प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छी जानकारी के लिए और आसानी से प्रैक्टिस के लिए सामान्य ज्ञान क्विज आधुनिक भारतीय इतिहास European Arrivals India Quiz
यूपीएससी, अन्य राज्य पीसीएस, एनडीए, सीडीएस, सीएपीएफ के परीक्षाओं में European Arrivals India Quiz से अक्सर पूछे जाने वाले व पिछले कुछ सालों के प्रश्नों का संग्रह विषयवार व टॉपिक वाइज किया गया।
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क्रमानुसार क्विज श्रृंखला में हर पिछले क्विज़ का विश्लेषण अगले क्विज के साथ संलग्न प्रकाशित कर दिया जाता हैं।
और इसी क्रमानुसार European Arrivals India Quiz के पहले का क्विज का विश्लेषण आप नीचे पढ़ सकते हैं।
Bhakti & Sufi Movement Quiz विश्लेषण – हिंदी में
161. भक्ति आंदोलन का प्रारंभ किया गया था –
- आलवार संतो द्वारा
- सूफी संतों द्वारा
- सूरदास द्वारा
- तुलसीदास द्वारा
उत्तर – 1
भक्ति आंदोलन का उदय सर्वप्रथम द्रविड़ देश में हुआ तथा वहां से उसका प्रचार उत्तर में किया गया। भागवत पुराण में कहा गया है कि भक्ति द्रविड़ देश में जन्मी, कर्नाटक में विकसित हुई तथा कुछ काल तक महाराष्ट्र में रहने के बाद गुजरात में पहुंच गए जीर्ण हो गई। भक्ति आंदोलन का सूत्रपात दक्षिण में 8वीं सदी में महान दार्शनिक शंकराचार्य के उदय के साथ हुआ था, जिन्होंने विशुद्ध अद्वैतवाद का प्रचार किया। भक्ति आंदोलन को दक्षिण के वैष्णव आलवार संतो और शैव नयनार संतो ने प्रसारित किया था।
162. बुद्ध और मीराबाई के जीवन दर्शन में मुख्य साम्य था –
- अहिंसा व्रत का पालन
- निर्वाण के लिए तपस्या
- संसार दु:खपूर्ण है
- सत्य बोलना
उत्तर – 3
बुद्ध और मीराबाई के जीवन दर्शन में मुख्य साम्य यह था, कि दोनों ने संसार को दु:खपूर्ण मान। ‘दु:ख’ बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्यों में प्रथम है।
163. “कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति से उसका धर्म- संप्रदाय या जाति न पूछे।” यह कथन है –
- कबीर का
- रामानंद का
- रामानुज का
- चैतन्य का
उत्तर – 2
उपयुक्त कथन संत रामानंद जी का है। इनके शिष्यों में सभी जाति एवं संप्रदाय के लोग शामिल थे।
164. सभी भक्ति संतों के मध्य एक समान विशेषता थी, कि उन्होंने –
- अपनी वाणी को उसी भाषा में लिखा, जिसे उनके भक्त समझते थे
- पुरोहित वर्ग की सत्ता को नकारा
- स्त्रियों को मंदिर जाने को प्रोत्साहित किया
- मूर्तिपूजा को प्रोत्साहित किया
उत्तर – 1
भक्ति आंदोलन के संतों का आचार बहुत ऊंचा था। उसमें से बहुतों ने देश का भ्रमण किया और वे कई प्रकार के लोगों से मिले, जिनके विचार भिन्न थे। उन संतो ने साधारण लोगों की भाषाओं को उन्नत करने में अपना योगदान दिया। उन्होंने हिंदी, पंजाबी, बंगाल, तेलुगू, कनाडा, तमिल इत्यादि भाषाओं की उन्नति में बहुत योगदान दिया। भक्ति आंदोलन के संत अपने उपदेश क्षेत्रीय एवं स्थानीय भाषाओं में देते थे, ताकि वहां के लोग उनके उपदेश आसानी से सुन और समझ सके। इस कारण क्षेत्रीय भाषाओं का विकास हुआ।
165. मध्ययुगीन भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में सूफी संत निम्नलिखित में से किस तरह के आचरण का निर्वाह करते थे?
- ध्यानसाधन और शवास- नियमन
- एकांत में कठोर योगिक व्ययाम
- श्रोताओं में आध्यात्मिक हर्षोन्माद उत्पन्न करने के लिए पवित्र गीतों का गायन
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए-
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 3
- 1, 2 और 3
उत्तर – 4
मध्यकालीन भारत में सूफियों के उद्भव से समाज में समरसता फैलाने में मदद मिली। ये सूफी ध्यानसाधन और कठोर शवास- नियम जैसी योगिक क्रियाओं को किया करते थे। वे एकांत में कठोर योगिक व्यायाम करते थे तथा समाज में एकता और सौहार्द्र फैलाने तथा श्रोताओं में आध्यात्मिक हर्षोन्माद उत्पन्न करने के लिए गीतों एवं संगीत का सहारा लेते थे।
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166. कामरूप में वैष्णव धर्म को लोकप्रिय बनाया-
- चैतन्य ने
- निम्बार्क ने
- रामानंद ने
- शंकरदेव ने
उत्तर – 4
कामरूप जो असम राज्य में स्थित है, वहां पर वैष्णव धर्म को लोकप्रिय बनाने का कार्य शंकरदेव ने किया था। एकेश्वरवाद उनके धर्म का मूल उद्देश्य था। वे विष्णु या उनके आवतार कृष्णा को अपना अभीष्ट मानते थे।
167. सुप्रसिद्ध मध्यकालीन संत शंकरदेव संबंधित थे-
- शैव संप्रदाय से
- वैष्णव संप्रदाय से
- अद्वैत संप्रदाय से
- द्वैताद्वैत संप्रदाय से
उत्तर – 2
उपयुक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
168. रामानुजचार्य किससे संबंधित है?
- भक्ति
- द्वैतवाद
- विशिष्टद्वैत
- एकेश्वरवाद
उत्तर – 3
वैष्णव आचार्य रामानुज भक्ति आंदोलन के प्राचीनतम प्रचीनतम थे। इन्होंने सगुण ईश्वर की उपासना पर बल दिया। उनके मत को विशिष्टाद्वैत कहा जाता है। जिसका अर्थ है- ‘ब्रह्मा अर्थात ईश्वर अद्वैत होते हुए भी जीव तथा जगत की शक्तियों द्वारा विशिष्ट थे।’
169. ‘महाप्रभु वल्लभाचार्य’ की जन्मस्थली कहां है?
- शिवरीनारायण
- बिलासपुर
- रतनपुर
- चंपारण
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर – 4
भक्तिकालीन सगुणधारा की कृष्ण भक्ति शाखा के आधार स्तंभ एवं पुष्टिमार्ग के प्रणेता श्री वल्लभाचार्य का जन्म विक्रम संवत् 1535, वैशाख कृष्ण एकादशी को दक्षिण भारत के कांकरवाड ग्रामवासी तेलुगू ब्रह्मण श्री लक्ष्मण भट्ट जी की पत्नी इलम्मागारु के गर्भ से वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर के निकट चंपारण में हुआ। उन्हें वैश्वानरावत (अगिन का अवतार) कहा गया है।
170. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- ‘बीजक’ संत दादू दयाल के उपदेशों का एक संकलन है।
- पुष्टिमार्ग के दर्शन को माध्वाचार्य ने प्रतिपादित किया।
उपयुक्त कथनों में से कौन- सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो एक और ना ही 2
उत्तर – 4
‘बीजक’ संत कबीर के उपदेशों का संकलन है, जो कबीरपंथी संप्रदाय के मागने वाले का पवित्र ग्रंथ है। पुष्टिमार्ग वैष्णव संप्रदाय के अंतर्गत आता है। पुष्टिमार्ग का दर्शन वल्लभाचार्य द्वारा प्रतिपादित किया गया है। अतः दोनों कथनों के असत्य होने के कारण विकल्प (d) सही है।
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171. कबीर शिष्य थे –
- चैतन्य के
- रामानंद के
- रामानुज के
- तुकाराम के
उत्तर – 2
कबीर रामानंद के 12 शिष्यों में से प्रमुख थे। लोक परंपरा के अनुसार, उनका जन्म किसी विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से वाराणसी के समीप हुआ था तथा पालन- पोषण एक जुलाहा दम्पत्ति नीरू और नीमा ने किया था।
172. ‘बीजक’ का रचयिता कौन है?
- सूरदास
- कबीर
- रविदास
- पीपाजी
उत्तर – 2
बीजक के रचयिता कबीर है। यह कबीरपंथी संप्रदाय के अनुयायियों का मुख्य धार्मिक ग्रंथ है, जिसमें कबीर के दोहों का संकलन है।
173. मलूकदास एक संत कवि थे –
- आगरा के
- अयोध्या के
- काशी के
- कड़ा के
उत्तर – 4
मलूकदास, कड़ा के संत कबीर थे। संत मलूकदास का जन्म लाला सुंदरदास खत्री के घर में 1574 ई. में उत्तर प्रदेश के कड़ा (वर्तमान कौशाम्बी जिला) में हुआ था।
174. निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही कालानुक्रम है?
- शंकराचार्य- रामानुज- चैतन्य
- रामानुज- शंकराचार्य- चैतन्य
- रामानुज- चैतन्य- शंकराचार्य
- शंकराचार्य- चैतन्य – रामानुज
उत्तर – 1
शंकराचार्य का काल लगभग आठवीं शताब्दी, रामानुज का काल 1017- 1337 ई. तक तथा चैतन्य का काल 1486 -1534 ई. तक था।
175. निम्नलिखित में से भक्ति संतों का सही तैथिक (कालानुक्रम) चुनिए –
- कबीर, गुरुनानक, चैतन्य, मीराबाई
- कबीर, चैतन्य, गुरुनानक, मीराबाई
- कबीर, मीराबाई,चैतन्य, गुरुनानक
- गुरुनानक, चैतन्य, मीराबाई, कबीर
उत्तर – 1
कबीर – 1398 -1518
गुरुनानक – 1469 -1540
चैतन्य – 1486 -1534
मीराबाई – 1498 – 1557
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176.भगवान शिव की प्रतिष्ठा में कितने ज्योतिर्लिंग स्थापित है?
- 6
- 12
- 24
- 18
उत्तर – 2
भगवान शिव की प्रतिष्ठा में भारत के विभिन्न भागों में 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई है। ये हैं- केदारनाथ, विश्वनाथ, वैधनाथ, महाकालेश्वर, ओकारेश्वर, नागेश्वर, सोमनाथ, त्र्यंबकेश्वर, घिशनेशवर, भीमशंकर, मल्लिकार्जुनस्वामी और रामेश्वर ।
177.रामानुज के अनुयायियों को कहा जाता है –
- शैव
- वैष्णव
- अद्वैतवाद
- अवधूत
उत्तर – 2
भक्ति आंदोलन के प्रचारक प्रसिद्ध वैष्णव आचार्य रामानुज के सगुण ईश्वर की उपासना पर बल दिया। उनका मत ‘विशिष्टाद्वैत’ कहा जाता है। उनके अनुयायी वैष्णव कहलाए।
178. निम्नलिखित में से कौन- सा स्थान गुरुनानक का जन्म स्थल था?
- अमृतसर
- नाभा
- ननकाना
- नांदेर
उत्तर – 3
ननकाना गुरुनानक का जन्म स्थल था, जिसे तलवंडी के नाम से भी जाना जाता है। उक्त स्थान पर इनका जन्म 15 अप्रैल, 1469 को हुआ था। यह पश्चिमी पंजाब (पाकिस्तान) के ननकाना साहिब जिले में स्थित है। गुरुनानक की मृत्यु 1539 ई. में डेराबाबा (करतारपुर, पाकिस्तान) नामक स्थान पर हुई थी।
179. जिसके साथ में गुरुनानक देव ने सिख धर्म की स्थापना की, वह कौन था?
- फिरोजशाह तुगलक
- सिकंदर लोदी
- हुमायूं
- अकबर
उत्तर – 2
गुरुनानक (1469 -1539 ई.) ने सिख धर्म की स्थापना सिकंदर लोदी (1489- 1517) के समय में की थी। नानक एकेश्वरवाद में विश्वास करते थे तथा निर्गुण ब्रह्म की उपासना पर बल देते थे। उनका मानना था कि ईश्वर एक है, वह निर्गुण और निरंकार है। वह अवतारवाद में विश्वास नहीं करते थे।
180. ‘ईश्वर’ केवल मनुष्य के सद्गुण को पहचानता है तथा उसकी जाति नहीं पूछता; आगामी दुनिया में कोई जाति नहीं होगी।’ यह सिद्धांत किस भक्ति संत का है?
- रामानंद
- दादू
- नानक
- रामानुज
उत्तर – 3
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गुरु नानक का करना है, “ईश्वर व्यक्ति के गुणों को जानता है, पर वह उसकी जाति के बारे में नहीं पूछता, क्योंकि दूसरे लोक में कोई जाति नहीं है।” गुरुनानक ने गुरु का लंगर नाम से मुक्ति सामुदायिक रसोई की शुरुआत की। उनके अनुयायी किसी भी किसी की भी जाति पर ध्यान दिए बिना एक साथ भोजन करते थे।
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