Ancient Literature Quiz [20 Ques] : प्राचीन साहित्य प्रश्नोत्तरी | UPSCSITE

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नमस्कार दोस्तों, UPSC SITE आपके लिए लेकर आया है “प्राचीन भारत का इतिहास” Ancient Literature Quiz [20 Ques] : प्राचीन साहित्य – Objective Question Answer, जिनकी प्रैक्टिस आप ऑनलाइन कर सकते है। हमारे संग्रह टेस्ट्स को प्रैक्टिस करने के बाद आपको अपनी तैयारी में अंतर समझ आने लग जायेगा। क्यूंकि हमने यहां पर केवल उन्ही प्रश्नो को सम्मिलित किया है जो किसी न किसी परीक्षा में पहले पूछे जा चुके है। लगभग भारत की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न बार – बार दोहराये जाते रहें है।

Ancient Literature Quiz [20 Ques] : प्राचीन साहित्य

यहां टॉपिक वाइज प्रश्नोत्तरी दिए गए हैं जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले सभी एस्पिरेंट्स के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण एवं लाभदायक साबित होने वाली है। यह “प्राचीन भारत का इतिहास” Ancient Literature Quiz [20 Ques] : प्राचीन साहित्य प्रश्नोत्तरी की टेस्ट सीरीज सभी एस्पिरेंट्स के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के पैटर्न के अनुसार स्मार्ट स्टडी करने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होने वाली है।

1. ‘इतिहास के पिता’ की पदवी सही अर्थों में निम्न में से किससे संबंधित है? RAS/RTS (Pre) 1994

  1. हेरोडोटस
  2. यूरीपिडीज
  3. थ्यूसीडाइडिस
  4. सुकरात

उत्तर- 1

यूनानी लेखक हेरोडोटस (5वी शती ई.पू.) को ‘इतिहास का पिता’ कहा जाता है। ‘हिस्टोरिका’ उसकी प्रसिद्ध पुस्तक है, जिसमें 5वीं शती ई.पू. के भारत-फारस संबंधों का विवरण (अनुश्रुतियों के आधार पर) मिलता है।

2. दशकुमारचरितम के रचनाकार थे- UPPCS (Mains) 2005

  1. सूरदास
  2. दंडिन
  3. तुलसीदास
  4. कालिदास

उत्तर – 2

प्रश्नगत विकल्पों में दिए गए रचनाकारों की प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं:

सूरदास – सूरसागर, सूर सारावली, साहित्य लहरी

दंडिन (या दंडी) –  दशकुमारचरितम

तुलसीदास – रामचरितमानस, विनय पत्रिका, कवितावली

कालिदास – अभिज्ञान शाकुंतलम, कुमारसंभव, ऋतुसंहार,

मालविकाग्निमित्र, विक्रमोर्वशीय, मेघदूत

भवभूति – उत्तररामचरितम्

कुमारदास – जानकीहरणम्

3. संस्कृत की निम्नलिखित में से कौन-सी रचनाओं ने महाभारत से अपना कथासूत्र लिया है? नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए- RAS/RTS (Pre) 2016

(i) नैषधीयचरित

(ii) किरातार्जुनीयम

(iii) शिशुपालवध

(iv) दशकुमारचरित

कूट :

  1. (ii) और (iii)
  2. (i), (im) और (iv)
  3. (i) और (m)
  4. (i), (i) और (11)

उत्तर- 4

भारवि द्वारा रचित रचना ‘किरातार्जुनीयम’ महाकाव्य है, जिसकी कथावस्तु महाभारत से ली गई है। इसमें अर्जुन तथा ‘किरात’ वेशधारी शिव के बीच युद्ध का वर्णन है। नैषधीयचरित महाकाव्य श्री हर्ष की कीर्ति का स्थायी  स्मारक है, इसमें 22 सर्ग है। महाभारत का नलोपाख्यान इस महाकाव्य का मूल आधार है। शिशुपाल वध महाकवि माघ द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य है। इसमें कृष्ण द्वारा शिशुपाल के वध की कथा का वर्णन है, जो महाभारत से ली गई है। किरातार्जुनयीयम, शिशुपालवधम और नैषधीयचरितम वृहत्त्रयी कहलाते हैं।

4. वाराहमिहिर की पंचसिद्धांतिका आधारित है- UPPSC (R.I.) 2014

  1. पर्शियन ज्योतिर्विद्या पर 
  2. यूनानी ज्योतिर्विद्या पर
  3. ईरानी ज्योतिर्विद्या पर
  4. ज्योतिर्विद्या पर

उत्तर- 2

वाराहमिहिर की पंचसिद्धांतिका दिए गए विकल्पों में से यूनानी (Greek) ज्योतिर्विद्या पर आधारित है।

5. ‘राजतरंगिणी’ के लेखक कल्हण के समय शासक था- UPPSC (GIC) 2010

  1. जयसिंह
  2. हर्ष
  3. गोविंदचंद्र
  4. जयचंद्र

उत्तर- 1

‘राजतरंगिणी’ के लेखक कल्हण के समय कश्मीर का शासक जयसिंह (1128-1149 ई.) था। उसी के शासनकाल के दौरान 1148-1149 ई. में कल्हण ने अपनी महान कृति ‘राजतरंगिणी’ को पूरा किया। राजतरंगिणी में कुल 8 तरंग तथा 7826 श्लोक हैं। प्रथम तीन तरंगों में अत्यंत प्राचीनकाल का कश्मीर का परंपरागत इतिहास है। चौथे से छठें तरंगों में कार्कोट तथा उत्पल वंशों का इतिहास है। सातवें और आठवें तरंगों में लोहार वंश का इतिहास अंकित है।

6. कल्हण की राजतरंगिणी को किसने आगे बढ़ाया? UPPCS (Pre) 2000

  1. बिल्हण एवं मेरुतुंग
  2. बिल्हण एवं मम्मट
  3. जोनराज एवं मेरुतुंग 
  4. जोनराज एवं श्रीवर

उत्तर- 4

कश्मीर के हिंदू राज्य का इतिहास हमें कल्हण की राजतरंगिणी से ज्ञात होता है। इस ग्रंथ की रचना कल्हण ने राजा जय सिंह (1128-1149 ई.) के शासनकाल में की थी। कश्मीर के शासक जैनुल आबदीन द्वारा संरक्षित दो विद्वानों जोनराज एवं उनके शिष्य श्रीवर ने कल्हण की राजतरंगिणी का आगे विस्तार किया।

7. ‘सौंदरानंद’ किसकी रचना है? M.P.P.C.S. (Pre) 1991

  1. अश्वघोष
  2. बाणभट्ट
  3. भवभूति
  4. भास

उत्तर- 1

अश्वघोष कुषाण शासक कनिष्क के राजकवि थे। उनकी रचनाओं में तीन प्रमुख हैं- (1) बुद्धचरित, (2) सौंदरानंद, (3) सारिपुत्रप्रकरणा l

8. निम्नलिखित में से परमार राजवंश के इतिहास पर प्रकाश डालने 8 वाला स्रोत कौन-सा है? MPPCS (Pre) 2019

  1. पद्मगुप्त का नवसाहसाङ्क चरित 
  2. मेरुतुंग की प्रबंध चिंतामणि 
  3. उदयपुर प्रशस्ति 
  4. उपर्युक्त सभी

उत्तर- 4

परमार राजवंश के इतिहास पर प्रकाश डालने वाले स्रोत हैं- पद्मगुप्त का नवसाहसांक चरित, मेरुतुंग का प्रबंध चिंतामणि, सीयक द्वितीय का इर्सोल अभिलेख, भोज के बांसवाड़ा तथा बेतमा के अभिलेख तथा उदयादित्य के समय का उदयपुर प्रशस्ति प्रमुख है। पद्मगुप्त के नवसाहसांक चरित में परमार वंश की उत्पत्ति आबू पर्वत से बताई गई है।

9. कालिदास की साहित्यिक कृति कौन-सी नहीं है? CGPCS (Pre) 2005

  1. मृच्छकटिकम
  2. मेघदूतम
  3. ऋतुसंहार
  4. विक्रमोर्वशीयम

उत्तर- 1

मृच्छकटिकम कालिदास की नहीं बल्कि शूद्रक की रचना है।

10. कालिदास द्वारा रचित ‘मालविकाग्निमित्र’ नाटक का नायक था- UPPCS (Pre) 1998

  1. पुष्यमित्र शुंग
  2. गौतमीपुत्र शातकर्णि
  3. अग्निमित्र
  4. चंद्रगुप्त II

उत्तर- 3

कालिदास द्वारा रचित ‘मालविकाग्निमित्र पांच अंकों का नाटक है, जिसमें मालविका और अग्निमित्र की प्रणय कथा वर्णित है। अग्निमित्र शुंग शासक, पुष्यमित्र शुंग का पुत्र था।

Ancient Literature Quiz [20 Ques] : प्राचीन साहित्य प्रश्नोत्तरी

11. ‘स्वप्नवासवदत्ता’ के लेखक हैं- 43rd BPSC (Pre) 1999

  1. कालिदास
  2. भास
  3. भवभूति
  4. राजशेखर

उत्तर- 2

महाकवि भास के नाम से 13 नाटक उपलब्ध हुए हैं, जिन्हें टी. गणपति शास्त्री ने ट्रावनकोर राज्य से प्राप्त किया था। स्वप्नवासवदत्ता और चारूदत महाकवि भास की प्रमुख रचना है।

12. ‘तुम्हारा अधिकार कर्म पर है, फल की प्राप्ति पर नहीं. यह निम्न में से किस ग्रंथ में कहा गया है? UPPCS (Pre) 1992

  1. अष्टाध्यायी
  2. महाभाष्य
  3. गीता
  4. महाभारत

उत्तर- 3

कर्म सिद्धांत पर विशेष बल देते हुए गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि ‘तुम्हारा अधिकार सिर्फ कर्म करने पर है, फल की प्राप्ति पर नहीं (कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन…….) l

13. प्राचीन भारत का वह ग्रंथ जिसका 15 भारतीय एवं चालीस विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ- UKPCS (Pre) 2010

  1. हितोपदेश
  2. पंचतंत्र
  3. कथासरित्सागर
  4. शकुंतला

उत्तर- 2

प्राचीन भारतीय पुस्तक पंचतंत्र (मूलतः संस्कृत में रचित) का पंद्रह भारतीय और चालीस विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ। इसके मूल लेखक विष्णु शर्मा माने जाते हैं। रूडगर्टन के अनुसार, पंचतंत्र के 50 से अधिक भाषाओं में 200 से अधिक स्वरूप उपलब्ध हैं। यह भारत की सर्वाधिक बार अनुवादित साहित्यिक पुस्तक मानी जाती है। मुगल काल में पंचतंत्र का फारसी अनुवाद ‘अनवारे सुहैली’ शीर्षक के तहत कराया गया था।

14. आर्यभट्ट थे- Uttarakhand U.D.A.L.D.A. (Pre) 2007

  1. भारतीय राजनीतिज्ञ
  2. भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री
  3. भारतीय संस्कृत के विद्वान एवं कवि 
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 2

आर्यभट्ट (चौथी पांचवीं शताब्दी ई.) प्राचीन भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘आर्यभट्टीय’ में बताया कि सूर्य स्थिर है, पृथ्वी घूमती है।

15. निम्नलिखित में से किस भारतीय गणितज्ञ ने दशमलव स्थानिक मान की खोज की थी? UPPCS (R.I.) 2014

  1. भास्कर ने
  2. वाराहमिहिर ने
  3. ब्रह्मगुप्त ने
  4. आर्यभट्ट ने

उत्तर- 4

आर्यभट्ट नामक भारतीय गणितज्ञ ने दशमलव स्थानिक मान की खोज की थी। आर्यभट्ट ने ‘आर्यभट्टीय ग्रंथ की रचना की थी, जो वैदिक गणित का प्रमुख ग्रंथ है।

16. ‘मत्तविलास प्रहसन’ का लेखक कौन था? U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl) (Pre) 2010

  1. गौतमीपुत्र सातकर्णि
  2. महाक्षत्रप रुद्रदामन 
  3. महेंद्र वर्मन
  4. पुलकेशिन द्वितीय

उत्तर- 3

‘मत्तविलास प्रहसन’ एक संस्कृत नाटक है। इसके लेखक पल्लव नरेश महेंद्र वर्मन हैं। इसमें तत्कालीन सामाजिक एवं धार्मिक जीवन के बारे में विवरण मिलता है। यह एक परिहास नाटक है, जिसमें धार्मिक आडम्बरों पर कटाक्ष किया गया है।

17. ‘मनुस्मृति’ मुख्यतया संबंधित है- UPPCS (Pre) 2007

  1. समाज-व्यवस्था से
  2. कानून से
  3. अर्थशास्त्र से
  4. राज्य कार्य पद्धति से

उत्तर- 1

‘मनुस्मृति’ जिसमें कुल 18 स्मृतियां सम्मिलित हैं, की रचना मनु द्वारा की गई मानी जाती है। मनुस्मृति प्राचीन भारतीय समाज-व्यवस्था तथा हिंदू विधि से संबंधित है। मनु को प्राचीन भारत का प्रथम एवं महान विधि निर्माता माना जाता है।

18. प्राचीन काल के महान विधि-निर्माता थे- UPPCS (Mains) 2004

  1. अशोक
  2. आर्यभट्ट
  3. मनु
  4. वात्स्यायन

उत्तर- 3

19. शून्य का आविष्कार किया था- IAS (Pre) 1995

  1. आर्यभट्ट ने
  2. वाराहमिहिर ने
  3. भास्कर प्रथम ने
  4. किसी अज्ञात भारतीय ने

उत्तर- 4

शून्य का आविष्कार ईसा पूर्व दूसरी शती में किसी अज्ञात भारतीय ने किया था। अरबों ने इसे भारत से सीखा और यूरोप में फैलाया। अरब देश में शून्य का प्रयोग सबसे पहले 873 ई. में पाया जाता है।

20. निम्न में से सबसे प्राचीन वाद्य यंत्र है- UPPCS (GIC) 2010

  1. सितार
  2. वीणा
  3. सरोद
  4. तबला

उत्तर- 2

दिए गए विकल्पों में सर्वाधिक प्राचीन वाद्य यंत्र वीणा है। यह प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति एवं संगीत का भाग रही है जबकि सितार, सरोद एवं तबला वाद्य यंत्र हैं।

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