Vice President : उप राष्ट्रपति (Make Complete Notes Class 16) | UPSCSITE

Vice President Complete Notes For UPSC & PCS : उप राष्ट्रपति (Make Complete Notes Class 16)

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Vice President : उप राष्ट्रपति

16. उपराष्ट्रपति

~भारत में उपराष्ट्रपति का पद अमेरिका से लिया गया है।

~भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 में उपराष्ट्रपति के पद की व्यवस्था की गयी है।

~उपराष्ट्रपति का निर्वाचन, संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मण्डल के द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धत्ति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से तथा गुप्त मतदान द्वारा होता है।

~उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बंधित किसी विवाद का निर्णय उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जायेगा । उसका निर्णय अन्तिम होगा । न्यायालय द्वारा उसके निर्वाचन को अवैध घोषित किये जाने पर उसके पद की शक्तियों के प्रयोग में किये गये कार्य अमान्य नहीं होंगे, (अनुच्छेद – 71)।

इस पद के उम्मीदवार में निम्नलिखित योग्यताएं होनी आवश्यक हैं-

(क) वह भारत का नागरिक हो।

(ख) उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो ।

(ग) वह राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो ।

(घ) वह कोई लाभ का पद धारण नहीं कर सकता । (ड) वह संसद के किसी सदन या राज्य के विधान मण्डल के किसी सदन का सदस्य नहीं हो सकता और यदि ऐसा व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो यह समझा जायेगा कि उसने उस सदन का अपना स्थान अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है।

~उपराष्ट्रपति केवल अस्थायी रूप से ही राष्ट्रपति पद को धारण करता है। यह अवधि अधिकतम 6 माह है, जिसके अन्तर्गत नये राष्ट्रपति का चुनाव हो जाना चाहिए।

~उपराष्ट्रपति के पुननिर्वाचन पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है, लेकिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एवं मोहम्मद हामिद अंसारी के अतिरिक्त अन्य कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद पर पुननिर्वाचित नहीं हुआ।

~उपराष्ट्रपति को अपना पद ग्रहण करने से पूर्व राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ लेनी पड़ती उपराष्ट्रपति चूंकि राज्यसभा का सदस्य नहीं होता है; अतएव उसे मतदान का अधिकार नहीं है, किन्तु सभापति के रूप में निर्णायक मत देने का अधिकार प्राप्त है।

~उपराष्ट्रपति का वेतन राज्यसभा के सभापति के रूप 25 लाख रुपये मासिक है।

~जिस कालावधि में उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है उसे राष्ट्रपति की ही शक्तियां, उन्मुक्तियां और विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं।

कार्य एवं शक्तियाँ

~भारतीय संविधान में उपराष्ट्रपति द्वारा सम्पादित किए जाने वाले कार्य को दो वर्गों में विभाजित किया गया है। राष्ट्रपति के त्यागपत्र अथवा अपदस्थता के कारण पद रिक्ति की स्थिति में उपराष्ट्रपति, कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है तथा यदि अनुपस्थिति, अस्वस्थता अथवा किसी अन्य कारणवश राष्ट्रपति अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन में असमर्थ हो तो उपराष्ट्रपति स्थानापन्न राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है । 

~वह राज्यसभा की बैठकों की अध्यक्षता करता है तथा उसकी समस्त कार्यवाहियों का संचालन करता है। 

~उपराष्ट्रपति के रूप में संविधान में उन्हें कोई कार्य नहीं सौंपे गए हैं।

~वह राज्यसभा में आचरण के नियमों का पालन करवाता है। 

~किसी प्रश्न पर राज्यसभा में मत विभाजन होने की स्थिति में वह मतों की गिनती करता है तथा परिणाम की घोषणा करता 

~राज्यसभा में यदि किसी भी प्रस्ताव अथवा प्रश्न पर विवाद उठ जाए कि उसे विचारार्थ स्वीकार किया जाए अथवा नहीं तो इसका निपटारा उपराष्ट्रपति अपने निर्णय से करता है। 

~सामान्यतया वह सदन के किसी प्रस्ताव अथवा विधेयक पर मतदान नहीं करता किन्तु दोनों पक्षों को बराबर मत प्राप्त होने की स्थिति में वह निर्णायक मतदान करता है।

राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपतिः एक तुलना

राष्ट्रपति

1. राष्ट्रपति के निर्वाचन हेतु निर्वाचक मंडल का निर्माण संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों तथा विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा होता है।

2.लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता धारण करना चाहिए।

3.त्यागपत्र उपराष्ट्रपति नाम संबोधित होता है।

4.महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा पदच्युत किया जा सकता है।

5. संघ की कार्यपालिका शक्ति उसमें निहित है तथा उसका प्रयोग वह केंद्रीय मंत्रिपरिषद् के परामर्श एवं सहायता से करता है।

उपराष्ट्रपति

1. निर्वाचन हेतु निर्वाचक मंडल का निर्माण संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्यों (निर्वाचित + मनोनीत) द्वारा होता है। (निर्वाचक मंडल में विधान सभाओं के सदस्य शामिल नहीं होते हैं)

2.राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता धारण करना चाहिए।

3. त्यागपत्र राष्ट्रपति के नाम संबोधित होता है। 4.राज्यसभा द्वारा बहुमत से पारित ऐसे संकल्प द्वारा पदच्युत किया जा सकता है जिससे लोकसभा सहमत हो।

5.उपराष्ट्रपति के रूप में संविधान में कोई कार्य वर्णित नहीं है। वह राज्य सभा के पदेन सभापति के रूप कार्य करता है। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति अथवा पद रिक्ति की स्थिति में वह राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।

~जब कभी किसी सदस्य द्वारा सदन में कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश किया जाता है तो वह निर्णय देता है कि उसे विचारार्थ स्वीकार किया जाए अथवा नहीं।

~उपराष्ट्रपति कभी-कभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में भी कार्य करता है।

~जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता अथवा राष्ट्रपति के कर्त्तव्यों का निर्वहन करता है, तब वह राष्ट्रपति की समस्त शक्तियों का प्रयोग करता है तथा उस समय वह राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं कर सकता।

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