डालने से मार को रोकने के लिए बुद्ध का धरती का आह्वान ।
- मार के प्रलोभनों के बावजूद अपनी शुचिता और शुद्धता का साक्षी होने के लिए बुद्ध का धरती का आह्वान |
- बुद्ध का अपने अनुयायियों को स्मरण कराना कि वे सभी धरती से उत्पन्न होते हैं और अन्तत: धरती में विलीन हो जाते हैं, अतःजीवन संक्रमणशील है।
- इस सन्दर्भ में दोनों ही कथन (a) एवं (b) सही है।
Ans – 2
बुद्ध की मूर्ति इस बात का प्रतीक है कि मार के आकर्षण / मोह के बावजूद बुद्ध उसकी शुद्धता एवं शील को देखने के लिए आह्वान कर रहे हैं।
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79. पूर्व वैदिक आर्यों का धर्म प्रमुखतः था (2012–1)
- भक्ति
- मूर्तिपूजा और यज्ञ
- प्रकृति पूजा और यज्ञ
- प्रकृति पूजा और भक्ति
Ans – 3
पूर्व वैदिक आर्य प्रकृति पूजा और यज्ञ किया करते थे। ऋग्वैदिक आयों के लिए भक्ति और मूर्तिपूजा का उल्लेख नहीं मिलता है।
80. प्राचीन भारत में देश की अर्थव्यवस्था में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली ‘ श्रेणी’ संगठन के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2012–1)
- प्रत्येक ‘श्रेणी’ राज्य की एक केन्द्रीय प्राधिकरण के साथ पंजीकृत होती थी और प्रशासनिक स्तर पर राजा उनका प्रमुख होता था।
- ‘श्रेणी’ ही वेतन, काम करने के नियमों, मानकों और कीमतों को सुनिश्चित करती थीं।
- ‘श्रेणी’ का अपने सदस्यों पर न्यायिक अधिकार होता था ।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए:
- केवल 1 और 2
- केवल 3
- केवल 2 और 3
- 1, 2 और 3
Ans – 3
2. मजूरी, कार्य के नियम, मानक व कीमतें गिल्ड या व्यापारी वर्ग द्वारा तय की जाती थीं।
3. गिल्ड के पास अपने सदस्यों के ऊपर न्यायिक अधिकार थे।
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81. कुछ शैलकृत बौद्ध गुफाओं को चैत्य कहते हैं, जबकि अन्य को विहार। दोनों में क्या अन्तर है? (2013–1)
- विहार पूजा-स्थल होता है, जबकि चैत्य बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान है
- चैत्य पूजा-स्थल होता है, जबकि विहार बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान है.
- चैत्य गुफा के दूर के सिरे पर स्तूप होता है, जबकि विहार गुफा पर अक्षीय कक्ष होता है
- दोनों में कोई वस्तुपरक अन्तर नहीं होता
Ans – 2
चैत्य पूजा-स्थल होता है, जबकि विहार बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान है।
82. भारत में दार्शनिक विचार के इतिहास के संदर्भ में, सांख्य दर्शन के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (2013–1)
- सांख्य आत्मा के पुनर्जन्म या स्थानांतरण के सिद्धांत को स्वीकार नहीं करता है।
- सांख्य का मानना है कि यह आत्मज्ञान ही है जो मुक्ति की ओर। ले जाता है और किसी बाहरी प्रभाव या घटक नहीं।
ऊपर दिये गए कथनों में से कौन-सा सही है / हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
Ans – 2
सांख्य योग के अनुसार, आत्मज्ञान से मुक्ति संभव है। अधिकांशत: अन्य सभी भारतीय दर्शन अपने प्रमुख आधार के रूप में इसे अपनाते हैं। सांख्य दर्शन पुनर्जन्म में विश्वास करता है। सांख्य दर्शन के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को भोग, अपवर्ग तथा जन्म से तब तक गुजरना पड़ता है जब तक कि कैवल्य की प्राप्ति नहीं हो जाती है।
83. निम्नलिखित में से कौन-सा एक बौद्ध मत में निर्वाण की अवधारणा की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या करता है? (2013–1)
- तृष्णारूपी अग्रि का शमन
- स्वयं की पूर्णत: अस्तित्वहीनता
- परमानन्द एवं विश्राम की स्थिति
- धारणातीत मानसिक अवस्था
Ans – 1
निर्वाण की अवधारणा की सर्वप्रथम व्याख्या भगवान बुद्ध ने की थी (566-486 BC)। भगवान बुद्ध केवल मात्र 35 साल के उम्र में एक ज्ञानमय प्रबुद्ध अवस्था में पहुँचे थे जहाँ उन्हें परम सत्य का ज्ञान हुआ था। ‘निर्वाण’ शब्द का अर्थ है ‘बुझ जाना’ अर्थात् लोभ का बुझ जाना, घृणा का बुझ जाना, सांसारिक माया मोह के बुझ जाने का संकेत है। मन और भावनाओं से इन विकारों का जब अंत होता है तब ज्ञान बुद्धि उजागर होती है, क्योंकि मन या मस्तिष्क तब मुक्त है, आनन्दित है। जिसने भी इस सत्य को जाना है, वह इस संसार में सबसे सुखी है।
वह समस्त विकारों से दूर, समस्त आसक्तियों से परे, निश्चिंत, शंकारहित है। उसकी मानसिक स्थिति उत्तम है। उसे बीते हुए कल को लेकर कोई पश्चाताप नहीं है। वह आने वाले कल को लेकर भी आशंकित नहीं है, वह तो केवल वर्तमान में जीता है। वह जीवन के हर क्षण का आनन्द लेता है। वह ‘मैं’ से मुक्त है। उसमें ‘आत्मभ्रम’ जैसी कोई तृष्णा नहीं है। उसने परमानन्द को अनुभव किया है।
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84. निम्नलिखित में से कौन-सा/से लक्षण सिन्धु सभ्यता के लोगों का सही चित्रण करता है/ करते हैं? (2013–1)
- उनके विशाल महल और मन्दिर होते थे।
- वे देवियों और देवताओं, दोनों की पूजा करते थे।
- ये युद्ध में घोड़ों द्वारा खींचे गए रथों का प्रयोग करते थे।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही कथन/कथनों को चुनिए ।
- केवल 1 और 2
- केवल 2
- 1, 2 और 3
- उपर्युक्त कथनों में से कोई भी सही नहीं है
Ans – 2
सिंधु सभ्यता के लोगों के विशाल महल और मन्दिर नहीं होते थे, बल्कि उनकी सभ्यता ईंटों के बने शहरी -घरों के कारण उल्लेखनीय थी। सिंधु सभ्यता के दौरान लोगों के घर बहुमंजिला होते थे। शहर के अपवाह तंत्र काफी उन्नत प्रकार के होते थे। सिंधु सभ्यता के लोग शांति प्रिय थे। वे कभी किसी युद्ध में शामिल नहीं हुए थे। ऐसा माना जाता है कि भूकम्प जैसी किसी प्राकृतिक आपदा में इस संस्कृति और सभ्यता का विनाश हुआ। कुछ इतिहासकारों का यह मानना है कि आर्यों के आक्रमण और समुद्री सतह में परिवर्तन की वजह से इनका खात्मा हुआ था।
बहरहाल, युद्ध में घोड़े के उपयोग की कोई सत्यता प्रमाणित नहीं हुई है। इसके अतिरिक्त सिंधु सभ्यता की मोहरों में छपा हुआ स्वस्तिक चिन्ह व जानवरों की अनुकृति उनके धार्मिक आस्था के बारे में बतलाता है। वहाँ पायी गई मूर्तियों से भूतत्वविदों को पता चला है कि उस समय लोग माँ रूपी देवी की तथा पितृरूप देवता की भी पूजा करते थे, जो शायद समग्र जाति के पिता स्वरूप थे।
85. निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन जैन सिद्धान्त के अनुरूप है/हैं? (2013–1)
- कर्म को विनष्ट करने का सुनिश्चित मार्ग तपश्चर्या है।
- प्रत्येक वस्तु में, चाहे वह सूक्ष्मतम कण हो, आत्मा होती है।
- कर्म आत्मा का विनाशक है और अवश्य इसका अन्त करना चाहिए।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
Ans – 4
जैन सिद्धांत के अनुरूप ‘स्वाध्याय परमः तपः’। यह माना गया है। कि तपश्चर्या कर्म को विनष्ट करने का सुनिश्चित मार्ग है। कर्म को आत्मा का विनाशक माना गया है। कर्म अत्यन्त सूक्ष्म है और आत्मा को प्रभावित भी करता है। आत्मा को कलुषित भी करता है। कर्म के आधार पर जीव अपना अगला जीवन प्राप्त करता है। जैन धर्म का यह भी मानना है कि प्रत्येक वस्तु में चाहे वह सूक्ष्मतम कण हो, आत्मा होती है, तभी जैन धर्म के लोग किसी भी प्रकार के प्राणी की हत्या नहीं करते हैं, चाहे वह चींटी ही क्यों न हो।
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86. भारतीय शिलावास्तु के इतिहास के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (2013–1)
- बादामी की गुफाएँ भारत की प्राचीनतम अवशिष्ट शैलकृत गुफ़ाएँ हैं।
- बाराबर की शैलकृत गुफाएँ सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा मूलतः
- आजीविकों के लिए बनवाई गई थीं। एलोरा में, गुफाएँ विभिन्न धर्मों के लिए बनाई गई थीं ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 3
- 1, 2 और 3
Ans – 3
एलोरा की गुफाएँ पाँच से दस शताब्दी के बीच में बनाई गई थी। इनमें उप गुफाएँ भी थी, जिनमें से 12 बौद्धीय गुफाएँ, 17 हिन्दू गुफाएँ थीं और 5 जैन गुफाएँ थीं। इन गुफाओं का आपस में एक साथ अवस्थान करना इस बात की साक्षी देता है कि इतिहास के इस दौर में धम्मीय एकता बरकरार थी।
87. भारत की यात्रा करने वाले चीनी यात्री युआन च्वांग (ह्वेनसांग) ने तत्कालीन भारत की सामान्य दशाओं और संस्कृति का वर्णन किया है। इस सन्दर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2013–1)
- सड़क और नदी-मार्ग लूटमार से पूरी तरह सुरक्षित थे।
- जहाँ तक अपराधों के लिए दण्ड का प्रश्न है, अग्नि, जल व विष द्वारा सत्यपरीक्षा किया जाना ही किसी भी व्यक्ति की निर्दोषता अथवा दोष के निर्णय के साधन थे। 3.’व्यापारियों को नौघाटों और नाकों पर शुल्क देना पड़ता था ।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए ।
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
Ans – 2
व्यापारियों को नौघाटों और नाकों पर शुल्क देना पड़ता था। शुल्क देने के बाद वे व्यापार के लिए जा सकते थे। सामाजिक अपराधों के लिए उस समय अपराधी के नाक, कान व हाथ काट लिए जाते थे। सत्य परीक्षा के लिए अग्नि, जल व विष का प्रयोग किया जाता था। छोटे-मोटे अपराधों के लिए जुर्माना भरना पड़ता था।
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88. भारत के सांस्कृतिक इतिहास के सन्दर्भ में, नृत्य एवं नाट्य कला की एक मुद्रा जिसे ‘त्रिभंग’ कहा जाता है, प्राचीन काल से आज तक भारतीय कलाकारों को अतिप्रिय रही है। निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन इस मुद्रा को सर्वोत्तम रूप से वर्णित करता है? (2013–1)
- एक पाँव मोड़ा जाता है और देह थोड़ी, किन्तु विपरीत दिशा में कटि एवं ग्रीवा वक्रीय मुद्रा में होती
- मुख अभिव्यंजनाएँ, हस्तमुद्राएँ एवं आसज्जा कतिपय महाकाव्य अथवा ऐतिहासिक पात्रों को प्रतीकात्मक रूप में व्यक्त करने के लिए संयोजित की जाती हैं।
- देह, मुख एवं हस्तों की गति का प्रयोग स्वयं को अभिव्यक्त करने अथवा एक कथा कहने के लिए किया जाता है।
- प्रेम एवं श्रृंगार की अनुभूतियों को अभिव्यक्त करने के लिए मंद स्मिति, थोड़ी वक्र कटि एवं कतिपय हस्तमुद्राओं पर बल दिया जाता है।
Ans – 1
भगवान श्रीकृष्ण को हमने ज्यादातर समय त्रिभंग मुद्रा में देखा है। श्रीकृष्ण बाँसुरी बजाते समय इसी मुद्रा में खड़े होते हैं। इसलिए कृष्ण को त्रिभंग मुरारी भी कहा जाता है।
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89. निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों पर विचार कीजिए: (2013–1)
- अजन्ता की गुफाएँ .
- लेपाक्षी मन्दिर
- साँची स्तूप
उपर्युक्त स्थलों में से कौन-सा/से भित्ति चित्रकला के लिए भी जाना जाता है/ जाने जाते हैं?
- केवल 1
- केवल 1 और 2
- 1, 2 और 3
- कोई नहीं
Ans – 2
अजन्ता की गुफाओं में भित्ति चित्रकला के निदर्सन पाए गए हैं। गुफा 1, 2, 16 एवं 17 में यह चित्रकला देख सकते हैं। इनमें से कुछ चित्रकलाएँ वकाटक साम्राज्य के राजा हरिसेन ने अपनी इच्छा से निर्मित करायी थी। यह चित्रकलाएँ जातक की कहानियाँ बताती हैं। लेपाक्षी मन्दिर भित्ति चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है। जिसे विजयनगर राज्य के राजाओं ने बनवाए थे। साँची स्तूप में बहुत सी सुन्दर मूर्तियाँ हैं पर भित्ति चित्रकलाएँ यहाँ देखने को नहीं मिलतीं।
90. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा एक भारतीय षड्दर्शन का भाग नहीं है? (2014–1)
- मीमांसा और वेदान्त
- न्याय और वैशेषिक
- लोकायत और कापालिक
- सांख्य और योग
Ans – 3
लोकायत तथा कपालिक, भारतीय दर्शन के षट्पद्धति का निर्माण नहीं करते हैं
भारतीय दर्शन के षद्धति में शामिल हैं।
सांख्य – प्रकृति तथा पुरुष
योग – प्रकृति से पुरुष की मुक्ति
न्याय – तार्किक विश्लेषण
वैशेषिक – ब्रम्हाण्ड की वास्तविक तथा वस्तुगत दर्शन
मीमांसा – संहिता तथा वेद के ब्राह्मण भाग का विश्लेषण
वेदांत – यह भारतीय दर्शन का चरमोत्कर्ष है।
भारतीय संविधान की दूसरी अनुसूची में परिलब्धियों पर भत्ते, विशेषाधिकार और इससे संबंधित प्रावधान पांचवी अनुसूची में अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन तथा नियंत्रण के बारे में उपबंध तथा 8 वीं अनुसूची में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाओं का उल्लेख किया गया है।
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91. भारत के सम्प्रतीक के नीचे उत्कीर्ण भारत की राष्ट्रीय आदर्शोक्ति’सत्यमेव जयते’ कहां से ली गई है? (2014–1)
- कठ उपनिषद्
- छांदोग्य उपनिषद्
- ऐतरेय उपनिषद्
- मुंडक उपनिषद्
Ans – 4
‘सत्यमेव जयते’ शब्द मुंडकोपनिषद् से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है- सत्य की ही जीत
92. निम्नलिखित राज्यों में से किनका सम्बन्ध बुद्ध के जीवन से था? (2014–1)
- अवन्ति
- गान्धार
- कोसल
- मगध
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए ।
- 1, 2 और 3
- 2 और 4
- केवल 3 और 4
- 1, 3 और 4
Ans – 3
बुद्ध का जन्म कोसल राज्य के लुम्बिनी में हुआ। बुद्ध का परिनिर्वाण कुशीनाय (मगध राज्य) में हुआ। अवन्ति में बुद्ध का पदार्पण कभी नहीं हुआ। गांधार पाकिस्तान व अफगानिस्तान के पश्चिमी भाग में है, जहां बुद्ध कभी नहीं गए।
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93. भारत के कला और पुरातात्विक इतिहास के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से किस एक का सबसे पहले निर्माण किया गया था? (2015–1)
- भुवनेश्वर स्थित लिंगराज मंदिर
- धौली स्थित शैलकृत हाथी
- महाबलिपुरम स्थित शैलकृत स्मारक
- उदयगिरि स्थित वराह मूर्ति
Ans – 2
भुवनेश्वर स्थित लिंगराज मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी (1025-1040 ई.) ययाति प्रथम के द्वारा करवाया गया था। धौली (ओडिशा) स्थित शैलकृत हाथी का निर्माण मौर्य शासक अशोक के काल में 250 ई.पू. के आसपास हुआ था । महाबलिपुरम स्थित शैलकृत स्मारकों का निर्माण 7वी-8वीं शताब्दी में पल्लव शासनकाल में हुआ था। उदयगिरि (विदिशा, मध्य प्रदेश) स्थित बाराह प्रतिमा का निर्माण गुप्तकाल में चंद्रगुप्त द्वितीय द्वारा करवाया गया था।
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94. प्राचीन भारत की निम्नलिखित पुस्तकों में से किस एक में शुंग राजवंश के संस्थापक के पुत्र की प्रेम कहानी है? (2016–1)
- स्वप्नवासवदत्ता
- मालविकाग्रिमित्र
- मेघदूत
- रत्नावली
Ans – 2
मालविकाग्नि मित्र कालिदास द्वारा लिखा गया संस्कृत नाटक है। यह नाटक शुंग सम्राट अग्निमित्र की प्रेम कहानी कहता है। वह निर्वासित नौकरानी मालविका की तस्वीर से ही प्यार में पड़ जाता है।
95. भारत के धार्मिक इतिहास के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (2017–1)
- सौत्रान्तिक और सम्मितीय जैन मत के सम्प्रदाय थे।
- 2. सर्वास्तिवादियों की मान्यता थी कि दृग्विषय (फिनोमिना) के अवयव पूर्णतः क्षणिक नहीं है, अपितु अव्यक्त रूप में सदैव विद्यमान रहते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा /से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
Ans – 2
सौत्रान्तिक और सम्मितीय बौद्ध धर्म के सम्प्रदाय हैं। सर्वास्तिवादियों का मानना है कि दृश्य जागत के धर्म पूर्णतः क्षणिक हैं। प्रत्युत सदा अन्तर्निहित रूप में विद्यमान रहते हैं।
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96. बोधिसत्व पद्मपाणि का चित्र सर्वाधिक प्रसिद्ध और प्रायः चित्रित चित्रकारी है, जो (2017–1)
- अजंता में है
- बदामी में है
- बाघ में है
- एलोरा में है
Ans – 1
वाचस्पति गैरोला ने विषय की दृष्टि से अजंता की चित्रकला को तीन प्रमुख भागों में बाँटा है, जिसकी दूसरी श्रेणी में लोकपाल – बुद्ध, बौधिसत्व, राजा-रानियों की आकृतियों आदि को रखा गया है। अजंता की गुफा संख्या 1 में बोधिसत्व पद्मपाणि, वज्रपाणि आदि- के चित्र उल्लेखनीय हैं।
बाघ के चित्र दैनिक जीवन की घटनाओं पर आधारित हैं। एलोरा में बोधिसत्व के चित्र नहीं प्राप्त होते। बादामी के गुहा मंदिरों में से तीन ब्राह्मण और एक जैन धर्म से संबंधित हैं।
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97. निम्नलिखित में से कौन सा/से सूर्य मंदिरों के लिए विख्यात है/हैं? (2017–1)
- अरवल्ली
- अमरकंटक
- ओंकारेश्वर
नीचे दिए गए कूट का प्रयाग कर सही उत्तर चुनिए:
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
Ans – 1
आंध्र प्रदेश राज्य सरकार वेबसाइट के अनुसार श्रीकाकुलम जिले में स्थित अरसवल्ली में सूर्य मंदिर स्थित है अत: ( 1 ) सही है। मैसूर स्थित श्री ओमकारेश्वर मंदिर भगवार शिव के दिए प्रसिद्ध है। अमरकंटक (म.प्र.) में सूर्य मंदिर नहीं हैं।
98. ऋग्वेद-कालीन आर्यों और सिन्धु घाटी के लोगों की संस्कृति के बीच अंतर के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा / से सही है/हैं? (2017–1)
- ऋग्वेद-कालीन आर्य कवच और शिरस्त्राण (हेलमेट) का उपयोग करते थे जबकि सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों में इनके उपयोग का कोई साक्ष्य नहीं मिलता।
- ऋग्वेद-कालीन आर्यों को स्वर्ण, चांदी और ताम्र का ज्ञान था जबकि सिन्धु घाटी के लोगों को केवल ताम्र और लोह का ज्ञान था।
- ऋग्वेद-कालीन आर्यों ने घोड़े को पालतू बना लिया था जबकि इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि सिन्धु घाटी के लोग इस पशु को जानते थे।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
Ans – 3
त्रग्वैदिक काल के लोग (आर्य) कवच और शिरस्त्राण का प्रयोग करते थे, वे युद्धप्रिय थे; किन्तु सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग शांतिप्रिय थे तथा उनके द्वारा कवच और शिरस्त्राण के प्रयोग का कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं है।
सिन्धु घाटी के लोगों को स्वर्ण, चांदी, ताम्र और कांस्य ज्ञान था, जिसके साक्ष्य प्राप्त होते है, किन्तु उन्हें लोहे का ज्ञान नहीं था। सिन्धु घाटी के लोग घोड़े से परिचित थे क्योंकि सिन्धु स्थल लोथल से घोड़े की लघु मृण्मूर्ति तथा सुरकोटदा से घोड़े की अस्थियाँ प्राप्त हुई हैं। अतः कथन 1 और 3 सही हैं।
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99. निम्नलिखित में से कौन-सा एक काकतीय राज्य में अति महत्वपूर्ण समुद्र पत्तन था? (2017–1)
- काकिनाडा
- मोटुपल्ली
- मछलीपटनम (मसुलीपटनम)
- नेल्लुरु
Ans – 2
ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार वर्तमान कृष्ण जिला में एक समुद्री पत्तन था जो मोटुपल्ली के नाम से जाना जाता था तथा जो गणपति राज्य का भाग था। यह काकतीय शासकों के लिए अति महत्त्वपूर्ण था। 1289–93 के मध्य भारत के दौरे पर रहने वाला मार्कोपोलो ने मटफिली के रूप एक राज्य का वर्णन किया था, जिसकी शासिक रूद्रमा देवी थी।
100. भारत की धार्मिक प्रथाओं के संदर्भ में “स्थानकवासी” सम्प्रदाय का संबंध किससे है? (2018–1)
- बौद्ध मत
- जैन मत
- वैष्णव मत
- शैव मत
Ans – 2
‘स्थानकवासी’, श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय का एक उपसम्प्रदाय है। इसकी स्थापना 1653 के आसपास लवजी नामक एक व्यापारी ने की थी। इस सम्प्रदाय की मान्यता है कि भगवान निराकार है, अतः यह किसी मूर्ति की पूजा नहीं करते।
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101. भारतीय इतिहास के सन्दर्भ में, निम्नलिखित में से कौन भावी बुद्ध है. जो संसार की रक्षा हेतु अवतरित होंगे? (2018–1)
- अवलोकितेश्वर
- लोकेश्वर
- मैत्रेय
- पद्मपाणि
Ans – 3
बौद्ध दर्शन में उल्लेखित परलोक सिद्धान्त के अनुसार, मैत्रेय शब्द का शाब्दिक अर्थ भावी बुद्ध है। मैत्रेय बुद्ध 5वें बुद्ध के रूप में होंगे, जिनका आविर्भाव इस युग में होगा। इस प्रकार, मैत्रेय बुद्ध को भविष्य बुद्ध के रूप में माना जाता है, जो अभी तक इस युग में प्रकट नहीं हुआ है। विभिन्न बौद्ध सूत्रों जैसे अमिताभ सूत्र, साथ ही कमल सूत्र के अनुसार मैत्रेय बुद्ध को अजीता कहा जाता है। इस प्रकार मैत्रेय भावी बुद्ध हैं, जो संसार की रक्षा हेतु अवतरित होंगे।
102. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए : (2018–1)
शिल्प किस राज्य की परंपरा
1. पुथुक्कुलि शॉल → तमिलनाडु
2.सुजनी कढ़ाई → महाराष्ट्र
3.उप्पाडा जामदानी साड़ी → कर्नाटक
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
- केवल 1
- 1 और 2
- केवल 3
- 2 और 3
Ans – 1
सही सुमेलन है।
शिल्प – किस राज्य की परम्परा
1. पुधुक्कुलि शॉल – तमिलनाडु
2. सुजनी – बिहार
3. उप्पाडा जामदानी साड़ी – आन्ध्र प्रदेश
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103. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए : (2018–1)
परम्परा राज्य
1. चपचार कुट त्योहार → मिज़ोरम
2 ‘खोंगजॉम परवा गाथागीत → मणिपुर
3. थांग-टा नृत्य→ सिक्किम
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
- केवल 1
- 1 और 2
- केवल 3
- 2 और 3
Ans – 2
थांग-य नृत्य भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर की पारंपरिक मार्शल आर्ट है। ‘थांग’ का मतलब है तलवार तथा ‘टा’ का मतलब भाला होता है। यह मूल रुप से हमले और रक्षा का एक नकली लड़ाई है।
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104. निम्नलिखित में से कौन-सा एक हडप्पा स्थल नहीं है? (2019–1)
- चन्हुदड़ो
- कोट दीजी
- सोहगौरा
- देसलपुर
Ans – 3
सहगौरा उत्तर प्रदेश के वर्तमान गोरखपुर जिले में अवस्थित है।। यहाँ पाए गए अभिलेख चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल के हैं। साहगोग अभिलेख में सूखे से पीड़ित प्रजा को राहत देने की बात कही गई है
105. निम्नलिखित में से किस उभारदार मूर्तिशिल्प (रिलीफ स्कल्प्चर) शिलालेख में अशोक के प्रस्तर रूपचित्र के साथ ‘राण्यो अशोक’ (राजा अशोक) उल्लिखित है? (2019–1)
- कंगनहल्ली
- साँची
- शाहबाजगढ़ी
- सोहगौरा
Ans – 1
कंगनहल्ली कर्नाटक के सन्नती से लगभग 3 किमी दूर है। एक महत्त्वपूर्ण बौद्ध स्थल है जहाँ एक प्राचीन महास्तूप बौद्ध स्थल मिला है। यहाँ के खंडहर हो चुके बौद्ध स्तूप से अशोक का पहला उत्कीर्ण चित्र (महिला परिचारिकाओं और रानियों से घिरा हुआ), प्रपट किया गया था। उत्खनन में पाए गए यहाँ कि सबसे महत्त्वपूर्ण खोज में राया अशोक नाम का एक पत्थर की नक्काशीदार स्लैब शामिल है।
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106. निम्नलिखित पर विचार कीजिए: (2019–1)
1. बुद्ध में देवत्वारोपण
2. बोधिसत्त्व के पथ पर चलना
3. मूर्ति उपासना तथा अनुष्ठान
उपर्युक्त में से कौन-सी विशेषता/विशेषताएँ महायान बौद्धमत की है/हैं?
- केवल 1
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- 1, 2 और 3
Ans – 4
भगवान बुद्ध के निर्वाण के 100 वर्षों बाद बौद्धों में मतभेद उभरकर सामने आने लगे थे। वैशाली में संपन्न द्वितीय बौद्ध संगीति में थेर भिक्षुओं ने मतभेद करने वाले भिक्षुओं को संघ से बाहर निकाल दिया। अलग हुए इन भिक्षुओं ने उसी समय अपना अलग से संघ बना लिया तथा स्वंय को महासांघिक नाम दिया। तथा जिन्होंने निकाला था उन्हें हीनसांघिक नाम दिया गया। जो आगे चलकर महायान तथा हीनयान शाखाएं कहलाई ।
महायान शाखा के लोग नवीनतावादी विचारधारा के थे। महायान शाखा का अर्थ है- बोधिसत्व (गुणों का स्थानान्तरण) अर्थात् हम कह सकते हैं कि बुद्ध की कृपा से मोक्ष प्राप्त किया। उसके बाद दूसरे लोगों को भी मोक्ष प्राप्त करने में सहायता देना ही बोधिसत्व है। इसके अनुयायी। कहते हैं कि अधिकतर मनुष्यों के लिए निर्वाण का मार्ग अकेले ढूंढना मुश्किल या असंभव है तथा उन्हें इस कार्य में सहायता मिलनी चाहिए।
इन लोगों का मानना है कि जब तक ईश्वर की कृपा नहीं होगी तब तक निर्वाण प्राप्त नहीं होगा। भारत में वैदिक काल के पतन और अनीश्वरवादी धर्म के उत्थान के बाद मूर्तिपूजा का प्रचलन शुरू हुआ। बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद मूर्तिपूजा का प्रचलन बढ़ा और हजारों की संख्या में संपूर्ण देश में बौद्ध विहार बनने लगे, जिसमें बुद्ध की मूर्तिय रखकर उनकी पूजा होने लगी।
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107. गुप्त काल के दौरान भारत में बलात् श्रम (विष्टि) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (2019–1)
- इसे राज्य के लिए आय का एक स्रोत, जनता द्वारा दिया जाने वाला एक प्रकार का कर, माना जाता था।
- यह गुप्त साम्राज्य के मध्य प्रदेश तथा काठियावाड़ क्षेत्रों में पूर्णतःअविद्यमान था।
- बलात् श्रमिक साप्ताहिक मजदूरी का हकदार होता था।
- मजदूर के ज्येष्ठ पुत्र को बलात् श्रमिक के रूप में भेज दिया जाता था।
Ans – 1
समकालीन लेखों में ‘विष्टि’ बेगारका भी उल्लेख मिलता है। संभवतः इस काल में यह भी एक प्रकार का कर था। इसे राज्य के लिए आय का एक श्रोत माना जाता था। वात्सायन के कामसूत्र से पता चलता है कि गाँवो, में किसान स्त्रियों को मुखिया के घर के विविध प्रकार के काम, जैसे अनाज रखना, घर की सफाई, खेतों पर काम करना आदि करने के लिए बाध्य किया जाता था और इसके बदले में उन्हें कोई मजूदरी नहीं मिलती थी। कुछ विद्वान इस विवरण के आधार पर गुप्तकाल में विष्टि के व्यापक रूप से प्रचलित होने का निष्कर्ष निकालते हैं।
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108. किसके राज्य में ‘कल्याण मंडप’ की रचना मंदिर निर्माण का एक विशिष्ट अभिलक्षण था? (2019–1)
- चालुक्य
- चंदेल
- राष्ट्रकूट
- विजयनगर
Ans – 4
विजयनगर साम्राज्य कला की हर विधा का पोषक रहा है। संगीत, साहित्य व स्थापत्य सभी क्षेत्रों में इस शासन के दौरान उल्लेखनीय विकास हुआ। द्रविड़ कला के अंतर्गत गणना किये जाने के बावजूद यह कहा जा सकता है कि विजयनगर ने मंदिर वास्तुकला में कई नए तत्त्व जोड़े। विजयनगर दौर में एक नवीन मंडप चलन में आया, जिसे ‘कल्याण मंडप’ कहा गया। यह गर्भ गृह के बगल में एक खुला प्रांगण होता था जिसमें देवी देवताओं से संबंधित समारोह एवं विवाहोत्सव आदि आयोजित किए जाते थे।
109. भारत के सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में, ‘परामिता’शब्द का सही विवरण निम्नलिखित में से कौन-सा है? (2020–1)
- सूत्र पद्धति में लिखे गए प्राचीनतम धर्मशास्त्र पाठ
- वेदों के प्राधिकार को अस्वीकार करने वाले दार्शनिक सम्प्रदाय
- परिपूर्णताएँ जिनकी प्राप्ति से बोधिसत्व पथ प्रशस्त हुआ
- आरम्भिक मध्यकालीन दक्षिण भारत की शक्तिशाली व्यापारी श्रेणियाँ
Ans – 3
बौद्ध धर्म में ‘परिपूर्णता’ या कुछ गुणों का चरमोन्नयन की स्थिति को परामिता या पारमी (पालि) कहा गया है। बौद्ध धर्म में इन गुणों का विकास पवित्रता की प्राप्ति, कर्म को पवित्र करने आदि के लिए की जाती है ताकि साधक अनावरुद्ध जीवन जीते हुए भी ज्ञान की प्राप्ति कर सके। ‘परामिता’ शब्द ‘परम्’ से व्युत्पन्न है। महायान ग्रन्थों में छः, दशभूमिकासूत्र में चार तथा थेरवाद ग्रन्थों में दस परामिता वर्णित हैं।
110. प्राचीन भारत के विद्वानों/साहित्यकारों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (2020–1)
- पाणिनि पुष्यमित्र शुंग से संबंधित है।
- अमरसिंह हर्षवर्धन से संबंधित है।
- कालिदास चन्द्र गुप्त-II से संबंधित है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 3
- 1, 2 और 3
Ans – 3
पुष्यमित्र शुंग दूसरी शताब्दी ई. पू. में थे, इनका जन्म 185 ई. पू. में हुआ था, जबकि पाणिनि छठी शताब्दी ई. पू. में थे। पतंजलि पुष्यमित्र शुंग से सम्बंधित थे। ‘महाभाष्य’ पतंजलि के द्वारा रचित व्याकरण शास्त्र है, जिसमें लिखा है- ‘इह पुष्यमित्रम् यजामहे’ (यहाँ हम पुष्यमित्र के लिए यज्ञ करते हैं)। अमरसिंह चन्द्रगुप्त द्वितीय अथवा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य से सम्बंधित हैं।
राजशेखर लिखित कवि मीमांसा के अनुसार अमरसिंह ने उज्जयिनी में काव्यकार परीक्षा उत्तीर्ण की थी। कालिदास, चन्द्रगुप्त द्वितीय से संबन्धित हैं। वे चन्द्रगुप्त द्वितीय के नौरत्नों में शामिल थे। चन्द्रगुप्त द्वितीय के नौरत्न थे- धन्वंतरि क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, बेताल भट्ट, घटखर्पर, कालिदास, वराहमिहिर और वररुचि।
UPSC Ancient History PYQ Part-2
111. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (2020–1)
- स्थाविरवादी महायान बौद्ध धर्म से संबद्ध हैं।
- लोकोत्तरवादी संप्रदाय बौद्ध धर्म के महासंधिक संप्रदाय की एक शाखा थी।
- महासंघकों द्वारा बुद्ध के देवत्वारोपण ने महायान बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1 और
- केवल 2 और 3
- केवल 3
- 1, 2 और 3
Ans – 2
स्थाविरवाद हीनयान बौद्ध धर्म से संबद्ध है। “स्थाविरवाद” अथवा ‘थेरवाद’ शब्द का अर्थ है- ‘श्रेष्ठ जनों की बात’। बौद्ध धर्म की इस शाखा में पाली भाषा में लिखे हुए प्राचीन त्रिपिटक धार्मिक ग्रंथों का पालन करने पर बल दिया जाता है। थेरवाद अनुयायियों का कहना है कि इससे वे बौद्ध धर्म को उसके मूल रूप में मानते हैं। इनके लिए तथागत बुद्ध एक महापुरुष अवश्य हैं, लेकिन कोई देवता नहीं। वे उन्हें पूजते नहीं और न ही उनके धार्मिक समारोहों में बुद्ध-पूजा होती है।
जहाँ महायान बौद्ध परम्पराओं में देवी-देवताओं जैसे बहुत से दिव्य जीवों को माना जाता है, वहाँ थेरवाद बौद्ध परम्पराओं में ऐसी किसी हस्ती को नहीं पूजा जाता । थेरवादियों का मानना है कि हर मनुष्य को स्वयं ही निर्वाण का मार्ग ढूंढ़ना होता है। इन समुदायों में युवकों के भिक्षुक बनने को बहुत शुभ माना जाता है और यहाँ यह परम्परा भी है कि युवक कुछ दिनों के लिए भिक्षु बनकर फिर गृहस्थ में लौट जाता है। पहले जमाने में ‘थेरवाद’ को ‘हीनयान शाखा’ कहा जाता था, लेकिन अब बहुत विद्वान कहते हैं कि यह दोनों अलग हैं। थेरवाद या स्थाविरवाद वर्तमान काल में बौद्ध धर्म की दो प्रमुख शाखाओं में से 4. (c) एक है।
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112. भारत के इतिहास में निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिए: (2020–1)
- राजा भोज के अधीन प्रतिहारों का उदय
- महेन्द्रवर्मन-1 के अधीन पल्लव सत्ता की स्थापना
- परान्तक- 1 द्वारा चोल सत्ता की स्थापना
- गोपाल द्वारा पाल राजवंश की संस्थापना
उपर्युक्त घटनाओं का, प्राचीन काल से आरम्भ कर, सही कालानुक्रम क्या है?
- 2-1-4-3
- 3-1-4-2
- 2-4-1-3
- 3-4-1-2
Ans – 3
राजा भोज के अधीन प्रतिहारों का उदय: रामभद्र ( 833 ई – 836 ई) ने नागभट्ट द्वितीय का स्थान प्राप्त किया। मिहिर भोज (836ई.. 886ई) ने पश्चिम बंगाल से पूर्व, और दक्षिण से नर्मदा की सीमा तक प्रतिहार प्रभुत्व का विस्तार किया। महेंद्रवर्मन के तहत पल्लव शक्ति की स्थापना: महेंद्रवर्मन (571ई. 630ई.) के शासनकाल के दौरान पल्लव एक प्रमुख शक्ति बन गए।
चोल शक्ति की स्थापना: (907-950 )
पाल वंश की स्थापना गोपाल द्वारा की गई। वह एक स्थानीय सरदार था, जो 8 वीं शताब्दी के मध्य में अराजकता के दौर में सत्ता में आया था।
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113. निम्नलिखित में से कौन-सा उपवाक्य, उत्तर-हर्ष-कालीन स्रोतों में प्रायः उल्लिखित ‘हुंडी’ के स्वरूप की परिभाषा बताया है? (2020–1)
- राजा द्वारा अपने अधीनस्थों को दिया गया परामर्श
- प्रतिदिन का लेखा-जोखा अंकित करने वाली बही
- विनिमय पत्र
- सामन्त द्वारा अपने अधीनस्थों को दिया गया आदेश
Ans – 3
हुंडी एक वित्तीय साधन है जो व्यापार और ऋण लेनदेन में उपयोग के लिए मध्यकालीन भारत में विकसित हुआ है। हुडियों का उपयोग प्रेषण साधन के रूप में किया जाता है ताकि धन को उधार लेने के लिए क्रेडिट साधन के रूप में और व्यापार लेनदेन में विनिमय के बिल के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान पर धन स्थानांतरित किया जा सके। उसमें किसी व्यक्ति को बिना शर्त आदेश दिया हुआ होता है कि इस विपत्र के धारक को या उसमें अंकित व्यक्ति को उसमें अंकित धनराशि दे दी जाए।
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114. भारत के इतिहास के संदर्भ में, “कुल्यावाप” तथा ” द्रोणवाप” शब्द क्या निर्दिष्ट करते हैं? (2020–1)
- भू-माप
- विभिन्न मौद्रिक मूल्यों के सिक्के /
- नगर की भूमि का वर्गीकरण
- धार्मिक अनुष्ठान
Ans – 1
गुप्तकाल में भूमि की माप का पैमाना था-
1. निर्वतन,
2. कुल्यावाप, 3. द्रोणवाप, 4. आढ़वाप.
1 कुल्यावाप = 8 द्रोणवाप = 32 आढ़वाप
115. निम्नलिखित में से किस शासक ने अपनी प्रजा को इस अभिलेख के माध्यम से परामर्श दिया? (2020–1)
“कोई भी व्यक्ति जो अपने संप्रदाय को महिमा मंडित करने की दृष्टि से अपने धार्मिक संप्रदाय की प्रशंसा करता है या अपने संप्रदाय के प्रति अत्यधिक भक्ति के कारण अन्य संप्रदायों की निन्दा करता है, वह अपितु अपने संप्रदाय को गंभीर रूप से हानि पहुँचाता है। ”
- अशोक
- समुद्रगुप्त
- हर्षवर्धन
- कृष्णदेव राय
Ans – 1
यह उद्धरण अशोक के एक शिलालेख (मुख्य स्तम्भ लेख 12 ) से लिया गया है। इसमें अशोक का संपादन है- “जो कोई भी अपने धर्म की प्रशंसा करता है, वह अत्यधिक भक्ति के कारण करता है, और दूसरों को इस विचार के साथ निंदा करता है; मुझे अपने धर्म का महिमामंडन करने दो, केवल अपने ही धर्म को हानि पहुँचाता है। ” इसलिए संपर्क (धर्मों के बीच) अच्छा है। दूसरों द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों को सुनना और उनका सम्मान करना चाहिए। राजा पियदसी, भगवान के प्रिय, की इच्छा है कि सभी अन्य धर्मों के अच्छे सिद्धांतों को अच्छी तरह से सीखे।”
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116. भारत के इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: (2020–1)
प्रसिद्ध स्थल वर्तमान राज्य
1. भीलसा मध्य प्रदेश
2 द्वारसमुद्र महाराष्ट्र
3. गिरिनगर गुजरात
4. स्थानेश्वर उत्तर प्रदेश
उपर्युक्त में से कौन सा/से सही है/हैं?
- केवल 1 और 3
- केवल 1 और 4
- केवल 2 और 3
- केवल 2 और 4
Ans – 1
मध्यकाल में विदिशा शहर को भेलसा के नाम से जाना जाता था। विदिशा भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक प्राचीन शहर है। यह प्राचीन काल में बेसनगर के रूप में जाना जाता था। द्वारसमुद्र आधुनिक हैलविड का प्राचीन नाम था। यह होयसल वंश के राजाओं की राजधानी था, जो वर्तमान कर्नाटक क्षेत्र पर शासन करते थे। गुजरात में जूनागढ़ के निकट गिरनार पर्वत है। गिरनार का प्राचीन नाम ‘गिरिनगर’ था। गिरनार मुख्यतः जैन मतावलंबियों का पवित्र तीर्थ स्थान है। यहां मल्लिनाथ और नेमिनाथ के मंदिर बने हुए हैं। यहीं पर सम्राट अशोक का एक स्तंभ भी है।
थानेसर या थानेश्वर ( स्थानीश्वर ) हरियाणा का एक ऐतिहासिक नगर एवं हिन्दुओं का तीर्थ है। यह सरस्वती (घग्गर) नदी के तट पर स्थित है। थानेसर एक पुराना शहर है जो कुरूक्षेत्र जिले में सरस्वती घग्गर नदी के तट पर स्थित है। यह शहर दिल्ली से 160 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस शहर पर हर्षवर्धन के पिता प्रभाकरवर्धन के द्वारा शासन किया गया था। वह वर्धन वंश के पहले शासक थे और उनकी राजधानी स्थानेश्वरा थी, जो वर्तमान में थानेसर में स्थित है।
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117. प्राचीन भारतीय गुप्त राजवंश के समय के संदर्भ में, नगर घंटाशाला, कदूरा तथा चौल किसलिए विख्यात थे?(2020-1)
- विदेशी व्यापार करने वाले बंदरगाह
- शक्तिशाली राज्यों की राजधानियाँ
- उत्कृष्ट प्रस्तर कला तथा स्थापत्य से संबंधित स्थान
- बौद्ध धर्म के महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल
Ans – 1
गुप्त काल में, आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के व्यापार होते थे। रोमन साम्राज्य से व्यापार पश्चिमी भारत में कल्याण, चौल, ब्रोच और कँबे के बंदरगाहों के माध्यम से होता था। गुप्त काल के दौरान आंध्र क्षेत्र में बंदरगाह कडुरा और घंटशाला तथा ये कावेरीपट्टनम और टोंडाई पांड्या क्षेत्र के बंदरगाह थे जहाँ से विदेशों से व्यापार किये जाते थे।
118. भारत के सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: [2020-1]
1. परिव्राजक – परित्यागी व भ्रमणकारी
2 श्रमण – उच्च पद प्राप्त पुजारी
3. उपासक – बौद्ध धर्म का साधारण अनुगामी
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 1 और 3
- केवल 2 और 3
- 1, 2 और 3
Ans – 2
श्रमण परम्परा भारत में प्राचीन काल से जैन, बौद्ध तथा कुछ अन्य पन्थों में पायी जाती है। जैन भिक्षु या जैन साधु को श्रमण कहते हैं, जो पूर्णतः हिंसादि का प्रत्याख्यान करता और सर्वविरत कहलाता है। श्रमण को पाँच महाव्रतों – सर्वप्राणपात, सर्वमृष्यावाद, सर्वअदत्तादान, सर्वमैथुन और सर्वपरिग्रह को तन, मन तथा कर्म से पालन करना पड़ता है। यह कोई पद पुजारी नहीं होता है।
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