Consolidated Funds : संचित निधि (Make Complete Notes Class 21, 22, 23, 24, 25) | UPSCSITE

Consolidated Funds Complete Notes For UPSC & PCS : संचित निधि (Make Complete Notes Class 21, 22, 23, 24, 25)
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Table of Contents
Consolidated Funds : संचित निधि
21. संचित निधि ( अनुच्छेद-266 (1) )
~यह वह निधि है जिसमें सरकार द्वारा अथवा उसकी ओर से प्राप्त सभी राजस्व जमा कराया जाता है। इसके अतिरिक्त नए ऋण, पुरानें ऋण की अदायगी इत्यादि से प्राप्त होने वाला धन इत्यादि भी इसी में जमा कराए जाते हैं।
~इस निधि में से धन केवल संसद की पूर्व अनुमति से खर्च किया जा सकता कुछ खर्चे ऐसे भी हैं जिन्हें संविधान द्वारा संचित निधि पर भारित घोषित किया गया है। ये खर्चे संसद की स्वीकृति के बिना भी संचित निधि से किए जा सकते हैं।
भारत की संचित निधि पर भारित व्ययः-
(i) राष्ट्रपति का वेतन, भत्ता एवं अन्य व्यय।
(ii) राज्य सभा के सभापति एवं उपसभापति तथा लोकसभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष के वर्तन, भत्ते ।
(iii) सर्वोच्य न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन, भत्ता तथा पेंशन ।
(iv) नियंत्रक महालेखा परीक्षक का वेतन, भत्ता तथा पेंशन।
(v) ऐसा ऋण जिनका दायित्व भारत सरकार पर है।
(vi) भारत सरकार पर किसी न्यायालय द्वारा दी गई डिग्री या पंचाट |
(vii) कोई अन्य व्यय जो संविधान द्वारा या संसद विधि द्वारा संचित
22. आकस्मिकता निधि ( अनुच्छेद-267 )
~भारत की आकास्मिक निधि की स्थापना संविधान के अनुच्छेद 267 द्वारा संसद को दिए गए अधिकार के तहत 1950 में संसद द्वारा की गई। यह निधि राष्ट्रपति के पास रहती है जो इसमें से अचानक होने वाले खर्चे के लिए धन उलपब्ध कराता है।
~परंतु यह धनराशि संसद की स्वीकृति से अतिरिक्त मांगों अथवा अतिरिक्त अनुदान द्वारा आकस्मिक निधि में डाल दी जानी चाहिए। यह ध्यान देने योग्य है कि राज्यों ने भी आकस्मिक निधि स्थापित कर रखी है, जिसका नियंत्रण राज्यपाल के पास रहता है।
23. भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148 से 151)
~वित्तीय प्रशासन क्षेत्र के भारत के संविधान एवं संसदीय कानून के प्रति महालेखा परीक्षक उत्तरदायी होते हैं।
~नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जायेगी तथा नियुक्ति पश्चात् उसे केवल सिद्ध कदाचार या असर्मथता के आधार पर ही पदच्युत किया जा सकता है।
~इसकी पदावधि छः वर्ष होती है, किंतु यदि इससे पूर्व 65 वर्ष की आयु पूरा कर लेता है तो उसे अवकाश ग्रहण करना पड़ता है। वह अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को कभी भी दे सकता है।
~इस पद से सेवा निवृत्ति के बाद वह भारत सरकार के अधीन कोई पद धारण नहीं कर सकता है।
~वह सार्वजनिक धन का संरक्षक एवं ट्रस्टी के रूप में कार्य करता है। तथा संघ राज्यों के आय-व्यय का संपरीक्षक होता है।
~भारत और प्रत्येक राज्यों या संघ राज्य क्षेत्रों की संचित निधि से सभी व्यय की संपरीक्षा करता है।
~संघ और राज्यों की आकस्मिक निधि और लोक लेखाओं से सभी व्यय की संपरीक्षा करता है।
~संघ और राज्यों के राजस्वों से वित्त पोषित सभी निकायों और प्राधिकारों की सरकारी कंपनियों की, और निगमों या निकायों की जो विधि द्वारा उत्प्रेषित हों, प्राप्ति एवं व्यय की संपरीक्षा करता है।
~वह राष्ट्रपति के सम्मुख वर्षभर के लेखे का सामान्य ब्यौरा प्रस्तुत करता है जिसमें वह शेष राशि तथा उत्तरदायित्व दर्शाता है। 1976 में इनको लेखा रखने के उत्तरादायित्व से मुक्त कर दिया गया। यह कार्य प्रशासनिक मंत्रालयों को सौंप दिया गया और केवल प्रक्षेपण संबंधी कार्य उसके हाथ में छोड़ दिए गए।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षण की शक्तियाँ:-
1. वह यह सुनिश्चित करता है कि संसद द्वारा किए गए विनियोजन की राशि उपयुक्त स्वीकृति के बिना न बढ़ाई जाए।
2. वह किसी भी खर्चे की बुद्धिमता, विश्वसनीयता तथा शिकायत के बारे में अपने आप को संतुष्ट कर सकता है। वह किसी भी ऐसे खर्चे को अस्वीकार कर सकता है जो कि उसके विचार में संविधान अथवा कानून का उल्लंघन करता है।
4. वह कंपनियों के लेखे का पूरक अथवा अतिरिक्त परीक्षण कर सकता है। उसे राष्ट्रपति स्थानीय संस्थाओं के लेखे के निरीक्षण का उत्तरदायित्व भी सौंप सकता है।
5. वह पेशेवर परीक्षकों को सरकारी कंपनियाँ के लेखे के परीक्षण में सहायता करता तथा उनके लेखा रखने से संबंधित फॉर्म निर्धारित कर सकता है तथा उनके लेखे के परीक्षण की प्रक्रिया निर्धारित कर सकता है।
24. भारत का महान्यायावादी (अनुच्छेद 76)
~राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए अर्हित किसी व्यक्ति को भारत का महान्यायवादी नियुक्त करता है। वह भारत सरकार का प्रथम विधि अधिकारी होता है। जो संघीय सरकार को कानूनी सहायता प्रदान करता है।
~महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत अपने पद को धारण करेगा तथा उसे वे वेतन, भत्ते प्राप्त होंगे, जो राष्ट्रपति निर्धारित करे।
~भारत का महान्यायावदी संसद या मंत्रिमंडल का सदस्य नहीं होता, लेकिन वह किसी भी सदन अथवा उनकी समिति में बोल सकता है, परंतु उन्हें मताधिकार नहीं प्राप्त होता हैं।
~महान्यायवादी को अपने कर्तव्यों के पालन में भारत के राज्य क्षेत्र में सभी न्यायालयों में सुनवायी का अधिकार प्राप्त है। वे सर्वोच्च न्यायालय तथा विभिन्न न्यायालयों के सम्मुख सरकार में मामले प्रस्तुत करता है।
~भारत में अभी तक इस प्रथा का अनुसरण होता रहा है कि जिस मंत्रिमंडल ने महान्यायावादी की नियुक्ति की थी, उसके पद त्याग करने या प्रतिस्थापित किये जाने पर महान्यावादी अपना पद त्याग देता है।
25. केंद्रीय सतर्कता आयोग
~केंद्रीय सतर्कता आयोग एक परामर्शदात्री संस्था है। इसकी स्थापना केंद्र सरकार के विभागों में प्रशासनिक भ्रष्टाचार की जांच करने के उद्देश्य से संथानम समिति के अनुशंसा पर 1964 में कार्यपालिका के एक संकल्प के द्वारा की गई।
~1998 में राष्ट्रपति के एक अध्यादेश द्वारा इसे सांविधिक एवं बहुस्तरीय बना दिया गया।
~केंद्रीय सतर्कता आयोग के एक अध्यक्ष एवं दो सदस्य की नियक्ति राष्ट्रपति द्वारा तीन सदस्यीय समिति, जिसमें (1) प्रधानमंत्री (2) गृहमंत्री, (3) लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं, कि सिफारिशों के आधार पर की जाती है।
~अप्रैल 2004 में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को किसी भ्रष्टाचार के आरोप या पद के दुरूपयोग के लिए लिखित शिकायतों को स्वीकार करने तथा सही प्रशसंकीय कार्य की संस्तुति करने कार्य की संस्तुति करने के लिए नामित एजेंसी के रूप में अधिकृत किया गया है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीबीसी) की शक्तियाँ
~निश्चित वर्गों के लोक सेवकों के लिए सीआरपीसी के तहत अपराध या भ्रष्टाचार अधि. 1988 के अंतर्गत जाँच करने के संबंध में दिल्ली विशेष पुलिस व्यवस्था (डीएसपीई) के कार्यों पर नजर रखना तथा इस जिम्मेदारी से मुक्ति के उद्देश्य से डीएसपीई को निर्देश देना ।
~पीसी एक्ट के तहत तथाकथित अपराधों में डीएसपीई द्वारा की गई की प्रगति की समीक्षा करना ।
~किसी कार्रवाई, जिसमें एक संगठन में कार्य कर रहे लोक सेवकों, जिस पर भारत सरकार के कार्यकारी नियंत्रण का विस्तार हो जाता है, पर अनुचित उद्देश्य या भ्रष्ट तरीके से कार्य करने, करने का संदेह किया जाता है के संबंध में की गई जाँच या अन्वेषण की जिम्मेदारी लेना ।
~विभिन्न स्थितियाँ – अन्वेषण, जाँच, अपील, समीक्षा आदि में सतर्कता दृष्टि सहित अनुशासनात्मक मामलों में अन्य अथॉरिटी के संबंध में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सलाह देना ।
~भारत सरकार के मंत्रालयों या विभागों तथा अन्य संगठनों जिन पर केंद्र सरकार की कार्यकारी शक्ति का विस्तार किया गया है, में सतर्कता एवं भ्रष्टाचार विरोधी कार्यों की सामान्य जाँच या सुपरविजन करना ।
~निदेशक (सीबीआई) निदेशक (प्रवर्तन निदेशालय) तथा डीएसपीई में एसपी एवं उनसे वरिष्ठ अधिकारियों की कमिटी ऑफ सलेक्शन ( चुनाव समिति) की अध्यक्षता करना ।
~जनहित प्रकटीकरण अनौपचारिक के संरक्षण के तहत प्राप्त शिकायतों में जाँच की जिम्मेदारी संभालना तथा उचित कार्य की संस्तुति करना ।
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