Jharkhand GK Part-1 For JPSC, JSSC CGL, All Exams : झारखंड सामान्य ज्ञान | UPSCSITE

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Jharkhand GK Part-1 For JPSC, JSSC CGL, All Exams : झारखंड सामान्य ज्ञान
यहां टॉपिक वाइज प्रश्नोत्तरी दिए गए हैं जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले सभी एस्पिरेंट्स के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण एवं लाभदायक साबित होने वाली है। यह “झारखंड सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी” Jharkhand GK Part-1 For JPSC, JSSC CGL, All Exams की टेस्ट सीरीज सभी एस्पिरेंट्स के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के पैटर्न के अनुसार स्मार्ट स्टडी करने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होने वाली है।
1.झारखण्ड राज्य विश्व के मानचित्र…. में अवस्थित है।
- उत्तरी गोलार्द्ध
- दक्षिणी गोलार्द्ध
- दोनो गोलार्द्ध
- इनमें को नहीं।
उत्तर- 1
व्याख्या – झारखण्ड राज्य विश्व के मानचित्र पर उत्तरी गोलार्द्ध अवस्थित है। 23.1/2 N कर्क रेखा झारखण्ड के मध्य से गुजरती है।
2.झारखण्ड राज्य भारत के मानचित्र पर..में अवस्थित है।
- उत्तरी भाग
- पश्चिमी भाग
- पूर्वी भाग
- दक्षिणी भाग
उत्तर- 3
व्याख्या – झारखण्ड देश के पूर्वी भाग में अवस्थित माना जाता है। वास्तव में झारखण्ड भारत के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित है।
3.झारखण्ड राज्य का देशांतरीय विस्तार निम्न में कितना है?
- 21°58′ 10′ 25° 19′ 15″
- 83° 19′ 50′ 87° 57″
- 83°50′ 19’87° 57″
- 21°58′ 19′ से 25° 19’15”
उत्तर- 2
व्याख्या – झारखण्ड राज्य का भौगोलिक विस्तार 21°58′ 19° से 25° 19′ 15″ उत्तरी अक्षांश तथा 83°19′ 50′ से 87° 57″ पूर्व देशांतर के मध्य है।
4.झारखण्ड राज्य की पूर्व से पश्चिम तक की लम्बाई कितने किलोमीटर है?
- 380 किमी
- 463 किमी
- 480 किमी
- 363 किमी
उत्तर- 2
व्याख्या – झारखण्ड राज्य का विस्तार उत्तर से दक्षिण तक 380 किलोमीटर तथा पूर्व से पश्चिम तक 463 किलोमीटर तक है।
5. झारखण्ड राज्य की सीमाएँ देश के कितने राज्यों को स्पर्श करती है?
- 7
- 4
- 5
- 6
उत्तर- 3
व्याख्या – झारखण्ड राज्य की सीमाएँ देश के 5 राज्यों को स्पर्श करती है। इसके पूर्व में पश्चिम बंगाल तथा पश्चिम में छत्तीसगढ़, उत्तर में बिहार, दक्षिण में ओडिशा व पश्चिमोत्तर में उत्तर प्रदेश राज्य अवस्थित है।
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6.झारखण्ड राज्य की आकृति कैसी है?
- वर्गाकार
- त्रिभुजाकार
- आयताकार
- चतुर्भुजाकार
उत्तर- 4
व्याख्या – झारखण्ड राज्य की आकृति चतुर्भुजाकार या चतुष्कोणीय है।
7. निम्न में से कौन-सा झारखण्ड का जिला अपने पड़ोसी राज्य बिहार को स्पर्श नहीं करता है?
- पलामू
- लातेहार
- कोडरमा
- गिरिडीह
उत्तर- B
व्याख्या- झारखण्ड के 10 जिले अपने पड़ोसी राज्य बिहार को स्पर्श करते हैं जिसमें शामिल है-
- गढ़वा
- पलामू
- चतरा
- हजारीबाग
- कोडरमा
- गिरिडीह
- देवघर
- दुमका
- गोड्डा
- साहेबगंज
8. झारखण्ड के कितने जिले अपने पड़ोसी राज्य प. बंगाल को स्पर्श करते हैं?
- 7
- 8
- 9
- 10
उत्तर- 4
व्याख्या- झारखण्ड के दस जिले अपने पड़ोसी राज्य प. बंगाल को स्पर्श करते हैं जिसमें शामिल है-
- साहेबगंज
- पाकुड़
- दुमका
- धनबाद
- जामताड़ा
- गिरिडीह
- देवघर
- दुमका
- गोड्डा
- साहेबगंज
9. निम्न में से झारखण्ड के कौन-से जिले छत्तीसगढ़ को स्पर्श नहीं करते हैं?
- सिमडेगा
- गुमला
- लातेहार
- लोहरदगा
उत्तर- 4
व्याख्या- झारखण्ड के चार जिले क्रमशः सिमडेगा, गुमला, लातेहार तथा गढ़वा छत्तीसगढ़ को स्पर्श करते हैं।
10.झारखण्ड का एक मात्र कौन-सा जिला उत्तर प्रदेश को स्पर्श करता है?
- पलामू
- गढ़वा
- लातेहार
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर- 2
व्याख्या- झारखण्ड का एक मात्र गढ़वा जिला उत्तर प्रदेश को स्पर्श करता यह UP के सोनभद्र जिले को स्पर्श करता है
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11. झारखण्ड का सबसे पूर्वी जिला कौन है?
- साहेबगंज
- पाकुड़
- गढ़वा
- पूर्वी सिंहभूम
उत्तर- 2
व्याख्या- झारखण्ड का सबसे
- पूर्वी जिला – पाकुड़
- पश्चिमी जिला – गढ़वा
- उत्तरी जिला – साहेबगंज
- दक्षिणी जिला – पश्चिमी सिंहभूम
12. कितने अक्षांश एवं देशांतर रेखा झारखण्ड से होकर गुजरती है ?
- 3 और 4
- 4 और 3
- 4 और 4
- 5 और 4
उत्तर- 3
व्याख्या- झारखण्ड से होकर चार देशांतर रेखा 84°, 85°, 86° और 87° गुजरती है जबकि चार अक्षांश रेखा 22°, 23°, 24° तथा 25° गुजरती है।
13.झारखण्ड के राँची जिला से निम्न में से कौन-सी देशांतर रेखा पास करती है ?
- 84°
- 85°
- 86°
- 87°
उत्तर- 2
व्याख्या- 85° देशांतर रेखा झारखण्ड के राँची जिले से गुजरती है जो राँची के अलावा चतरा तथा सिमडेगा से भी गुजरती है।
14. झारखण्ड के निम्न जिलों को उत्तर से दक्षिण के क्रम के रूप में व्यवस्थित कीजिए।
- साहेबगंज
- पाकुड़
- जामताड़ा
- दुमका
- i iv ii iii
- i ii iv iii
- ii iv i iv
- iv iiii i ii
उत्तर- 2
व्याख्या- झारखण्ड के सबसे उत्तरी जिला साहेबगंज है उसके बाद पाकुड़, पाकुड़ के बाद दुमका और उसके बाद जामताड़ा-
N – साहेबगज – पाकुड़ – दुमका – जामताड़ा – S
15.झारखण्ड के निम्न जिलों को पूर्व से पश्चिम की ओर व्यवस्थित कीजिए ।
- पलामू
- चतरा
- कोडरमा
- हजारीबाग
- i ii iv iii
- i ii iii iv
- iv iii ii i
- iii iv ii i
उत्तर- 4
व्याख्या- विकल्प में दिया गया जिला का क्रम पूर्व से पश्चिम में इस प्रकार है-
W पलामू – चतरा – हजारीबाग – कोडरमा E
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16. झारखण्ड के कितने ऐसे जिले है जो अन्य किसी राज्य को सपर्श नहीं करती है?
- 4
- 3
- 2
- 1
उत्तर- 3
व्याख्या- लोहरदगा तथा खूँटी झारखण्ड के दो ऐसे जिले हैं जो अन्य किसी राज्य को स्पर्श नहीं करते है।
17.झारखण्ड के हजारीबाग शहर से निम्न में कौन-सा राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरता है?
- NH-6 और NH-33
- NH-2 और NH-33
- NH-31 और NH-33
- NH-100 और NH-33
उत्तर- 4
व्याख्या- राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 100 जो चतरा से बगोदर तथा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-33 जो बरही से बारहागोड़ा तक कुल 3335 km लम्बा है और हजारीबाग से गुजरती है।
18. झारखण्ड का सबसे पूर्वी देशांतर रेखा किस जिले को स्पर्श करती है?
- साहेगंज
- पाकुड़
- गोड्डा
- गढ़वा
उत्तर- 2
व्याख्या- झारखण्ड का सबसे पूर्वी रेखा 87°57′ है जो पाकुड़ जिले को स्पर्श करती है। झारखण्ड की सबसे पश्चिमी देशांतर रेखा 83°19′ है जो गढ़वा जिले को स्पर्श करती है।
19. झारखण्ड का सबसे उत्तरी अक्षांश रेखा किस जिले को स्पर्श करती है।
- साहेबगंज
- गोचस्त्रा
- कोडरमा
- गिरिडीह
उत्तर- 1
व्याख्या- झारखण्ड का सबसे उत्तरी अक्षांश रेखा 25°19′ 15″ उत्तरी साहेबगंज को स्पर्श करती है, जबकि सबसे दक्षिणी अक्षांश रेखा 21° 58′ 10° उत्तरी प. सिंहभूम को स्पर्श करती है।
20. कर्क रेखा झारखण्ड के कितने जिलों से होकर गुजरती है?
- 5
- 6
- 7
- 8
उत्तर- 2
व्याख्या कर्क रेखा झारखण्ड में 6 जिलों (प. से पूर्व) लातेहार, गुमला,लोहरदगा, राँची, रामगढ़, बोकारो से गुजरती है:
Trick – L.G.L RRB
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21. राँची जिला निम्न में से किस जिले के साथ सीमा साझा नहीं करती ?
- लातेहार
- हजारीबाग
- गुमला
- पूर्वी सिंहभूम
उत्तर- 4
व्याख्या- राँची जिला 8 जिलों से अपनी सीमा साझा करता है और एक राज्य प. बंगाल से भी सीमा साइया करता है। 8 जिले सरायकेला, खरसांवा, खुंटी, गुमला, लोहरदगा लातेहार, चतरा, हजारीबाग तथा रामगढ़।
22. झारखण्ड की राजधानी राँची से उप-राजधानी की यात्रा करने पर न्यूनतम कुल कितने जिलों से होकर गुजरना होगा ? (राँची, दुमका को मिलाकर)
- 3
- 4
- 5
- 6
उत्तर- 3
व्याख्या- राजधानी राँची से उप-राजधानी दुमका जाने के क्रम में राँची, हजारीबाग, गिरिडीह, देवघर तथा दुमका से गुजरना होगा।
23. झारखण्ड का कौन-सा जिला तीन ओर से ओडिशा से घिरा है?
- पूर्वी सिंहभूम
- प. सिंहभूम
- सरायकेला-खरसावां
- सिमडेगा
उत्तर- 2
व्याख्या- प. सिंहभूम तीन ओर पुरब, पश्चिम, एवं दक्षिण से ओडिशा से घिरा हैं।
24. झारखण्ड के कुल कितने जिले दो या दो से अधिक राज्यों के साथ सीमा साझा करते है?
- 3
- 4
- 5
- 6
उत्तर- 4
व्याख्या- झारखण्ड के कुल 6 जिले दो या वो अधिक राज्यों के साथ सीमा साझा करते हैं।
- पूर्वी सिंहभूम ओडिशा एवं प. बंगाल
- सरायकेला-खरसावां ओडिशा एवं प. बंगाल
- दुमका बिहार एवं प. बंगाल
- साहेबगंज बिहार एवं प. बंगाल
25. गढ़वा जिला उत्तर प्रदेश के किस जिले के साथ सीमा साझा करता है?
- बलरामपुर
- सोनभद्र
- चित्रकुट
- बलिया
उत्तर- 2
व्याख्या- गढ़वा जिला उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले से अपनी सीमा साझा करता है साथ ही छत्तीसगढ़ के बलरामपुर तथा उत्तर में सोन नदी बिहार के साथ सीमा बनाती है।
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26. ओडिशा झारखण्ड के कितने जिलों के साथ सीमा साझा करता है?
- 4
- 5
- 7
- 10
उत्तर- 1
व्याख्या- ओडिशा की सीमा झारखण्ड के 4 जिलों से लगी हुई है। ये जिले हैं- पू. सिंहभूम, सरायकेला खरसावां, प. सिंहभूम और सिमडेगा ।
27. झारखण्ड के कितने जिले ऐसे हैं जिसकी सीमा छत्तीसगढ़ से लगी हुई है?
- 3
- 4
- 6
- 9
उत्तर- 2
व्याख्या- झारखण्ड के 4 जिले, सिमडेगा, गढ़वा, लातेहार तथा गुमला की सीमा छत्तीसगढ़ से लगी है।
28. हाल ही में झारखण्ड सरकार ने नया आधिकारिक प्रतीक चिह्न जारी किया गया है। इस प्रतीक चिह्न में हाथियों की संख्या कितनी है?
- 24
- 61
- 60
- 86
उत्तर- 1
व्याख्या – 14 अगस्त 2020 को झारखण्ड सरकार का नया प्रतीक चिह्न जारी किया गया है जो नया विचार, नया संकल्प तथा नई सोच पर आधारित है। इस प्रतीक चिह्न में-
- हाथी की संख्या- 24
- पलाश फूल की संख्या- 24
- नृत्य जोड़ों की संख्या-24
- बड़े गोल घेरो की संख्या- 07
- बड़ा घेरा- 07
- छोटा घेरा- 60
नोट – उपरोक्त दी गई संख्याओं पर सरकार ने अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है तथा इसके डिजाइनर की जानकारी भी नहीं दी गई है।
29.झारखण्ड की नयी आधिकारिक प्रतीक चिह्न किस तिथि को जारी किया गया है?
- 14 अगस्त 2020
- 15 अगस्त 202
- 15 नवम्बर 2020
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर- 1
व्याख्या- 14 अगस्त 2020 को आर्यभट्ट सभागार राँची में राज्य के नए प्रतीक चिह्न का अनावरण एवं झारखण्ड प्रदेशवासियों को समर्पित किया गया। 15 अगस्त 2020 से यह प्रभावी हुआ।
30. झारखण्ड की अस्मिता का प्रतीक झारखण्ड सरकार का नया प्रतीक चिह्न निम्न में से किस विचार को रेखाकिंत नहीं करता है?
- नया विचार
- नया संकल्प
- नई सोच
- नया राज्य
उत्तर- 4
व्याख्या झारखण्ड की अस्मिता का प्रतीक ‘झारखण्ड सरकार का नया प्रतीक चिह्न – 1. नया विचार ii नया संकल्प, ii नई सोच को रेखांकित करता है।
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31. नए राज्य चिह्न का हरा रंग निम्न में से क्या प्रदर्शित करता है?
- विकास और उर्वरता को दर्शाता है।
- राज्य के ऐर्श्वय और प्रचूर प्राकृतिक संसाधनों को दर्शाता है।
- सम्पूर्ण राज्य में फैली हरियाली व वन सम्पदा का परिचायक है।
- इनमें से सभी
उत्तर- 3
व्याख्या- नए राजचिह्न का हरा रंग सम्पूर्ण राज्य में फैली हरियाली व वन-संपदा का परिचायक है। प्राकृतिक सौंदर्य और संसाधनों से विभूषित झारखण्ड विकास के पथ पर पग धारण हेतु आवश्यक कच्चे मालों से परिपूर्ण है।
32. नए राजचिह्न में हाथियों की संख्या क्या दर्शाता है?
- राज्य के ऐर्श्वय और प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों को दर्शाता है।
- झारखण्ड के महान इतिहास, और सामूहिक बुद्धिमता का प्रतीक है।
- वर्तमान और के मध्य खड़ी सभी बाधाओं का दमन करते हुए आगे बढ़ने के संकल्प का प्रतीक है।
- इनमें सभी कथन सत्य है।
उत्तर- 4
व्याख्या – राज्य ऐर्श्वय और प्रचुर प्राकृतिक ससाधनों को दर्शाता हाथी झारखण्ड के महान इतिहास, शक्ति और सामूहिक बुद्धिमता का प्रतीक है। वर्तमान और भविष्य के मध्य खड़ी सभी बाधाओं का दमन करते हुए आगे बढ़ने के संकल्प का प्रतीक है यह हाथी ।
33. झारखण्ड के नए राजचिह्न का पलाश का फूल निम्न में से क्या दर्शाता है?
- झारखण्ड के प्राकृतिक सौंदर्य एवं सुरम्यता
- पुष्पित होता हुआ पलाश का फूल ग्रीष्म ऋतु के आगमन का प्रतीक है।
- पलाश का फूल झारखण्ड के समृद्धी को दर्शाता है।
- इनमें सभी कथन सत्य है।
उत्तर-1
व्याख्या पलाश का फूल “फ्लेम ऑफ द फॉरेस्ट’ के नाम से प्रसिद्ध पलाश या टेसू का फूल झारखण्ड के प्राकृतिक सौंदर्य एवं सुरम्यता को प्रतिबिंबित करता है। पुष्पित होता पलाश का फूल बसत ऋतु के आगमन का संदेश लेकर आता है।
34. स्थानीय त्यौहारों को चित्रित करने वाले जनजातीय कला को नए राजचिह्न में स्थान दिया गया है, जो निम्न में क्या दर्शाता है?
- झारखण्ड के महान इतिहास, शक्ति और सामूहिक बुद्धिमता
- झारखण्ड की सहभागिता एवं अद्वितीय भूमिका
- राज्य की समृद्ध और विविधतापूर्ण परपराओं के साथ उसकी निराली संस्कृति और धरोहर
- इनमें से सभी
उत्तर- 3
व्याख्या – स्थानीय त्यौहारों को चित्रित करनेवाले जनजातीय कला को नए राजचिह्न में स्थान दिया गया है, जो राज्य की समृद्ध और विविधतापूर्ण परपराओं के साथ उसकी निराली संस्कृति और धरोहर का बोधा करता है।
35.नए राजचिह्न के केन्द्रीय भाग में भारत का राष्ट्रीय चिह्न ‘अशोक स्तम्भ’ उकेरा गया है, जो निम्न में से क्या दर्शाता है?
- संघवाद में झारखण्ड की सहभागिता एवं अद्वितीय भूमिका
- संघवाद में हमारी संस्कृति को रेखांकित करता है
- हमारी पहचान को समग्रता से प्रकट करता है
- इनमें से सभी
उत्तर-1
व्याख्या- नए राजचिह्न के केंद्रीय भाग में उकेरा गया अशोक स्तम्भ भारत के उत्तम सहकारी संघवाद इसमें झारखण्ड की सहभागिता एवं अद्वितीय भूमिका को रेखांकित करता है।
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36. झारखण्ड के राजकीय प्रतीक के संबंध में कौन-सा कथन गलत है?
- झारखण्ड का राजकीय पुष्प Butea Monosperma है।
- झारखण्ड का राजकीय वृक्ष Shorea Rohusta है।
- झारखण्ड का राजकीय पक्षी अफ्रीकी कोयल है।
- उपरोक्त सभी कथन सत्य है।
उत्तर- 3
झारखण्ड का राजकीय पक्षी अफ्रीकी कोयल नहीं बल्कि एशियाई कोयल है।
37. इनमें से कौन झारखण्ड के राजकीय प्रतीक में शामिल नहीं है?
- पलाश का फूल
- आम
- सखुआ
- कोयल
उत्तर- 2
व्याख्या- पलाश या टेसू झारखण्ड का राजकीय पुष्प है। सखुआ राजकीय वृक्ष है जबकि एशियाई कोयल राजकीय पक्षी है। आम राज्य के राजकीय प्रतीक में शामिल नहीं है।
38.झारखण्ड राज्य के पुराने राजचिह्न का डिजाइन किसने तैयार किया था?
- अजित कुमार
- प्रभात स्वरूप
- अमिताभ पाण्डेय
- अमिताभ चौधरी
उत्तर- 3
व्याख्या- झारखण्ड का प्रथम राजचिह्न चार जे अक्षर के बीच अशोक चक्र का डिजाइन अमिताभ पाण्डेय ने तैयार किया था।
39.झारखण्ड राज्य के प्रथम राजचिह्न को सरकार द्वारा कब आधिकारिक स्वीकृति दी गई थी ?
- अक्टूबर 2001
- अगस्त 2002
- नवम्बर 2000
- फरवरी 2002
उत्तर- 4
व्याख्या- झारखण्ड राज्य के प्रथम राजचिह्न को झारखण्ड सरकार द्वारा 2002 में आधिकारिक स्वीकृति दी थी।
40.निम्न में से किस भारतीय भाषा में झारखण्ड शब्द का शब्दिक अर्थ जंगल-झाड़ी है?
- कुड़माली
- संथाली
- हिन्दी
- अंग्रेजी
उत्तर- 1
व्याख्या- कुड़माली भाषा में ‘झाड़’ का मतलब जंगल-झाड़ी होता है और खण्ड का अर्थ क्षेत्र या प्रदेश होता है। इसलिए झारखण्ड का शाब्दिक अर्थ जंगल झाड़ का प्रदेश है।
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41. झारखण्ड क्षेत्र का प्रथम साहित्यिक उल्लेख निम्न में किससे मिलता है, जिसमें इस क्षेत्र का उल्लेख पुण्ड्र नाम से किया गया है?
- महाभारत
- ऐतरेय ब्राह्मण
- वायु पुराण
- विष्णु पुराण
उत्तर-2
व्याख्या- झारखण्ड को अतित के विभिन्न कालों में विभिन्न नामों से जाना जाता था। इस क्षेत्र का प्रथम साहित्यिक उल्लेख ‘ऐतरेय ब्राह्मण’ में मिलता है, जिसमें इस क्षेत्र का उल्लेख पुण्ड / पुण्ड्र नाम से किया गया है।
42. 13वीं सदी ई. के एक ताम्रपत्र जो प्रथम पुरातात्विक प्रमाण है। इस ताम्र पत्र में निम्न में से किस शब्द का उल्लेख मिला है?
- वन प्रदेश
- किक्कट प्रदेश
- झारखण्ड
- कलिन्द देश
उत्तर -3
व्याख्या- 13वीं सदी ई. के एक ताम्रपत्र में झारखण्ड शब्द का उल्लेख मिला है। यह झारखण्ड शब्द का प्रथम पुरातात्विक प्रमाण है।
43. निम्न नामकरण का सही मिलान करें
- वायु पुराण 1. मुण्ड
- विष्णु पुराण 2. किक्कट प्रदेश
- भगवत पुराण 3. मुरण्ड
- महाभारत 4. पशुभूमि
A B C D
- i ii iii iv
- iii i ii iv
- ii iii iv i
- iv iii ii i
उत्तर – 2
व्याख्या – महाभारत में इस क्षेत्र के लिए पशुभूमि शब्द मिलता है जबकि महाभारत के दिग्विजय पर्व में इस क्षेत्र के लिए पुंडरिक देश कहा गया है-
Note-
- समुद्र गुप्त की प्रयाग प्रशस्ति- मुरूण्ड देश
- पूर्वमध्यकालीन संस्कृत साहित्य में- कलिन्द देश
- मध्य काल के जितने भी मुस्लिम इतिहासकार हुए उन सभी ने इस क्षेत्र का उल्लेख झारखण्ड नाम से किया।
44. निम्न में से किसके सम्मलित रूप को आज का झारखण्ड का ही पर्यायवाची बताया गया है?
- केवल छोटानागपुर
- केवल संथाल परगना
- छोटानागपुर + संथाल परगना+पलामू
- छोटानागपुर+सथाल परगना
उत्तर – 4
व्याख्या – आज का झारखण्ड पहले के छोटानागपुर सथाल परगना का ही पर्यायवाची है। वास्तव में झारखण्ड दो खण्डों को मिलाकर बनाया गया है। पहला खण्ड छोटानागपुर और दूसरा खण्ड सथाल परगना ।
45. छोटानागपुर झारखण्ड का लगभग कितने प्रतिशत भाग को घेरे हुए है?
- 50 प्रतिशत
- 60 प्रतिशत
- 80 प्रतिशत
- 70 प्रतिशत
उत्तर – 3
व्याख्या – छोटानागपुर, झारखण्ड का सबसे बड़ा भाग है। यह झारखण्ड का लगभग 80 प्रतिशत भाग में फैला है।
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46. चीनी यात्री फाहियान ने अपने यात्रावृतान्त ‘फो-को -क्वीं’ में छोटानागपुर को किस नाम से संबोधित किया है?
- कुक्कुट लाड
- किक्कट लाड
- कर्ण सुवर्ण
- काकजोल
उत्तर – 1
व्याख्या – चीनीयात्री फाहियान ने अपने यात्रा वृतान्त फो को क्वीं में छोटानागापुर पठार को कुक्कुट लाड कहा जबकि एक दूसरे चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृतान्त सी यू की में छोटानागपुर पठार को ” किलो-ना सु-का-ला-ना (अर्थात कर्ण सुवर्ण) कहा है।
47. मध्य काल में राँची को किस नाम से जाना जाता था ?
- कोकरा
- खोखरा
- छोटानागपुर
- a और b दोनों
उतर- 4
व्याख्या – मध्यकाल में राँची क्षेत्र को कोकरा तथा खोखरा दोनो नामों से जाना जाता था।
48.ब्रिटिश शासन काल के दौरान 1765 ई. से 1833 ई. तक झारखण्ड क्षेत्र को किस नाम से जाना जाता था?
- काकजोल
- संथाल परगना
- छोटानागपुर
- कोकरा/खोखरा
उत्तर- 3
व्याख्या – ब्रिटिश शासन काल के दौरान 1765 ई. से 1833 ई तक इस क्षेत्र के लिए छोटानागपुर नाम प्रयुक्त होता था।
49. झारखण्ड का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण भाग संथाल परगना को प्राचीन में किस नाम से जाना जाता था।
- कांकजोल
- नरीखंड
- कुक्कुट लाड
- राजमहल
उत्तर- 2
व्याख्या – संथाल परगना. झारखण्ड का दूसरा सबसे बड़ा भाग है। इस क्षेत्र का प्राचीनतम नाम नरीखंड है। बाद में उसे कांकजोल कहा जाने लगा। ह्वेनसांग ने संथाल परगना क्षेत्र के मुख्य भाग राजमहल को कि- चिंग-काई लो कहा।
50. राजमहल का नामकरण राजमहल किस काल में हुआ ?
- प्राचीन काल
- मध्य काल
- आधुनिक काल
- पाषाण काल
उत्तर- 2
व्याख्या – मध्यकाल में यह बंगाल की राजधानी भी बना। इसे मध्यकाल में राजमहल कहा जाने लगा।
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51.संथाल परगना के एक महत्वपूर्ण भाग जिसमें राजमहल, पाकुड़ गोड्डा और दुमका के कुछ हिस्से शामिल थे को निम्न में से किस नाम से जाना जाता था ?
- दामिन ए-कोह
- पहाड़ी अंचल
- कांकजोल
- a और b दोनों
उत्तर- 4
व्याख्या – संथाल परगना के एक महत्वपूर्ण भाग जिसमें राजमहल. पाकुड़, गोड्डा और दुमका के कुछ हिस्से शामिल थे को वामिन-ए-कोह अर्थात पहाड़ी अंचल कहा जाता था।
52. टॉलमी ने झारखण्ड को किस नाम से सम्बोधित किया है?
- मुण्ड
- मुण्डल
- मुरण्ड
- मुरुण्ड
उत्तर- 2
व्याख्या – टॉलमी ने झारखण्ड क्षेत्र को मुण्डल नाम से संबोधित किया है। विष्णु पुराण में मुण्ड, वायु पुराण में मुरण्ड तथा समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति में झारखण्ड को मुरुण्ड कहा गया है।
53. रसिक मंगल नामक पुस्तक में छोटानागपुर क्षेत्र को क्या कहा गया है?
- रामभम
- नागभूम
- झाड़भूम
- वनभूम
उत्तर-2
व्याख्या- रसिक मंगल नामक पुस्तक में छोटानागपुर क्षेत्र को नागभूम कहा गया है।
54. इनमें से किस लेखक ने अपने ग्रंथों में झारखण्ड क्षेत्र के लिए झारखण्ड शब्द का प्रयोग किया है।
- शम्स-ए-शिराज
- अफीफ सल्लिमुल्ला
- मलिक मोहम्मद जायसी
- उपरोक्त सभी
उत्तर- 4
व्याख्या- शम्स-ए-शिराज अफीफ सल्लिमुल्ला, मलिक मोहम्मद जायसी गुलाम हुसैन, कबीर दास आदि लेखकों ने अपने ग्रंथों में झारखण्ड कहा है।
55. अकबरनामा में झारखण्ड को क्या कहा गया है?
- झारखण्ड
- कोकरा
- पुफकरा
- खोखरा
उत्तर- 1
व्याख्या – अकबरनामा में झारखण्ड क्षेत्र को झारखण्ड हीं कहा गया है। जबकि आईने अकबरी में झारखण्ड को कोकरा या खंकराह कहा गया है। मुगल काल में झारखण्ड को कुकरा/खुखरा तथा तुजुक -ए-जहांगीरी में खोखरा कहा गया है।
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56. निम्नलिखित में से किसने झारखण्ड को झारखण्ड कहा गया है?
- तारीख-ए-फिरोजशाही
- तारीख-ए-बंग्ला
- सियार-उल-मुतखरीन
- ये सभी
उत्तर – 4
व्याख्या – झारखण्ड का झारखण्ड शब्द से सम्बोधन-
झारखण्ड- 13वीं सदी का ताम्र पत्र – कबीर के ग्रंथ – मलीक मो.
जायसी के ग्रंथ – अकबरनामा – तारीख-ए-बंग्ला → तारीख-ए- फिरोजशाही → सियार-उल-मुतखरीन
57. कौटिल्य के अर्थशास्त्र में झारखण्ड को क्या कहा गया है?
- किक्कट प्रवेश
- कलिन्द देश
- कुकुट देश
- कुक्कुड लाड
उत्तर- 3
व्याख्या- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में झारखण्ड को कुकुट/कुकुट देश कहा गया है।
58. विलकिंसनगंज तथा किशुनपुर झारखण्ड के किस शहर का पुराना नाम है?
- धनबाद
- राँची
- देवघर
- दुमका
उत्तर- 2
व्याख्या – राँची को पहले विलकिसनगंज तथा किशुनपुर नाम से जाना जाता था।
59.झारखण्ड ऐसा कौन-सा स्थान है,जहां से तीनों पाषाण काल का अवशेष पाया गया है?
- राँची
- पूर्वी सिंहभूम
- प. सिंहभूम
- इनमें सभी
उत्तर- 4
व्याख्या- राँची, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम से तीनों पाषाण काल अर्थात पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल तथ नवपाषाण काल का अवशेष प्राप्त हुआ है।
60. राँची, पूर्वी सिंहभूम व प. सिंहभूम के अलावा किस स्थान से पुरापाषाण काल के अवशेष प्राप्त हुए है?
- लोहरदगा
- देवघर
- धनबाद
- पलामू
उत्तर- 2
व्याख्या – पुरापाषाण काल के अवशेष झारखण्ड में राँची,पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम के अलावा देवघर, दुमका, हजारीबाग और बोकारो आदि से मिला है।
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61. निम्न में से किस स्थान से मध्य पाषाण काल के अवशेष नहीं पाये गये है?
- पलामू
- दुमका
- धनबाद
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर- 4
व्याख्या – राँची पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम के अलावा पलामू, दुमका तथा धनबाद आदि स्थानों से मध्यपाषाण काल के अवशेष पाये गये है।
62. निम्न में से किस स्थान से नवपाषाण काल के अवशेष पाये गये है?
- पलामू
- लातेहार
- लोहरदगा
- धनबाद
उत्तर- 3
व्याख्या – राँची. पूर्वी सिंहभूम और पश्चिम सिंहभूम के अलावा लोहरवगा एक ऐसा स्थान है. जहां से झारखण्ड में नवपाषाण काल के अवशेष पाये गये हैं।
63. झारखण्ड में युग के आगमन को क्रम में सजायें ?
- पाषाण युग
- लौह युग
- ताम्र युग
- ताम्र-पाषाण-युग
- कांस्य युग
- 1, 4, 3, 5, 2
- 1, 3, 5, 4, 2
- 4, 1, 2, 3, 5
- 5, 4, 2, 3, 1
उत्तर- 1
व्याख्या – झारखण्ड में पाषाण काल के बाद निम्न काल का कालक्रम इस प्रकार है- पाषाण काल ताम्र पाषाण काल ताम्र/तांबा युग-कांस्य युग-लौहयुग
64. झारखण्ड में ताम्र पाषाण युगीन संस्कृति का केन्द्र-बिन्दु कहाँ था ?
- पलामू
- संथाल परगना
- राँची
- सिंहभूम
उत्तर- 4
व्याख्या – झारखण्ड में ताम्रपाषाणयुगीन संस्कृति का केन्द्र बिन्दु सिंहभूम था। (ताम्रपाषाणयुगीन वैसा काल जिसमें औजार पत्थर के साथ-साथ तौबा का भी बनाया जाता था)।
65. निम्न में से कौन-सी जनजातियाँ ताँबे को खान से निकाल कर उसे गलाने और उससे उपकरण बनाने की विद्या से परिचित थे?
- असुर
- बिरजिया
- बिरहोर
- इनमें सभी
उत्तर- 4
व्याख्या – असुर, बिरजिया और बिरहोर जनजातिया ताबे के खान से अयस्क निकाल कर उसे गलाने और उससे उपकरण बनाने की विद्या से परिचति थे।
इस बात की पुष्टि हजारीबाग के बाहरगड़ा नामक स्थान से 49 खानों के अवशेष मिलने से होती है। झारखण्ड में कई स्थानों से तांबे की कुल्हाड़ी मिलने से भी पुष्टि होती है।
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66. छोटानागपुर क्षेत्र में कांस्य/कांसा युग का सूत्रधार कौन सी जनजाति थी?
- असुर और बिरजिया
- बिरहोर और असुर
- बिरजिया और बिरहोर
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर- 1
व्याख्या – झारखण्ड में ताम्र युग के बाद कांस्य युग आया और कासा का निर्माण तांबा में टीन मिलाकर किया जाने लगा था। छोटानागपुर क्षेत्र में “असुर और बिरजिया जनजाति इस युग के सूत्रधार थे।
67. झारखण्ड में लौह-युग का सूत्रधार कौन-सी जनजाति थी ?
- असुर और बिरजिया
- बिरहोर व असुर
- बिरजिया और बिरहोर
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर- 1
व्याख्या – झारखण्ड में लौह-युग का सूत्रधार असुर, बिरजिया और जनजातियाँ थी।
68. झारखण्ड में लौह-युग का सूत्रधार किस जनजाति को माना जाता है?
- असुर व बिरजिया
- बिरहोर व असुर
- बिरजिया व बिरहोर
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर- 1
व्याख्या- छोटानागपुर का लोहा सुदूर मेसोपोटामिया तक भेजा जाता था. चाईबासा में इण्डो-सीथियन सिक्के प्राप्त हुए है. सिंहभूम से रोमन साम्राज्य के सिक्के प्राप्त हुए है इन सभी से झारखण्ड की वैवेशिक व्यापार की पुष्टि होती है। राँची से कुषाण कालिन प्राप्त सिक्के से इस बात की पुष्टि होती है कि यहा कुषाणों का प्रभाव था।
69. झारखण्ड में निम्न में कौन-सी जनजाति सबसे प्राचीन है?
- असुर
- बिरजिया
- विरहार
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर- 1
व्याख्या- झारखण्ड में असुर, बिरजिया, बिरहोर तथा खड़िया जनजातिया प्राचीन है और इसमें भी असुर सबसे प्राचीन जनजाति है।
70.चेरो तथा खरवार जनजाति का झारखण्ड में आगमन किस काल में हुआ?
- पाषाण काल
- मध्यकाल
- पूर्व मध्यकाल
- उत्तर मध्यकाल
उत्तर- 3
व्याख्या- पूर्व मध्यकाल में चेरो एवं खरवार जनजाति का प्रवेश झारखण्ड के पलामू क्षेत्र में हुआ तथा इसी काल में सवालों का प्रवेश हजारीबाग में हुआ जबकि संथालों का संथाल परगना में प्रवेश ब्रिटिश काल में हुआ।
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71. बड़े पत्थर पर आदिमानव द्वारा निर्मित चित्र, खुला सूर्य मंदिर एवं शैल चित्र दीर्घा झारखण्ड के किस स्थान से प्राप्त हुआ है?
- सीतागढ़ पहाड़
- दुमदुमा पहाड़
- इस्को पहाड़
- वोनभरा
उत्तर- 3
व्याख्या- बड़े पत्थर पर आदिमानव द्वारा निर्मित चित्र खुला सूर्य मंदिर एवं शैल चित्र दीर्घा हजारीबाग के इस्को गाँव में स्थित पहाड़ी में मिली है जो दो से पाँच हजार ईसा पूर्व की बताई जाती है।
72. बौद्ध मठ के अवशेष निम्न में किस स्थान से प्राप्त हुआ है?
- इस्को पहाड़
- सीतागढ़ पहाड़
- दूधपानी
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर- 2
व्याख्या- झारखण्ड के हजारीबाग जिले के सीतागढ़ पहाड़ से ‘बौद्ध मठ के अवशेष प्राप्त हुए है इसमें विशेष रूप से बुद्ध की चार आकृति से युक्त एक स्तूप तथा काले-भूरे पत्थर की सुन्दर स्त्री की खडित प्रतिमा मिली है।
73. झारखण्ड में कब्रगाह का अवशेष कहाँ से प्राप्त हुआ है?
- मुरद
- लूपगढ़ी
- नामकूम
- दुमदुमा
उत्तर- 2
व्याख्या- झारखण्ड में कद्रगाह का अवशेष लूपगढ़ी से प्राप्त हुआ है।
74. तांबे की सिकड़ी (चैन) तथा कांसे की अंगूठी निम्न में से किस स्थान से प्राप्त हुआ?
- लूपगढ़ी
- नामकूम
- लोहरदगा
- मुरव
उत्तर- 4
व्याख्या- तांबे की सिकड़ी (चैन) तथा कांसे की अंगूठी ‘मूरद’ से प्राप्त हुआ है।
75. कांसे का प्याला निम्न में से किस स्थान से प्राप्त हुआ ?
- लोहरदगा
- नामकूम
- मुरद
- लूपगड़ी
उतर- 1
व्याख्या- कांसे का प्याला झारखण्ड के लोहरदगा जिले से प्राप्त हुआ है।
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76. ताबे एव लोहे के औजार तथा बाण के फलक निम्न में से किस स्थान से प्राप्त हुआ?
- लूपगढ़ी
- बानाघाट
- नामकुम
- लोहरदगा
उत्तर- 3
व्याख्या- तांबे और लोहे का औजार तथा बाण के फलक रांची के नामकूम से प्राप्त हुआ है।
77. नवपाषाणकालीन पत्थर एवं काले रंग का मृदभांड निम्न में से कि स्थान से प्राप्त हुए है?
- बानाघाट
- लोहरदगा
- नामकूम
- मुरद
उत्तर-1
व्याख्या- नवपाषाणकालीन पत्थर एवं काले रंग का मृदभांड बानाघाट (सिंहभूम) से प्राप्त हुआ है।
78. सातवीं शताब्दी की जैन मूर्तियों निम्न में से किस स्थान से प्राप्त हुई है?
- बोनगरा
- बानाघाट
- बेनूसागर
- बारूडीह
उत्तर- 3
व्याख्या- सातवीं शताब्दी के जैन मूर्तियाँ बेनुसागर (सिंहभूम) से प्राप्त हुई है।
79. आठवीं शताब्दी के अभिलेख निम्न में से किस स्थान से प्राप्त हुए है?
- इस्को पहाड़
- सीतागढ़ा पहाड़
- दुमदुमा पहाड़
- दूधपानी
उत्तर- 4
व्याख्या- आठवीं शताब्दी के अभिलेख हजारीबाग जिले के दूधपानी नामक स्थान से प्राप्त हुआ है।
80. राँची, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम के अलावा निम्न में से किस स्थान से पुरापाषाण काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं?
- लोहरदगा
- देवघर
- धनबाद
- पलामू
उत्तर- 2
व्याख्या- झारखण्ड में विभिन्न कालों के आगमन का सही क्रम –
पाषाण युग – ताम्र पाषाण युग – ताम्र युग कास्य युग → लौह युग
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81. जैनियों के 23वें तीर्थकार पार्श्वनाथ का निवार्ण कितने ई. पू. में गिरिडीह जिला के इसरी के निकट एक पहाड़ पर हुआ ?
- 717 ई. पू.
- 727 ई. पू.
- 707 ई.पू.
- 771 ई. पू.
उत्तर- 1
व्याख्या- जैनियों के 23वें तीर्थकार पार्श्वनाथ का निर्वाण 717 ई. पू. में गिरिडीह जिला के इसरी के निकट एक पहाड़ पर हुआ, जिसका नामकरण उन्हीं के नाम पर पार्श्वनाथ या पारसनाथ किया गया। इसे सम्मेद शिखर भी कहते हैं। इसे जैन धर्म का मक्का भी कहते हैं।
82.आज का कौन-सा स्थान धार्मिक आंदोलन के साथ (6टी ई. पू.) जैन सभ्यता व संस्कृति का केन्द्र था ?
- धनबाद
- पलामू
- सिंहभूम
- हजारीबाग
उत्तर- 1
व्याख्या- छोटानागपुर का मानभूम अर्थात आज का धनबाद जैन सभ्यता व संस्कृति का केन्द्र था।
83. झारखण्ड की किन नदियों की घाटी से मिले जैन अवशेष जैन धर्म के प्रसार की पुष्टि हैं?
- दामोदर तथा स्वर्णरेखा
- स्वर्णरेखा और बराकर
- स्वर्णरेखा और पंचधाग
- दामोदर तथा कंसाई नदियाँ
उत्तर- 4
व्याख्या- झारखण्ड के दामोदर एवं कसाई नदियों की घाटी से मिले जैन अवशेष छोटानागपुर क्षेत्र में जैन धर्म के प्रसार की पुष्टि करते हैं।
84. पलामू के किस स्थान से जनियाँ का पूजा स्थल प्राप्त हुआ है?
- मूर्तिया गाँव
- हनुमाड़ गाँव
- करूओं गाँव
- पटम्बा गाँव
उत्तर- 2
व्याख्या – पलामू के हनुमांड गाँव जो सतबरवा के निकट है वहीं से जैनियों का पूजा स्थल प्राप्त हुआ है।
85. सिंहभूम के आरंभिक निवासी जो जैन धर्म को मानने वाले थे, उन्हें कहा जाता था ?
- हरिषेण
- देवली
- पलमा
- सरक
उत्तर- 4
व्याख्या – सिंहभूम के आरंभिक निवासी जो जैन धर्म को मानते थे,उन्हें सरक कहा जाता था, जिन्हें ‘हो’ जनजाति के लोगों ने सिंहभूम से बाहर निकाल दिया था। सरक आवक शब्द का बिगड़ा हुआ रूप है। जिसका शाब्दिक अर्थ है गृहस्थ जैन मतावलंबी
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86. निम्न में से किस स्थान से जैन धर्म के 10वें तीर्थकर शीतलनाथ के पदचिह्न प्राप्त हुए है?
- भवनाथपुर
- मधुवन
- इटखोरी
- घोलमारा
उत्तर- 3
व्याख्या – चतरा जिले के इटखोरी प्रखण्ड के मदुली गाँव से जैन धर्म के 10वें तीर्थकर शीतलनाथ के पदचिह्न मिले है। यहाँ एक भव्य जैन मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। भवनाथपुर (गढ़वा) से आखेट का चित्र तथा प्राकृतिक गुफा मिला है। मधुवन (गिरीडीह में एक जैन स्थली है। घोलमारा (गुमला) में बुद्ध की एक खडित प्रतिमा मिली है।
87. झारखण्ड का निम्न में से कौन-सा स्थल जैन धर्म से संबंधित नहीं है?
- कोलेश्वरी पर्वत
- बेनुसागर
- हनुमाड़ गाँव
- मूर्तिया
उत्तर- 4
व्याख्या – मूर्तिया (पलामू) एक बौद्ध धर्म से संबंधित स्थल है जहाँ साची स्तूप के तर्ज पर एक सिंह शीर्ष आकृति मिली है। कोलेश्वरी/कोल्हुआ पहाड़ चतरा जिला में स्थित है। बेनुसागर सिंहभूम में स्थित है जबकि हनुमाड गाँव पलामू में स्थित है।
88. निम्न में से किस स्थान पर जैनियों के नौ सर्पक्षत्रयुक्त प्रतिमा मिली है?
- पारसनाथ
- मधुवन
- कोल्हुआ पहाड़
- हनुमाड गाँव
उत्तर- 3
व्याख्या- कोल्हुआ पहाड़ /कोलेश्वरी पर्वत जो कि चतरा जिले के हटरगंज प्रखण्ड में स्थित है, से जैनियों के नौ सर्वक्षत्रयुक्त प्रतिमा मिली है।
89. पारसनाथ में जैन धर्म के कितने तीर्थकरों ने निर्वाण प्राप्त किया है?
- 10
- 20
- 22
- 24
उत्तर- 2
व्याख्या – पारसनाथ श्वेताम्बर जैनियों की प्रमुख तीर्थ स्थली हैं। यहाँ 24 में से 20 तीर्थकरों ने निर्वाण प्राप्त किया है।
90. निम्न में किस स्थान से एक सिंह शीर्ष मिला है, जो साँची स्तूप के द्वार पर उत्कीर्ण सिंह शीर्ष से मिलता जुलता है?
- पलामू
- खूँटी
- हजारीबाग
- धनबाद
उत्तर- 1
व्याख्या- झारखण्ड के विभिन्न स्थलों से बौद्ध धर्म संबंधी अवशेष मिले है। मूर्तिया गाँव (पलामू) से एक सिंह शीर्ष मिला है जो साची स्तूप के द्वार पर उत्कीर्ण सिंह-शीर्ष से मिलता-जुलता है।
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91. आज का कौन-सा स्थान धार्मिक आंदोलन के समय बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केन्द्र था ?
- पलामू
- खूँटी
- हजारीबाग
- धनबाद
उत्तर- 4
व्याख्या- आज का धनबाद धार्मिक आंदोलन के समय बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केन्द्र था।
- दियापुर-दालमी व बौद्धपुर (धनबाद) – बौद्ध स्मारक (बौद्धपुर में बुद्धेश्वर मंदिर स्थित है)
- घेलमारा (पुरूलिया के निकट) – प्रस्तर की एक खंडित मूर्ति
- खूंटी बौद्धविहार का अवशेष
- सूर्यकुण्ड (बरही) बुद्ध की प्रस्तर मूर्ति
- कटूंगा ग्राम (गुमला) एक बुद्ध की प्रतिमा जोन्हा जलप्रपात के में बुद्ध की प्रतिमा
92. सरायकेला-खरसावा जिला के किस स्थान से तारा देवी (बौद्ध देवी) की मूर्ति मिली है, जिसे राँची संग्रहालय में रखा गया है?
- कुचाई
- ईचागढ़
- गोविंदपुर
- गुगवरिया
उत्तर- 2
व्याख्या – ईचागढ़ (सरायकेला-खरसावा) से तारा देवी की मूर्ति मिली है। जिसे राँची संग्रहालय में रखा गया है।
93. कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार जनजातियों को नियंत्रण में रखने, मगध के हित में उनका उपयोग करने तथा मगध के शत्रुओं से उनका गठबंधन को रोकने के उद्देश्य से. नामक पदाधिकारी का नियुक्ति की गई थी ?
- नागाध्यक्ष
- वनाध्यक्ष
- वनपाल
- आटाविक
उत्तर- 4
व्याख्या- कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार जनजातियों को नियंत्रण में रखने, मगध के हित में उनका उपयोग करने तथा मगध के शत्रुओं से उनका गठबंधन को रोकने के उद्देश्य से आटविक नामक पदाधिकारी की नियुक्ति की गई थी। आटविक के अधीन नागाध्यक्ष, वनाध्यक्ष, नागपाल, वनपाल जैसे अन्य अधिकारी थे।
94. कौटिल्य ने अपने ग्रंथ अर्थशास्त्र में कुकुटदेश में किस प्रकार की शासन प्रणाली होने की बात कही है?
- राजतंत्रात्मक
- गणतंत्रात्मक
- प्रजातंत्रात्मक
- इनमें से सभी
उत्तर- 2
व्याख्या- कौटिल्य के अनुसार कुकुटदेश में गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली थी।
95. चन्द्रगुप्त मौर्य के पोते सम्राट अशोक का यहां के जनजातियों पर किस प्रकार का नियंत्रण था।
- प्रत्यक्ष
- अप्रत्यक्ष
- कोई नियंत्रण नहीं था
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर- 2
व्याख्या- यहाँ की जनजातियों पर पूर्ण नियंत्रण कोई भी राजा या मुगल नहीं कर सके। केवल अंग्रेज ही इन पर अपनी पैठ जमा सके। लेकिन अंग्रेजों को इस प्रक्रिया में लगभग 70 वर्षों (1767-1837) का समय लगा और अनेक संघर्षो का सामना करना पड़ा। जैसे- संथाल विद्रोह, बिरसा आंदोलन कोल विद्रोह हो विद्रोह, चेरो विद्रोह तमाड़ विद्रोह तथा पहाड़िया विद्रोह इत्यादि।
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96. अशोक के किस शिलालेख में अशोक के समीपवर्ती राज्यों की सूची मिलती है, जिसमें एक आटविक प्रदेश था। जिसमें झारखण्ड भी शामिल था।
- शिलालेख-2
- शिलालेख-5
- शिलालेख – 13
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर- 3
व्याख्या- 13वें शिलालेख में अशोक के समीपवर्ती राज्यों की सूची मिलती है जिसमें से एक आटविक था। आटविक प्रदेश बघेलखंड में ओडिशा के समुद्र तट तक विस्तृत था। इस प्रवेश में झारखण्ड क्षेत्र भी शामिल था।
97. अशोक के किस शिलालेख में ऐसा बोल गया है- ‘उन्हें मेरे धम्म का आचरण करना चाहिए ताकि वे लोक तथा परलोक को प्राप्त कर सकें।
- शिलालेख-13
- शिलालेख-2
- शिलालेख-1
- शिलालेख-5
उत्तर- 2
व्याख्या- अशोक के पृथक कलिंग शिलालेख-2 में ओडिशा की सीमावर्ती अविजित जनजातियों के विषय में कहा गया है। उन्हें मेरे धम्म का आचरण करना चाहिए ताकि वे लोक तथा परलोक की प्राप्ति कर सकें। ओडिशा की सीमावर्ती अविजित जनजातियों में झारखण्ड क्षेत्र की जनजातियां भी सांकेतिक है।
98. कोठेश्वरनाथ बौद्ध स्तूप कहाँ स्थित है?
- करुआ
- बलवादाग
- इटखोरी
- दलसी
उत्तर- 3
व्याख्या – इटखोरी – कोठेश्वरनाथ बौद्ध स्तूप
बलवादाग (खुंटी) – बौद्ध बिहार के अवशेष
करुआ (गढ़वा) – बौद्ध स्तूप प्राप्त हुआ है
दलसी (धनबाद) – बौद्ध समारक
99. बुद्धेश्वर मंदिर किस नदी के किनारे स्थित है?
- दामोदर नदी
- भैरवी नदी
- सकरी नदी
- कसाई नदी
उत्तर- 4
व्याख्या – बुद्धेश्वर मंदिर धनबाद के बुद्धपुर नामक स्थान में कसाई नदी के किनारे स्थित
100. निम्नलिखित बौद्ध स्थलों और जिलों में कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं हैं।
- कटंगा – गुमला
- पटम्बा – जमशेदपुर
- घोलमारा – धनबाद
- ईचागढ़ – सरायकेला-खरसावां
उत्तर- 3
व्याख्या- घोलमारा गुमला जिले में स्थित है, जहाँ से बुद्ध की खंडित मूर्ति मिली है।
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