Jharkhand GK Part-6 For JPSC, JSSC CGL, All Exams : झारखंड सामान्य ज्ञान | UPSCSITE

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नमस्कार दोस्तों, UPSC SITE आपके लिए लेकर आया है “झारखंड सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी” Jharkhand GK Part-6 For JPSC, JSSC CGL, All Exams – Objective Question Answer, जिनकी प्रैक्टिस आप ऑनलाइन कर सकते है। हमारे संग्रह टेस्ट्स को प्रैक्टिस करने के बाद आपको अपनी तैयारी में अंतर समझ आने लग जायेगा। क्यूंकि हमने यहां पर केवल उन्ही प्रश्नो को सम्मिलित किया है जो परीक्षा के दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है।

Jharkhand GK Part-6 For JPSC, JSSC CGL, All Exams : झारखंड सामान्य ज्ञान

यहां टॉपिक वाइज प्रश्नोत्तरी दिए गए हैं जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले सभी एस्पिरेंट्स के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण एवं लाभदायक साबित होने वाली है। यह “झारखंड सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी” Jharkhand GK Part-6 For JPSC, JSSC CGL, All Exams की टेस्ट सीरीज सभी एस्पिरेंट्स के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के पैटर्न के अनुसार स्मार्ट स्टडी करने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होने वाली है।

501. झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के सहयोग से सूर्य सिंह बेसरा ने किस संगठन का गठन किया?

  1. झारखण्ड विषयक समिति 
  2. छोटानागपुर संयुक्त संघ
  3. बिरसा सेवा दल
  4. आजसू

उत्तर- 4

व्याख्या- झामुमो ने बराबर यह महसूस किया था कि छात्रों को भी झारखण्ड आदोलन से जोड़ना चाहिए और उनकी ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए। अतः सूर्य सिंह बेसरा के नेतृत्व में 22 जून, 1986 को सोनारी, जमशेदपुर में ऑल झारखण्ड स्टुडेंट्स यूनियन – आजसू  (AJSU) का गठन किया गया। इसका गठन असम के छात्र संगठन (AASU) के तर्ज पर किया गया।

502. सूर्य सिंह बेसरा ने आजसू का गठन किस संगठन से प्रेरित होकर किया था?

  1. आसू (AASU)
  2. झामुमो (JMM)
  3. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM)
  4. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)

उत्तर- 1

व्याख्या – सूर्य सिंह बेसरा ने आजसू का गठन आसू (All Assam Student’s Union) से प्रेरित होकर किया था।

503. 11-13 सितम्बर, 1987 ई. को किस स्थान पर पृथक झारखण्ड राज्य का समर्थन करने वाले राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों का एक संयुक्त मंच बनाने के लिए सम्मेलन आयोजित किया गया ? 

  1. राँची 
  2. रामगढ़ 
  3. जमशेदपुर 
  4. धनबाद

उत्तर- 2

व्याख्या – 11-13 सितम्बर, 1987 ई को रामगढ़ में पृथक झारखण्ड राज्य का समर्थन करने वाले राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों का एक संयुक्त मंच बनाने के लिए सम्मेलन आयोजित किया गया।

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504. 11-13 सितम्बर, 1987 ई. को रामगढ़ में पृथक झारखण्ड राज्य के समर्थन में राष्ट्रीय दलों को छोड़कर 53 संगठनों ने भाग लिया, जिसमें निम्न में से किस संगठन का गठन किया गया ?

  1. झारखण्ड विषयक समिति का। 
  2. झारखण्ड क्षेत्र स्वायत्तशासी परिषद् ।
  3. झारखण्ड समन्वय समिति । 
  4. इनमें से कोई नहीं।

उत्तर- 1

व्याख्या – 11-13 सितम्बर, 1987 ई. को रामगढ़ में पृथक झारखण्ड राज्य का समर्थन करने वाले 53 संगठनों का सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में झारखण्ड समन्वय समिति (Jharkhand Co- ordination Committee J.C.C) नाम से एक समन्वय समिति का गठन किया गया। डॉ विशेश्वर (BP) केसरी इस समन्वय समिति के संयोजक मनोनित किये गये।

505. निम्न कथनों में कौन-सा कथन सही है?

  1. झारखण्ड समन्वय समिति ने 10 दिसम्बर,1987 ई. को राष्ट्रपति आर- वेंकट रमण को 20 मांग पत्र सौंपा।
  2. झारखण्ड समन्वय समिति के द्वारा सौंपा गया मांग-पत्र में पृथक झारखण्ड राज्य की मांग सर्वप्रमुख थी, जिसमें बिहार, बंगाल, ओडिशा व मध्य प्रदेश के 18 जिलों को शामिल करने का सुझाव दिया था।
  3. 23 नवम्बर 1988 ई को भाजपा ने विशाल वनांचल रैली का आयोजन किया, जिसे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने संबोधित किया।
  4. इनमें से कोई नहीं।

उत्तर- 3

व्याख्या – झारखण्ड समन्वय समिति ने 10 दिसम्बर 1987 ई को राष्ट्रपति आर वेंकट रमण को 23 सूत्री मांग पत्र सौंपा, जिसमें पृथक झारखण्ड की मांग बिहार, बंगाल एवं ओडिशा व मध्य प्रदेश के 21 जिलो को शामिल करने का सुझाव दिया था।

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506. झारखण्ड विषयक समिति का गठन किसके द्वारा किया गया?

  1. बिहार सरकार के द्वारा 
  2. भारत सरकार के द्वारा
  3. झारखण्ड समन्वय समिति के द्वारा
  4. इनमें से कोई नहीं।

उत्तर- 2

व्याख्या 7 जून, 1989 ई. को केन्द्र, बिहार सरकार एवं झारखण्डी नेताओं के बीच नई दिल्ली में गृह मंत्री ‘बूटा सिंह’ की अध्यक्षता में त्रिपक्षीय वार्ता हुई। इसी वार्ता में झारखण्ड विषयक समिति (Committee on Jharkhand Matters) के गठन का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ।

507. झारखण्ड विषयक समिति का संयोजक किसे मनोनित किया गया?

  1. बी.एस.लाली
  2. लालू प्रसाद यादव
  3. विनोद बिहारी महतो
  4. लाल कृष्ण अडवाणी

उत्तर- 1

व्याख्या- केन्द्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव बी. एस. लाली झारखण्ड विषयक समिति के संयोजक मनोनित किए गए। इस समिति में तीन विशेषज्ञ डॉ. कुमार सुरेश सिंह, डॉ. भूपेन्द्र सिंह एवं डॉ. के. एन. प्रसाद शामिल किये गये।

508. निम्न में से किस समिति ने झारखण्ड क्षेत्र विकास परिषद् के गठन की सिफारिश की ?

  1. झारखण्ड समन्वय समिति 
  2. झारखण्ड विषयक समिति
  3. झारखण्ड पार्टी
  4. झारखंड मुक्ति मोर्चा

उत्तर-2

व्याख्या – झारखण्ड विषयक समिति ने झारखण्ड क्षेत्र विकास परिषद् के गठन की सिफारिश की।

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509. 18 जून, 1990 ई. में भाजपा ने अपनी संदर्भ पुस्तिका “वनांचल क्यों?” कहाँ से जारी किया ?

  1. पटना
  2. कोलकाता
  3. राँची
  4. दिल्ली

उत्तर- 3

व्याख्या- 18 जून, 1990 ई. में भाजपा ने अपनी संदर्भ पुस्तिका “वनाचल क्यों” राँची से जारी की।

510.  यह किसने कहा था कि ‘झारखण्ड का निर्माण मेरी लाश पर से होगा’ ?

  1. श्री कृष्ण सिंह
  2. लालू प्रसाद यादव
  3. पंडित जवाहर लाल नेहरू
  4. लाल कृष्ण आडवाणी

उत्तर- 2

व्याख्या – बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि झारखण्ड का निर्माण मेरी लाश पर से होगा

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511. झारखण्ड क्षेत्र स्वायत्तशासी परिषद् (JAAC) का गठन के संबंध में क्या सही है?

  1. 20 दिसम्बर 1994 ई को बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में झारखण्ड क्षेत्र स्वायत्तशासी परिषद् विधेयक पारित किया गया।
  2. 7 अगस्त 1955 ई को झारखण्ड क्षेत्र स्वायत्तशासी परिषद (Jharkhand Area autonomous council JA.A.C.) के गठन की अधिसूचना जारी की गई।
  3. 9 अगस्त 1955 ई. को इस परिषद् का औपचारिक गठन हुआ। 
  4. इनमें सभी सही है।

उत्तर- 4

व्याख्या – झारखण्ड क्षेत्र स्वायत्तशासी परिषद के गठन के संबंध में उपरोक्त सभी कथन सही है।

512. निम्नलिखित में कौन जैक के बारे में गलत है?

  1. शिबू सोरेन इस परिषद के प्रथम अध्यक्ष बनाए गये थे।
  2. जैक के अंतर्गत बिहार के 23 जिलों को शामिल किया गया।
  3. झारखण्ड छात्र संघ एवं समर्थित घटकों ने इसे आदिवासियों के हाथ में झुनझुना का नाम दिया।
  4. इनमें से कोई नहीं।

उत्तर- 2

व्याख्या – जैक के अंतर्गत बिहार के 18 जिलों को शामिल किया गया।

513. निम्नलिखित में झारखण्ड के संगठन एवं उसके विशेषताओं को सही मिलान करें।

  1. बिरसा सेवा दल    i. कमिटी ऑन झारखण्ड मैटर्स
  2. ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन   ii. झारखण्ड का प्रथम छात्र संगठन
  3. झारखण्ड विषयक समिति iii. झारखण्ड का द्वितीय छात्र
  4. हुल झारखण्ड पार्टी संगठन iv. क्रांतिकारी झारखण्ड पार्टी

       A   B   C    D

  1.     i     ii   iii    iv
  2.     ii    iii   i     iv
  3.     iii   iv  ii      i
  4.     iv   iii  ii     i

उत्तर- 2

व्याख्या –

संगठन – उद्देश्य

बिरता सेवा दल – झारखण्ड का प्रथम छात्र संगठन

ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स – झारखण्ड का द्वितीय छात्र संगठन

झारखण्ड विषयक समिति – कमिटी ऑन झारखण्ड मैटर्स

हुल झारखण्ड पार्टी – क्रांतिकारी झारखण्ड पार्टी

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514. बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक 2000 के बारे में क्या सही है? 

  1. 25 अप्रैल, 2000 ई. को पृथक झारखण्ड राज्य के गठन हेतु बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक. 2000 ई. को स्वीकृति प्रदान कर दी।
  2. 2 अगस्त, 2000 ई. को लोकसभा ने तथा । अगस्त 2000 ई. को राज्य सभा ने बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक 2000 को पारित कर दिया।
  3. 25 अगस्त, 2000 ई. को इस विधेयक को राष्ट्रपति के आर नारायणन को अपनी मंजूरी प्रदान की।
  4. इनमें से सभी सही है।

उत्तर- 4

व्याख्या- बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक 2000 के बारे में ऊपर दिये गये सभी कथन सही है।

515. निम्न कथनों में कौन-सा कथन गलत है? 

  1. 15 नवम्बर 2000 ई को भारत संघ के 27वे राज्य के रूप में झारखण्ड अस्तित्व में आया। 
  2. बिहार के 16 जिलों तथा ओडिशा के दो जिलों को मिलाकर यह राज्य बना।
  3. झारखण्ड का प्रथम विधानसभा अध्यक्ष शिबू सोरेन को बनाया गया। 
  4. इनमें से सभी गलत है।

उत्तर – 4

व्याख्या- बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक 2000 के अनुसार बिरसा मुण्डा के जन्म दिन के अवसर पर 15 नवम्बर 2000 को झारखण्ड भारत संघ का 28वाँ राज्य बना, जिसमें बिहार के 18 जिलों को शामिल किया गया तथा इसके प्रथम विधानसभा अध्यक्ष ‘इदंर सिंह नामधारी’ को बनाया गया।

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516. झारखण्ड के विभिन्न वर्गों द्वारा अंग्रेजों के विरूद्ध किये जाने वाले विद्रोहों में जनजातीय विद्रोह का स्थान सर्वाधिक महत्वपूर्ण था। इन जनजातीय विद्रोह के क्या कारण थे?

  1. राजनीतिक कारण
  2. आर्थिक कारण
  3. सामाजिक कारण
  4. इनमें सभी कारण थे

उत्तर- 4

व्याख्या – झारखण्ड के विभिन्न वर्गों द्वारा अंग्रेजों के विरूद्ध किये जाने वाले विद्रोह में जनजातीय विद्रोह का महत्वपूर्ण स्थान है। इन जनजातीय विद्रोह के निम्नलिखित कारण थे-  राजनीतिक कारण, आर्थिक कारण, सामाजिक कारण तथा धार्मिक कारण।

517.  झारखण्ड में जनजातियों के द्वारा अंग्रेजों के विरूद्ध किये जाने वाले विद्राहों के कारणों में कौन-सा राजनीतिक कारण था?

  1. अतरिक स्वायतता पर आघात 
  2. राजाओं-जमींदारों का असंतोष
  3. आदिवासी प्रदेशों पर अधिकार
  4. इनमें से सभी

उत्तर- 4

व्याख्या – आदिवासी प्राचीन काल से ही पूर्ण स्वतंत्रता की स्थिति में रह रहे थे। अंग्रेजों ने अपना पूर्ण अधिकार स्थापित करने का प्रयास किया. जिससे आदिवासियों में व्यापक असतोष फैला। राजाओ और जमींदारों के जो अधिकार थे वो पूर्णत: छिने जा रहे थे। इस कारण राजाओं और जमींदारों में असंतोष फैला।

518. झारखण्ड में जनजातियों के द्वारा अंग्रेजों विरुद्ध किये जाने वाले विद्रोह के कारणों में कौन-सा राजनीतिक कारण सही था?

  1. आदिवासियों के मुखियाओं पर नियंत्रण
  2. ब्रिटिश प्रांतों में बनाये गए कानूनों को लागू करना
  3. अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा शोषण
  4. इनमें सभी कारण सही है।

उत्तर- 4

व्याख्या- लार्ड कार्नवालिस ने प्रयत्न किया कि झारखण्ड के आदिवासी भी उस कानून का पालन करें जो कि कंपनी सरकार ने ब्रिटिश प्रांतों के लिए बनाये थे। ब्रिटिश प्रशासकों के मत में आदिवासी अपने शासकों के अधीन हीन अवस्था में जीवन व्यतीत कर रहे थे। इसी कारण प्रधान (मुखिया) को मूर्ख विलासी, अत्याचारी व अधविश्वासी बता कर उस पर नियंत्रण कर लिया,जिससे भी आदिवासियों में असंतोष फैला।

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519. झारखण्ड में जनजाति विद्रोह का एक महत्वपूर्ण कारण आर्थिक कारण भी था निम्न कारणों में से कौन-सा आर्थिक कारण सही नहीं है।

  1. कृषि की समस्या
  2. निर्वाह के साधनों पर आदिवासियों का नियंत्रण
  3. जमींदारों ठेकेदारों, साहुकारों एवं व्यापारियों द्वारा शोषण
  4. इनमें से कोई नहीं।

उत्तर- 2

व्याख्या – प्राचीन काल से ही आदिवासी जंगलों से फूल-फल, जड़ी-बूटी शहद लकड़ी आदि द्वारा बिना कोई कर दिए अपना जीवन निर्वाह करते थे। लार्ड कार्नवानिलस ने उन्हें स्थायी बंदोबस्त को मानने के लिए मजबूर किया। इस स्थायी बदोबस्त ने एक ही कलम में उनके जीवन में बहुत कुछ बदल डाला। इस व्यवस्था के अनतर्गत उन्हें लगान देना पड़ने लगा था और अब निर्वाह के साधनों पर आदिवासियों का नियंत्रण न होकर अंग्रेजों के हाथों में चला गया। इसके लिए 1870 के कानून. आया जिसका 1875 में संशोधन किया गया।

520. झारखण्ड में जनजाति विद्रोह का एक महात्वपूर्ण कारण सामाजिक कारण भी था। निम्न सामाजिक कारणों में से कौन से कारण सही है? 

  1. जनजातिय प्रथाओं पर हस्तक्षेप
  2. गैर-झारखण्डी एवं आदिवासियों में सामाजिक अलगाव
  3. a और b दोनों कारण सही हैं।
  4. इनमें से कोई कारण सही नहीं है।

उत्तर- 3

व्याख्या – आदिवासी प्राचीन काल से चले आ रहे नियम व कानून का पालन करते थे। लेकिन विलियम बैंटिक ने जनजातियों की समाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए कई कानून बनाये। इन कानूनों को लागू करने पर जनजातियों ने कड़ा विद्रोह किया। वे गैर-झारखण्डी आदिवासियों को अपने से हीन समझते थे और उससे दूरी बनाये रखते थे जो एक अलग सामाजिक विद्रोह का कारण बना।

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521. झारखण्ड में जनजाति विद्रोह का एक बड़ा कारण धार्मिक कारण माना जाता है, इस विषय में कौन-सा कथन सही नहीं है। 

  1. धर्म प्रचारकों ने विपत्तियों के समय आदिवासियों की बड़ी सेवा की।
  2. आदिवासियों में शिक्षा का प्रसार ईसाई धर्म प्रचारक ने ही किया। 
  3. ईसाई धर्म प्रचारक आदिवासियों की पारम्परिक विश्वास प्रणालियों के साथ बोलते और काम करते थे।
  4. इनमें से सभी कथन सही है।

उत्तर- 3

व्याख्या- इसमें कोई शक नहीं है कि ईसाई धर्म प्रचारकों ने विपत्तियों के समय आदिवासियों की बड़ी सेवा की आदिवासियों में शिक्षा का प्रसार किया लेकिन बदले में ईसाई धर्म प्रचारक आदिवासियों के पारम्परिक विश्वास पर गहरा आघात किया उनके पारम्परिक विश्वास के विरूद्ध कार्य किया।

522. झारखण्ड में अंग्रेजों के विरूद्ध प्रथम विद्रोह ढाल विद्रोह था। इस विद्रोह के संबंध में कौन-सा असत्य कथन है।

  1. झारखण्ड में अंग्रेजों का प्रवेश सर्वप्रथम सिंहभूम की ओर से हुआ। उनके विरूद्ध प्रथम विद्रोह भी इसी क्षेत्र में हुए।
  2. ढाल विद्रोह, जगन्नाथ ढाल के नेतृत्व में हुआ था।
  3. यह विद्रोह 8 वर्षों तक चला था
  4. इनमें से सभी कथन सत्य है।

उत्तर- 3

व्याख्या – झारखण्ड में अंग्रेजों का प्रवेश (1767 ई.) सर्वप्रथम सिंहभूम की ओर से हुआ। उनके विरूद्ध प्रथम विद्रोह भी इसी क्षेत्र में हुए। 1767 ई. में सिंहभूम में जगन्नाथ ढाल के नेतृत्व में व्यापक विद्रोह हुआ जो 10 वर्षों तक चला। यह विद्रोह तब तक समाप्त नहीं हुआ जब तक (1777 ई.) कपनी सरकार ने पुन जगन्नाथ ढाल को राजा नहीं बना दिया।

523. झारखण्ड में ढाल विद्रोह के दमन के लिए कंपनी सरकार ने किस अंग्रेज को भेजा था ?

  1. कैप्टन मॉर्गन
  2. लेफ्टिनेंट रूक
  3. a और b दोनों
  4. लेफ्टिनेंट गुडयार

उत्तर- 3

व्याख्या- झारखण्ड में ढाल विद्रोह (1767 से 1777) जो जगन्नाथ ढाल के नेतृत्व में हुआ था। कंपनी सरकार ने “कैप्टन मॉर्गन” और “लेफ्टिनेंट रूक” के नेतृत्व में सेना भेजी थी।

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524. झारखण्ड में अंग्रेजों के विरूद्ध होने वाला पहला विद्रोह इनमें से कौन था?

  1. चुआर विद्रोह
  2. ढाल विद्रोह
  3. घटवाल विद्रोह
  4. चेरो विद्रोह

उत्तर- 2

व्याख्या – झारखण्ड में अंग्रेजों का प्रवेश सिंहभूम की ओर से हुआ और प्रथम विद्रोह ढाल विद्रोह भी 1767 ई में इसी क्षेत्र से प्रारंभ हुआ। 

525. निम्न में किसके विद्रोह को चुआर विद्रोह कहा जाता है।

  1. जंगल महाल के भूमिजो
  2. दिकुओं के विद्रोह
  3. चेरो के विद्रोह को
  4. रक्सेलो के विद्रोह को

उत्तर- 1

व्याख्या – अंग्रेज अधिकारी जंगल महाल के भूमिजों को चुआर / चोआड़ (अर्थात दुर्वृत और नीच) कहते थे, इसलिए इनके विद्रोह को चुआर विद्रोह कहा जाता है।

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526. झारखण्ड का प्रथम विद्रोह ढाल विद्रोह (1767-77) में हुआ था। इस ढाल विद्रोह के संबंध में से कौन-सा कथन सही है।

  1. ढाल राजा के नेतृत्व में संपूर्ण ढालभूम राज्य की जनता का विद्रोह।
  2. सम्पूर्ण ढालभूम क्षेत्र में विद्रोह।
  3. a और b दोनों कथन सत्य है।
  4. इनमें से कोई भी कथन सत्य नहीं है।

उत्तर- 1

व्याख्या – ढाल राजा के नेतृत्व में सम्पूर्ण ढालभूम राज्य की जनता का विद्रोह होने के कारण इसे ढाल विद्रोह कहते हैं।

527. 1767 में जगन्नाथ ढाल को अपदस्थ कर कंपनी सरकार ने किसे राजा बनाया, जिसके बाद से ढाल विद्रोह व्यापक हुआ। 

  1. अर्जुन सिंह 
  2. गोपाल ढाल 
  3. नीमू ढाल 
  4. मुकुद सिंह

उत्तर- 3

व्याख्या – कंपनी सरकार जगन्नाथ ढाल को अपदस्थ कर उसके भाई नीमू ढाल को राजा बना दिया, जिसके बाद से विद्रोह और व्यापक हो गया।

528. निम्न में पाईकान जमीन’ के बारे में कौन-सा कथन सत्य है?

  1. राजा के अधीन वो जमीन जो जमींदारों को दे रखा था। 
  2. सिपाही के वेतन के बदले में दी जानेवाली जमीन
  3. गैर झारखंडियों को झारखण्ड में बसाने के लिए जमींदारों द्वारा दी जाने वाली जमीन
  4. इनमें सभी सही है।

उत्तर- 2

व्याख्या – अधिकाश स्थानीय जमींदारों के यहां कुछ सिपाही कार्य करते थे जिन्हें पाइक’ कहा जाता था, उनके वेतन के बदले उन्हें जमीन दी जाती थी, जो पाइकान जमीन कहलाती थी।

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529. चुआर विद्रोह (1769-1805 ई.) के प्रारंभ होने का निम्न में से कौन-सा कारण सही है?

  1. जमींदारों ने पाइको को हटाकर बाहर से लाकर पुलिस को उनकी जगह नियुक्त किया।
  2. कंपनी सरकार के द्वारा बेशुमार बढ़ाये गये राजस्व को चुकाने में असमर्थ हो गए जमींदारों के हाथ से जमीन छीन ली गई थी।
  3. a और b दोनों कारण सही है। 
  4. इनमें से कोई नहीं।

उत्तर- 3

व्याख्या – अंग्रेज शासकों ने कब्जा जमाते ही चुआरो की पुश्तैनी जमीने छीन- छीन कर नये जमीदारों के हाथ बेचना और इन जमींदारों के साथ मिलकर नयी प्रजा बसाना शुरू किया, जिससे किसान भी इस विद्रोह में भाग लिए।

530. झारखण्ड में चुआर विद्रोह का प्रथम चरण के नेतृत्वकर्ता निम्न में कौन एक नहीं थे?

  1. रघुनाथ महतो
  2. श्याम गंजम
  3. सुबल सिंह
  4. जयनाथ सिंह

उत्तर- 4

व्याख्या – झारखण्ड में चुआर विद्रोह कई चरणों 1769-1771, 1782-84, 1788-89 और 1798-99 कुल चार चरणों में हुआ, जिसमें प्रथम चरण 1769-1771 के बीच रहा इसके नेतृत्वकर्ता रघुनाथ महतो, श्याम गंजम, सुबल सिंह, जगन्नाथ पातर इत्यादि थे।

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531. झारखण्ड में चुआर विद्रोह के प्रथम चरण का दमनकर्ता इनमें से कौन नहीं है।

  1. लेफ्टिनेंट नन
  2. कैप्टन फोर्ब्स
  3. लेफ्टिनेंट गुडयार
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 4

व्याख्या- झारखण्ड में चुआर विद्रोह के प्रथम चरण के दमनकर्ता लेफ्टिनेंट नन, कैप्टन फोर्ब्स तथा ले. गुडयार ये सभी थे।

532. चुआर विद्रोह के दौरान निम्नलिखित में से किस विद्रोही नेता ने नारा दिया था – ” अपना गाँव अपना राज, दूर भगाओं विदेशी राज” ?

  1. जग्गनाथ महतो
  2. श्याम गजम
  3. रघुनाथ महतो
  4. मोहन सिंह

उत्तर- 3

व्याख्या- चुआर विद्रोह के मुख्य विद्रोही नेताओं में से एक रघुनाथ महतो ने 1769 में अपना नारा दिया ‘अपना गाँव अपना राज दूर भागाओं विदेशी राज”।

533. चुआर विद्रोह 1782-84 ई. के दौरान हुए विद्रोह का मुख्य नेतृत्वकर्ता निम्न में से कौन थे?

  1. मगल सिंह 
  2. दुर्जन सिंह 
  3. लाल सिंह 
  4. मोहन सिंह 

उत्तर- 1

व्याख्या – चुआर विद्रोह के दूसरे चरण का नेतृत्व मंगल सिंह ने किया था।

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534. चुआर विद्रोह के दूसरे चरण (1782-84) के दौरान कंपनी सरकार ने दमन के लिए किस अधिकारी को भेजा था ?

  1. लेफ्टिनेंट नन
  2. के. फोर्ब्स
  3. लेफ्टिनेंट गुडयार
  4. मेजर क्रॉफर्ड

उत्तर – 4

व्याख्या- चुआर विद्रोह के दूसरे चरण के दमन के लिए कंपनी ने मेजर क्रॉफर्ड को भेजा था।

535. चुआर विद्रोह के तीसरे चरण (1788-89) के दौरान विद्रोह का दमन किसने किया?

  1. मंगल सिंह
  2. दुर्जन सिंह
  3. लाल सिंह
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 4

व्याख्या- चुआर विद्रोह के तीसरे चरण का नेतृत्वकर्त्ता दुर्जन सिंह थे। इस विद्रोह के दमनकर्त्ता के बारे में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है।

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536. चुआर विद्रोह का अंतिम चरण (1798-99 ई.) किसके नेतृत्व में हुआ ? 

  1. दुर्जन सिंह 
  2. लाल सिंह 
  3. मोहन सिंह 
  4. इनमें सभी

उत्तर- 4

व्याख्या- चुआर विद्रोह के अंतिम चरण (1798-99 ई.) का नेतृत्व दुर्जन सिंह, लाल सिंह तथा मोहन सिंह तीनों ने मिलकर किया था।

537. कंपनी सरकार के अनेक प्रयासों के बावजूद चुआर विद्रोह समाप्त नहीं हुआ लेकिन कंपनी सरकार ने अपनी नीति में निम्न में से क्या बदलाव किया, जिसके बाद विद्रोह शांत हो गया।

  1. कंपनी प्रस्ताव द्वारा जमींदारी घटवाली पुलिस व्यवस्था पुनर्स्थापित किया गया।
  2. गैर-आदिवासी दारोगाओं के स्थान पर स्थानीय लोगों की पुलि अधिकारियों के रूप में नियुक्त में कानून व्यवस्था सुधार
  3. a और b दोनों
  4. इनमें से कोई नहीं।

उत्तर- 3

व्याख्या- कंपनी सरकार ने अब यह स्पष्ट रूप से समझ लिया कि पाइकों, किसानों व जमींदारों को कुछ सुविधाएं जैसे पाइकों को उनकी जमीन की वापसी, राजस्व बाकी पड़ जाने पर जमींदारों की जमीनों की पर रोक, जमीदारों एवं घटवालों के पुलिस अधिकारों की पुनर्स्थापना आदि दिये बगैर इलाके में शांति संभव नहीं है।

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538. पलामू के चेरो शासक चित्रजीत राय के नेतृत्व में पलामू का चेरो विद्रोह हुआ यह विद्रोह किसके विरूद्ध था? 

  1. पलामू की राजगद्दी के दावेदार गोपाल राय के
  2. केवल अंग्रेजों के
  3. गोपल राय और अंग्रेज दोनों के
  4. इनमें से कोई नहीं।

उत्तर-3

व्याख्या- वर्ष 1770-71 ई. में पलामू के चेरों शासक “चित्रजीत राय” एवं उसके दीवान ‘जयनाथ सिंह’ ने पलामू की राजगद्दी के दावेदार गोपाल राय की ओर से लड़ रहे अंग्रेजों के विरूद्ध एक विद्रोह किया, जिसे चेरो विद्रोह कहा जाता है।

539. चेरो विद्रोह (1770-71) को दबाने के लिए किस अंग्रेज अधिकारी को भेजा गया था।

  1. कैप्टेन जैकब कैमक
  2. कैप्टेन फोरबिस
  3. लेफ्टिनेंट गुडयार
  4. चार्ल्स मेटकाफ

उत्तर- 1

व्याख्या – वास्तविकता देखा जाय तो यह पलामू की राजगद्दी पर अधिकार जमाने की लड़ाई थी। इसी कारण अंग्रेजों ने कैप्टेन जैकब कैमक को भेज कर इस विद्रोह को दबा दिया।

540. चेरो विद्रोह (1770-71) के विषय में कौन-सा कथन गलत है? 

  1. 1 जुलाई 1771 ई. को गोपाल राय को पलामू का राजा घोषित किया गया।
  2. यह विद्रोह वास्तव में पलामू की राजगद्दी पर कब्जा की लड़ाई थी। 
  3. पलामू का सालाना कर 5000 रुपये तय किया गया।
  4. इनमें से सभी कथन सही हैं।

उत्तर- 3

व्याख्या- 1 जुलाई, 1771 ई. को गोपाल राय को पलामू का राजा घोषित किया गया। पलामू का सालाना कर 4,000 रुपये तय किया गया। इस प्रकार जुलाई 1771 ई. के मध्य तक प्राय: समस्त पलामू पर कंपनी का अधिकार हो गया।

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541. भोगता विद्रोह का मुख्य कारण निम्न में क्या था?

  1. चेरो विद्रोह में हार का बदला लेना
  2. कंपनी द्वारा जयनाथ सिंह को पलामू जिला छोड़ने संबंधी दिया जाने वाला आदेश था
  3. a और b दोनों कारण सही है।
  4. इनमें से कोई नहीं।

उत्तर- 2

व्याख्या – भोगता विद्रोह का मुख्य कारण कंपनी द्वारा जयनाथ सिह को पलामू किला छोड़ने संबंधी दिया जाने वाला आदेश था।

542. भोगता विद्रोह 1771 ई. के विषय में कौन-सा कथन गलत है?

  1. भोगता विद्रोह, चेरो विद्रोह के समान्तर प्रारंभ हुआ तथा उसके पूरक के रूप में संचालित हुआ। 
  2. भोगता विद्रोह का मुख्य कारण कंपनी द्वारा पलामू को छोड़ने संबंधी दिया जाने वाला आदेश था।
  3. जयनाथ सिंह किला छोड़ने को तैयार नहीं था।
  4. इनमें से सभी कथन सही है।

उत्तर- 3

व्याख्या – जयनाथ सिंह पलामू किला छोड़ने को तैयार था किन्तु कुछ शर्तों के साथ। चूंकि कंपनी पलामू किला हथियाने पर आमादा थी इसलिए अंग्रेजों से जयनाथ सिंह द्वारा रखी गयी शत्तों को अनुचित कहकर उन्हें मानने से इंकार कर दिया।

543. भोगता विद्रोह का आरम्भ 1771 ई. में किसके नेतृत्व में हुआ था?

  1. चित्रजित राय 
  2. जयनाथ सिंह
  3. मंगल सिंह
  4. मोहन सिंह

उत्तर- 2

व्याख्या – भोगता विद्रोह, चेरो विद्रोह की एक पूरक घटना थी जो चित्रजित राय के दीवान जयनाथ सिंह के नेतृत्व में सन् 1771 में प्रारंभ हुआ था।

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544. भोगता विद्रोह का आरम्भ चित्रजित राय के दीवान जयनाथ सिंह के नेतृत्व में सन् 1771 ई. में हुआ। कंपनी सरकार ने निम्न में से किस अंग्रेज अधिकारी को दमन के लिए भेजा था।

  1. कैप्टेन मॉर्गन
  2. ले. नन
  3. कै.जैकब कैमक
  4. ले. गुडयार

उत्तर- 3

व्याख्या- भोगता विद्रोह के दमन के लिए कंपनी सरकार ने अंग्रेज अधिकारी कैप्टन जैकब कैमक को भेजा था।

545. भोगता विद्रोह को दबाने में कैप्टने जैकब कैमक को निम्न में से किसकी सहायता मिली, जिसे बाद में पुरस्कृत भी किया गया ?

  1. जय मंगल सिंह
  2. धीरज नारायण
  3. नारायण सिंह
  4. इनमें से सभी

उत्तर – 4

व्याख्या – कैप्टेन जैकब कैमक ने भोगता विद्रोह को दबाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन वास्तव में जैकब कैमक को पलामू के जयमंगल सिंह, कुडा के धीरज नारायण एवं सिरीस कुटुम्बा के नारायण सिंह की मदद मिली थी। भोगता विद्रोह के दमन के बाद इन्हें पुरस्कृत भी किया गया।

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  • घटवाल विद्रोह

546. निम्न में से कहाँ के घटवालों द्वारा किये गये विद्रोह को घटवाल विद्रोह जाता है।

  1. पलामू
  2. रामगढ़
  3. सिंहभूम
  4. राँची

उत्तर – 2

व्याख्या – पहाड़ियों के घाटों (रास्तों) से महसूल वसूलने वाले को ‘घटवाल’ कहा जाता था। 1772 ई. में अंग्रेजों के विरूद्ध हजारीबाग खासकर रामगढ़ के घटवालों द्वारा किये गये विद्रोह को घटवाल विद्रोह कहा जाता है।

547. घटवाल विद्रोह निम्न में से किस प्रकार का विद्रोह था। 

  1. घटवालों को उनकी जमीनों की वापसी को लेकर विद्रोह था
  2. जमींदारों एवं घटवालों के पुलिस अधिकारों को लेकर विद्रोह था 
  3. यह विद्रोह अपने राजा के प्रति किये गये अंग्रेजों के दुर्व्यवहार का परिणाम था
  4. इनमें से सभी के लिए

उत्तर – 3

व्याख्या-  घटवाल विद्रोह 1772 ई. में अंग्रेजों के विरूद्ध हजारीबाग के घटवालों द्वारा किया गया विद्रोह था। यह विद्रोह अपने राजा (रामगढ़ नरेश मुकुद सिंह) के प्रति किये गये अंग्रेजों के दुर्व्यवहार का परिणाम था।

548. घटवाल विद्रोह सन् 1772 से 1773 ई. के बीच चला इस विषय में निम्न में कौन-सा कथन सत्य है। 

  1. रामगढ़ नरेश मुकुंद सिंह के राज्य पर उसके एक सबंधी तेज सिंह ने अपना अधिकार जताया।
  2. अंग्रेजों ने तेज सिंह का साथ दिया
  3. घटवालों को तेज सिंह को अपना राजा स्वीकार करना पड़ा
  4. इनमें से सभी कथन सत्य है।

उत्तर- 4

व्याख्या- रामगढ़ नरेश मुकुंद सिंह के राज्य पर जब उसका एक संबधी ने अधिकार जताया तो अंग्रेजो ने उसका समर्थन किया तब विभिन्न घटवालों ने मुकुद सिंह का साथ दिया और विद्रोह कर दिया लेकिन घटवालों व रैयतों को जब लगा कि मुकुद सिंह किसी भी कीमत पर पुनः राजा नहीं बन सकता तो घटवाल शांत हो गये।

549. घटवाल विद्रोह के संबंध में कौन-सा कथन गलत है?

  1. टाकुर तेज सिंह को रामगढ़ का शासक घोषित कर दिया गया।
  2. कंपनी सरकार ने विद्रोह को दबाने के लिए जेकब कैमक को भेजा था। 
  3. तेज सिंह के बाद रघुनाथ सिंह रामगढ़ का राजा घोषित किया गया।
  4. इनमें से सभी सही है।

उत्तर- 3

व्याख्या- तेज सिंह की मृत्यु के बाद पारसनाथ सिंह रामगढ़ का राजा बना था।

  • पहड़िया / पहाड़िया विद्रोह (1772-82 ई.)

550. पहाड़िया विद्रोह कई चरणों में हुए। निम्न में ऐसा कौन-सा चरण (वर्ष) था जिसमें पहाड़िया विद्रोह नहीं हुआ था। 

  1. 1772
  2. 1778
  3. 1776
  4. 1781-82

उत्तर- 3

व्याख्या- पहाड़िया विद्रोह कई चरणों में हुए जिसमें 1772, 1778, 1779. एवं 1781-82 और प्रत्येक चरण का कारण भी अलग-अलग था। 

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551. 1772 ई. में हुए पहाड़िया विद्रोह का निम्न में से कौन-सा कारण सही है।

  1. यह विद्रोह तब प्रारंभ हुआ जब पहाड़िया जनजाति के प्रधान की हत्या मानसबदारों ने कर दी। 
  2. इस विद्रोह का मूल कारण अंग्रेजों द्वारा पहाड़िया जनजाति की भूमि को दामिन-ए-कोह का नाम देकर सरकारी संपत्ति घोषित किया जाना था।
  3. वर्ष 1770 में भीषण अकाल पड़ा भीषण अकाल ने पहाड़िया आदिवासियों को विद्रोही बना दिया।
  4. a और c दोनों।

उत्तर- 4

व्याख्या – वर्ष 1770 मे भीषण अकाल पड़ा। भीषण अकाल ने पहाड़ियां आदिवासियों को विद्रोही बना दिया। लेकिन तात्कालिक कारण पहाड़िया जनजाति के प्रधान की हत्या मनसबदारों ने कर दी, जिसके कारण पहाड़िया जनजाति भड़क उठी।

552. पहाड़िया के प्रधान की हत्या के साथ ही पहाड़िया विद्रोह का आरंभ 1772 ई. में हुआ, जिसमें अनेक पहाड़िया नेता शहीद हो गए निम्न में ये कौन है?

  1. सूर्य चंगरू सावरिया
  2. पाचगें डोम्बा
  3. करिया पुलहर
  4. इनमें सभी

उत्तर- 4

व्याख्या – 1772 ई. के पहाड़िया विद्रोह में सूर्य चंगरू सावरिया, पाचगे डोम्बा, एवं करिया पुलहर आदि शहीद हुए। यह विद्रोह तब समाप्त हुआ जब ने सनकारा के महाराजा सुमेर सिंह की हत्या कर दी।

553. पहाड़िया विद्रोह के दूसरे चरण की शुरूआत 1778 ई. में हुई। इस विद्रोह के बारे में कौन-सा कथन सत्य है।

  1. कंपनी सरकार ने दमन के लिए ऑगस्टन क्लिवलैण्ड को भेजा था।
  2. इस आंदोलन का नेतृत्व जगन्नाथ देव ने किया था।
  3. दोनों सही है।
  4. इनमें से कोई नहीं।

उत्तर – 3

व्याख्या – ऑगस्टन क्लिक्लैण्ड ने 1778 में अपनी 9 महीने के भीतर ही 47 पहाड़िया सरदारों को अधीनता स्वीकार कराई लेकिन जगन्नाथ देव ने इसे कंपनी की साजिश बताया और फिर से विद्रोह जगन्नाथ देव के नेतृत्व में भड़क उठा।

554. सन् 1782-84 में हुए पहाड़िया विद्रोह का कौन-सा कारण सही है। 

  1. यह विद्रोह तब प्रारंभ हुआ जब पहाड़िया जनजाति के प्रधान की हत्या मनसबदारों ने कर दी। 
  2. वर्ष 1770 में भीषण अकाल पड़ा। भीषण अकाल ने पहाड़िया आदिवासियों को विद्रोही बना दिया। 
  3. इस विद्रोह का मूल कारण अंग्रेजों द्वारा पहाड़िया जनजातियों की भूमि को ‘दामिन-ए कोह’ का नाम देकर सरकारी संपत्ति घोषित किया जाना था।
  4. इनमें से सभी सही है।

उत्तर- 3

व्याख्या- 1782-1784 ई. में हुए पहाड़िया विद्रोह का मूल कारण अंग्रेजों द्वारा पहाड़िया जनजातियों की भूमि को ‘दामिन-ए-कोह’ के नाम देकर सरकारी संपत्ति घोषित किया जाना था।

555. वर्ष 1782-84 में हुए पहाड़िया विद्रोह के चौथे चरण के विषय में क्या सही है।

  1. पहाड़िया सरदारों का नेतृत्व रानी सर्वेश्वरी ने की।
  2. कंपनी सरकार ने दमनकर्ता के रूप में क्लिवलैंड को नियुक्त किया 
  3. दुर्भाग्यवश रानी सर्वेश्वरी को इसमें सफलता नहीं मिली।
  4. इनमें से सभी

उत्तर – 4

व्याख्या – पहाड़िया विद्रोह के चौथे चरण का नेतृत्व संथाल परगना के सुल्तानाबाद (महेशपुर राज्य) की रानी सर्वेश्वरी ने कंपनी शासन के विरूद्ध विद्रोह किया, जिसमें उन्हें कोई सफलता प्राप्त नहीं हुआ।

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556. अपना आखरी समय रानी सर्वेश्वरी ने कहाँ बिताया ?

  1. संथाल परगना 
  2. भागलपुर जेल
  3. राँची जेल
  4. देवघर जेल

उत्तर- 2

व्याख्या – भागलपुर के जिलाधीश क्लिक्लैण्ड के सुझाव पर सरकार ने रानी सर्वेश्वरी की जमींदारी छीन ली। रानी सर्वेश्वरी अपनी आखरी समय भागलपुर जेल में बितायी, जहाँ 6 मई, 1807 ई. को उनकी मृत्यु हो गई।

  • तमाड़ विद्रोह

557.  तमाड़ विद्रोह का मुख्य केन्द्र निम्न में से कौन से स्थान पर था ?

  1. छोटानागपुर 
  2. संथाल परगना
  3. a और b दोनो
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 1

व्याख्या – तमाड़ विद्रोह का मुख्य केन्द्र छोटानागपुर के तमाड़ क्षेत्र में था।

558. तमाड़ विद्रोह में कौन-सी जनजाति ने भाग लिया था ?

  1. सथाल
  2. उरॉव
  3. मुण्डा
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर – 3

व्याख्या – तमाड़ विद्रोह का मुख्य केन्द्र छोटानागपुर के तमाड़ में था और इस विद्रोह में मुण्डा जनजाति ने भाग लिया था।

559. सन् 1782 में तमाड़ विद्रोह का आरंभ हुआ था। विद्रोह के संबंध में कौन-सा कारण सही है?

  1. कंपनी की नीतियों ने बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी
  2. नागवशी शासकों के अत्याचारों और शोषण के कारण लोग घुटन महसूस कर रहे थे
  3. a और b दोनो
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 3

व्याख्या – 1782 में तामड़ विद्रोह का मुख्य कारण कंपनी की नीतियों ने यहाँ बाहरी लोगों को आने और उनके सुख-सुविधा सम्पन्न होने का मार्ग प्रशस्त किया। दूसरी ओर वे छोटानागपुर खास के नागवंशी शासकों के अत्याचार और शोषण के कारण घुटन महसूस कर रहे थे।

560. सन् 1782 के तमाड़ विद्रोह को दबाने के लिए सन् 1783 ई. में कंपनी सरकार ने निम्न में से किसे भेजा था।

  1. कैप्टेन होगन
  2. मेजर जेम्स क्रॉफर्ड
  3. लेफ्टिनेंट कुपर
  4. कैप्टेन बी.बेन

उत्तर- 2

व्याख्या – कंपनी सरकार ने विद्रोह को दबाने के लिए मेजर जेम्स क्रॉफर्ड को भेजा और मेजर जेम्स क्रॉफर्ड को नागवंशी शासकों का भी समर्थन मिला, जिससे विद्रोह शांत हो गया।

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561. सन् 1782 में तमाड़ विद्रोह के समय नागवंशी राजा कौन था?

  1. ऐनी शाह
  2. दुर्जन शाह
  3. प्रताप कर्ण
  4. दर्पनाथ शाह

उत्तर- 4

व्याख्या – सन् 1782 ई. में जिस समय तमाद विद्रोह चल रहा था उस समय नागवंशी राजा दर्पनाथ शाह था।

562. तमाड़ विद्रोह के दूसरे चरण के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है? 

  1. तमाड़ विद्रोह के दूसरे चरण की शुरूआत 1789 ई में हुई।
  2. इस चरण के नेतृत्वकर्ता विष्णु मानकी एवं भोलानाथ सिंह थे।
  3. कैप्टेन होगन को विद्रोहियों को दबाने के लिए भेजा गया लेकिन वह असफल रहा। 
  4. लेफ्टिनेट कुपर विद्रोह को दबाने में सफल रहा था।

उत्तर- 3

व्याख्या – तमाड़ विद्रोह के दूसरे चरण की शुरूआत 1789 ई. में हुई। इस चरण के नेतृत्वकर्ता विष्णु मानको एवं भौजी मानकी थे। इस विद्रोह को दबाने के लिए कपनी सरकार ने कैप्टेन होगन को भेजा लेकिन वह विद्रोह को दबाने में असफल रहा। लेफ्टिनेंट कुपर इस विद्रोह को दमन करने में सफल रहा।

563. तमाड़ विद्रोह के तीसरे चरण की शुरूआत कब हुई ?

  1. 1789 
  2. 1794
  3. 1796
  4. 1783

उत्तर- 2

व्याख्या – तमाड़ विद्रोह के तीसरे चरण की शुरूआत सन् 1794 ई में हुई थी जिसे दबाना अंग्रेजो को मुश्किल हो गया था।

564. तमाड़ विद्रोह के तीसरे चरण की शुरूआत 1794 में हुई थी। इस विद्रोह को दबाने में कहाँ के राजा ने अंग्रेजों को मदद की थी?

  1. नागवंशी शासक
  2. राहे के राजा
  3. सोनाहातू के राजा
  4. रामगढ़ राजा

उत्तर- 2

व्याख्या- नवम्बर 1794 ई में तमाड़ विद्रोह के तीसरे चरण का प्रारंभ हुआ, जिसे दबाना अंग्रेजों को मुश्किल हो गया था, तब 1796 में ‘राहे’ के राजा नरेन्द्र शाही ने अंग्रेजों का साथ दिया था।

565. निम्नलिखित में से कौन तमाड़ विद्रोह के तीसरे चरण के नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरे-

  1. भोलानाथ सिंह
  2. ठाकुर विश्वनाथ सिंह
  3. ठाकुर हीरानाथ सिंह
  4. इनमें से सभी

उत्तर – 4

व्याख्या- तमाड़ विद्रोह के तीसरे चरण का प्रारंभ 1794 में हुआ लेकिन 1796 में पूर्ण रूप से व्यापक रूप ले लिया। इसका नेतृत्व तमाड़ के भोलनाथ सिंह, सिल्ली के ठाकुर विश्वनाथ सिंह, विशुनपुर के ठाकुर हीरानाथ सिंह, बुण्डू के ठाकुर शिवनाथ सिंह और आदिवासी नेता रामशाही मुण्डा एवं उसका भतीजा आदि विद्रोहियों ने किया विद्रोहियों में सबसे शक्तिशाली भोलानाथ सिंह को गिरफ्तार होते ही यह विद्रोह समाप्त हो गया।

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566. निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कथन तीसरे चरण के तमाड़ विद्रोह के संबंध में सही है। 

  1. कैप्टेन बी. बेन तथा कैप्टेन लिमण्ड तमाड़ के प्रमुख विद्रोही नेताओं को पकड़ने में सफल रहा।
  2. 1796 में विद्रोह व्यापक रूप ले लिया था। 
  3. यह विद्रोह पूर्ण रूप से 1798 ई. में समाप्त हो गया।
  4. सभी कथन सत्य है।

उत्तर- 4

व्याख्या – तमाड़ विद्रोह के तीसरे चरण के संबंध में उपरोक्त सभी कथन सही है।

567. तमाड़ विद्रोह के चौथे चरण की शुरूआत कब हुई ?

  1. 1796
  2. 1794
  3. 1798
  4. 1807

उत्तर- 4

व्याख्या – तमाड़ विद्रोह के चौथे चरण की शुरूआत 1807 ई. में हुई। दुखन शाही मुण्डा के नेतृत्व में 5000 मुण्डाओं ने विद्रोह किया और जब 1808 ई. में दुखन शाही मुण्डा गिरफ्तार हो गये तब विद्रोह मंद पड़ गया।

568. तमाड़ विद्रोह के चौथे चरण का दमन किस अंग्रेज अधिकारी ने किया ?

  1. कैप्टेन रफसेज
  2. कैप्टेन लिमण्ड
  3. कैप्टेन बी. बेन
  4. कैप्टेन होगन

उत्तर- 1

व्याख्या- तमाड़ विद्रोह के चौथे चरण का दमन कैप्टेन रफसेज ने किया।

569. तमाड़ विद्रोह के पांचवे चरण की शुरूआत 1810 ई. में हुई इसके संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है। 

  1. इस विद्रोह का केन्द्र तमाड़ था
  2. इसका नेतृत्व बख्तर शाह ने किया
  3. इस समय नागवंश पर गोविन्द नाथ शाह का शासन था
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 1

व्याख्या- तमाड़ विद्रोह के पांचवे चरण की शुरूआत 1810 ई. में बख्तर शाह के नेतृत्व में किया गया, इसका मुख्य केन्द्र नावागढ़ था। इस समय नागवंश पर गोविन्द नाथ शाह का शासन था।

570. तमाड़ विद्रोह के पांचवे चरण में किसके शिकायत पर कंपनी सरकार ने लेफ्टिनेंट एम. ओडोनेल को विद्रोह के दमन के लिए भेजा।

  1. कैप्टेन रफसीज
  2. नागवंशी शासक गोविन्द शाह
  3. मेजर मेकडोनाल्ड
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 2

व्याख्या- जब 1810 में तमाड़ विद्रोह फिर से भड़क उठा तो विद्रोह को दबाने के लिए छोटानागपुर खास के नागवंशी शासक गोविन्द नाथ शाह की शिकायत पर कपंनी सरकार ने लेफ्टिनेंट एम. ओडोनेल को विद्रोह के दमन के लिए भेजा था।

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571. तमाड़ विद्रोह के अंतिम (छठे) चरण की शुरूआत कब हुई ?

  1. 1807
  2. 1798
  3. 1810
  4. 1819

उत्तर- 4

व्याख्या – तमाड़ विद्रोह के अंतिम चरण की शुरूआत 1819 ई. में हुई। इस विद्रोह के प्रमुख नेता दौलत राम मुण्डा, शंकर मानकी, मदरा मुण्डा, टेपा मानकी, मुलकारी मुण्डा, रतनु मानकी, रूची राय मुण्डा, गानी राय मुण्डा इत्यादि थे। 

572. तमाड़ विद्रोह का अंतिम चरण (1819) का दमन निम्न में से किसने किया।

  1. ई रफसेज
  2. ए. जे. कोलविन
  3. गोविन्द शाही
  4. ये सभी

उत्तर- 4

व्याख्या- जब विद्रोह 1819 में प्रारंभ हुई तो यह चिंगारी आग की तरह फैल गया तब छोटानागपुर खास के राजा गोविन्द शाह भयभीत हुआ और विद्रोह को दबाने के लिए ई रफसेज से तत्काल सहायता की मांग की तब ई. रफसेज ने ए.जे.कोलविन के साथ मिलकर विद्रोहियों का दमन किया। लेकिन पुरी तरह यह विद्रोह 1820 में रूदन मुण्डा एवं मार्च 1821 में कुंटा मुण्डा के पकड़े जाने पर विद्रोह का अंत हो गया।

  • तिलका आंदोलन

573. तिलका आंदोलन का आरंभ कब हुआ ?

  1. 1784
  2. 1794
  3. 1796
  4. 1807

उत्तर-1

व्याख्या- तिलका आंदोलन का प्रारंभ तिलका मांझी के नेतृत्व में सन् 1784 में हुआ था।

574. सन् 1784 में तिलका विद्रोह का आरंभ हुआ था विद्रोह के संबंध में कौन-सा कारण सही है।

  1. अपनी जमीन पर अधिकार के लिए
  2. पहाड़ियों को अधिक सुविधा देकर फूट डालने वाली नीति के विरोध में था 
  3. क्लिवलैंड के विरोध में था
  4. इनमें से सभी सही है।

उत्तर- 4

व्याख्या – तिलका आंदोलन का प्रारंभ सन् 1784 में तिलका मांझी के नेतृत्व में हुआ। यह आंदोलन अपनी जमीन पर अधिकार के लिए, पहाड़ियों को अधिक सुविधा देकर फूट डालने वाली नीति के विरोध में तथा क्लिवलैंड के दमन के विरोध में था।

575. तिलका आंदोलन के संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन गलत है? 

  1. तिलका आंदोलन के नेतृत्वकर्ता तिलका मांझी उर्फ जाबरा पहाड़िया थे।
  2. तिलका ने भागलपुर के पास ‘तिलका मांझी चौक’ नामक स्थान में अंग्रेजो का विरोध आरंभ किया।
  3. तिलका ने साल के पत्ता के माध्यम से घर-घर संदेश भेजा और संथालों को संगठित किया।
  4. तिलका ने ताड़ के पेड़ पर से रास्ते में गुजरते क्लिवलैंड को तीर से मार गिराया।

उत्तर- 2

व्याख्या- तिलका ने भागलपुर के पास वनचरीजोर नामक स्थान से अंग्रेजों का विरोध आरंभ किया। बाकी सभी कथन सत्य है।

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576. तिलका आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन गलत है। 

  1. कंपनी सरकार ने अंग्रेजी सेना की मदद के लिए आयरकूट को भेजा था।
  2. इस आंदोलन में पहाड़िया सरदारों ने अंग्रेजी सेना की मदद की
  3. तिलका मांझी भाग कर भागलपुर के पहाड़ियों में जा छिपे थे।
  4. इनमें से सभी कथन सत्य है।

उत्तर- 3

व्याख्या- तिलका द्वारा क्लिवलैण्ड को मार गिराये जाने के बाद अंग्रेजी सेना के मदद के लिए आयरकूट को भेजा गया। आयरकूट ने पहाड़िया सरदार जौराह के साथ मिलकर तिलका माझी के अनुयायियों पर हमला बोल दिया, जिससे तिलका मांझी सुल्तानगंज की पहाड़ियों में जा छिपे।

577. तिलका विद्रोह की महत्वपूर्ण बात थी।

  1. आपसी एकता बनाये रखने पर बल 
  2. लोगों की स्वाधीनता के प्रति जागरूकता
  3. विद्रोह में सभी वर्ग (महिला व पुरूष) की पूर्ण भागीदारी
  4. इनमें से सभी सही है।

उत्तर- 4

व्याख्या – तिलका मांझी ने इस आंदोलन का नेतृत्व में कई बातों पर विशेष ध्यान दिया,जिससे आंदोलन अपने चरण पर पहुंच सकी। उसने आपसी एकता बनाये रखने पर बल दिया। उन्होंने लोगों को स्वाधीनता के प्रति जागरूकता के लिए साल के पत्ता के माध्यम से जानकारी पहुंचायी और इन्होंने सभी वर्ग की पूर्ण भागीदारी पर विशेष बल दिया।

578. भारतीय स्वाधीनता संग्राम के पहले विद्रोही शहीद कौन थे?

  1. मंगल पांडे
  2. तिलका मांझी
  3. भागीरथ मांझी
  4. बिरसा मुण्डा

उत्तर – 2

व्याख्या- 1857 के विद्रोह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला विद्रोह माना जाता है और मंगल पांडे को प्रथम क्रांतिकारी थे। लेकिन वास्तव में 1857 की क्रांति से लगभग 80 साल पहले बिहार के जंगलों में अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ जंग छिड़ चुकी थी। इस जंग की चिंगारी फूंकी थी एक आदिवासी नायक, तिलका मांझी ने जो असल मायनों में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले क्रांतिकारी थे।

579. तिलका मांझी को किस वृक्ष पर लटकाकर फांसी दी गयी थी?

  1. बरगद
  2. कदम
  3. पीपल
  4. आम

उत्तर- 1

व्याख्या-  सन् 1785 ई. में तिलका मांझी को सुल्तानगंज की पहाड़ियों से गिरफ्तार कर घोड़ों द्वारा घसीटते हुए भागलपुर लाया गया, जहां उन्हें बरगद के पेड़ से लटका कर फांसी दे दी गई। वह स्थान आज ‘बाबा तिलका मांझी चौक’ के नाम से जाना जाता है।

580. तिलका मांझी को पकड़वाने में किस पहाड़िया सरदार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ?

  1. रमना पहाड़ी
  2. जौराह पहाड़िया
  3. गोपी पहाड़िया
  4. विष्णु मानकी

उत्तर- 2

व्याख्या – तिलका मांझी को पकड़वाने में पहाड़िया सरदार जौराह पहाड़िया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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581. निम्न में से किस विद्रोह का स्वरूप गुरिल्ला युद्ध था ?

  1. तमाड़ विद्रोह
  2. तिलका विद्रोह
  3. घटवाल विद्रोह
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 2

व्याख्या – सन् 1785 ई. में तिलका मांझी को सुल्तानगंज की पहाड़ियों से गिरफ्तार कर घोड़ों द्वारा घसीटते हुए भागलपुर लाया गया, जहां उन्हें बरगद के पेड़ से लटका कर फासी दे दी गई। वह स्थान आज :बाबा तिलका माझी चौक’ के नाम से जाना जाता है। तिलका माझी गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) करने में बड़े कुशल थे।

582. तिलका मांझी के नाम पर किस विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है?

  1. भागलपुर विश्वविद्यालय
  2. राँची विश्वविद्यालय
  3. कोल्हान विश्वविद्यालय
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 1

व्याख्या – तिलका माझी विश्वविद्यालय बिहार के भागलपुर में स्थित है। इसका नामकरण प्रसिद्ध क्रांतिकारी तिलका मांझी के नाम पर किया गया है। इसकी स्थापना 12 जुलाई 1960 को की गयी थी।

  • चेरो आंदोलन (1800-1819 ई.)

583. चेरो आंदोलन आरंभ कब हुआ ?

  1. 1754-1778
  2. 1754-1798
  3. 1800-1802
  4. 1798-1800

उत्तर – 3

व्याख्या – प्रश्न संख्या 69 की व्याख्या देखे। 

584. चेरो आंदोलन का आरंभ किसके नेतृत्व में हुआ ?

  1. भूषण सिंह
  2. चूड़ामन राय
  3. चित्रजित राय
  4. भोलानाथ सिंह

उत्तर- 1

व्याख्या – पलामू के अंतिम शासक चुडामन राय ने जब अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार की तब पलामू में कंपनी की सेना रहने लगी इसलिए राजा को जागीरदारों की सेना की सेवा की जरूरत न थी । राजा की इस नीति के कारण चेरों लोगों की बहुत सी जागीरें उनके हाथ से निकल गई और इसी नीति के खिलाफ चेरो के भूषण सिंह के नेतृत्व में 1800 ई. में आंदोलन छेड़ दिया। जिसे ‘चेरो आदोलन’ की संज्ञा दी गई।

585. निम्न कथनों में से कौन-सा कथन चेरो आंदोलन के संबंध में सही नहीं है? 

  1. कंपनी सरकार ने इस आंदोलन को दबाने के लिए ‘कर्नल जोन्स’ को भेजा था।
  2. यह आंदोलन भुखन सिंह को पकड़े जाने के बाद समाप्त हो गया। 
  3. इस आंदोलन का नेतृत्वकर्ता भूखन सिंह को 1804 में फांसी दे दिया गया।
  4. इनमें से सभी सही है।

उत्तर- 3

व्याख्या – पलामू के अंतिम शासक चुडामन राय ने जब अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार की तब पलामू में कंपनी की सेना रहने लगी इसलिए राजा को जागीरदारों की सेना की सेवा की को जरूरत न थी। राजा की इस नीति के कारण चेरों लोगों की बहुत सी जागीरें उनके हाथ से निकल गई और इसी नीति के खिलाफ चेरो के भुखन सिंह के नेतृत्व में 1800 ई.में आंदोलन छिड़ गया। लेकिन पकड़े जाने के बाद 1802 में उन्हें फांसी दे दिया गया।

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586. जब वर्ष 1817 ई. में चेरो आंदोलन भड़क उठा तब इसका निम्न में कौन-सा कथन असत्य है?

  1. पलामू के राजा चुडामन राय के राज्य घनश्याम सिंह के हाथों नीलाम करने में चेरो के आत्म सम्मान में ठेस पहुंची।
  2. बढ़े हुए राजस्व की पूर्ति के लिए नये राजा घनश्याम सिंह ने जागीरदारों की जागीरें बेचनी शुरू कर दी। 
  3. कंपनी सरकार ने ‘कर्नल जोंस’ को विद्रोह को दबाने के लिए भेजा था।
  4. इनमें से सभी कथन सत्य है।

उत्तर- 3

व्याख्या – वर्ष 1817 ई. में हुए चेरों आंदोलन को दबाने के लिए कंपनी सरकार ने ‘रफसेज’ के नेतृत्व में कई जागीरदारों को बंदी बना लिया तब विद्रोह शांत हुआ।

587. सन् 1817 में हुए चेरो विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था?

  1. रामबख्श सिंह
  2. शिव प्रसाद सिंह
  3. भूषण सिंह
  4. a और b दोनों

उत्तर – 4

व्याख्या – वर्ष 1817 के चेरो विद्रोह (जन विद्रोह) का नेतृत्व चैनपुर के ठकुराई (सामंत) राम बख्श सिंह और रंका के शिव प्रसाद सिंह ने किया। 

588. किस वर्ष ईस्ट इंडिया कंपनी को पलामू को अपने सीधे शासन में लेना पड़ा?

  1. 1817
  2. 1818
  3. 1819
  4. 1820

उत्तर- 3

व्याख्या- 1817 का चेरो आंदोलन इतना उग्र था कि इसके नेतृत्वकर्ता राम बख्श सिंह और शिव प्रसाद सिंह को फाँसी देने के बावजूद विद्रोह थम नहीं रहा था। मजबूर होकर 1819 ई में ईस्ट इंडिया कंपनी को पलामू को अपने सीधे शासन में लेना पड़ा।

  • हो विद्रोह (1800-1821 ई.)

589. हो लोगों के निवास स्थल को किस नाम से जाना जाता है?

  1. हो देशम
  2. कोल्हान
  3. हो जाति का देश
  4. इनमें से सभी

उत्तर- 4

व्याख्या – हो लोगों का निवास स्थल ‘हो देशम’ (हो जाति का देश) या कोल्हान (कोल स्थान) के नाम से जाना जाता है।

590. निम्न में से कौन-सी झारखण्ड की जनजाति कंपनी काल में ‘लड़ाका कोल’ के नाम से प्रसिद्ध थी? 

  1. कोल
  2. संथाल
  3. हो 
  4. भोगता

उत्तर– 3

व्याख्या – हो देशम पर मुगलों या मराठों का कभी अधिकार नहीं रहा था यद्यपि पोरहाट के सिंह राजाओं का इन पर प्रभाव था लेकिन वे सिंह वंश के समकक्ष थे न की अधीनस्थ। दीर्घकाल तक मुक्त रहने के फलस्वरूप हो स्वतंत्रता प्रेमी एवं लड़ाकू स्वभाव के हो गये थे। इसी कारण कंपनी काल में ये ‘लड़का कोल’ के नाम से प्रसिद्ध थे।

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591. ‘हो’ विद्रोह निम्न में से झारखण्ड के किस स्थान पर हुआ था ?

  1. सिंहभूम
  2. पलामू
  3. संथाल परगना
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 1

व्याख्या – ‘हो’ विद्रोह झारखण्ड के सिंहभूम क्षेत्र में हुआ था।

592. वर्ष 1820 में कंपनी की सैनिक मेजर रफसेज के नेतृत्व में ‘हो लोगों’ से किस नदी के तट पर मुठभेड़ हुआ था, जिसमें अंग्रेज विजयी हुए।

  1. कांची नदी
  2. रोरो नदी
  3. संजय नदी
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर – 2

व्याख्या – सिंहभूम के राजा के आग्रह पर वर्ष 1820 में मेजर रफसेज एक सेना के साथ ‘हो देशम’ में प्रविष्ट हुआ। चाईबासा के निकट रोरो नदी के तट पर ‘हो’ लोगों से हुई लड़ाई में अंग्रेज विजयी हुए।

593. ‘हो लोगों’ के उपद्रव को दबाने के लिए पोरहाट राजा को पुनः रफसेज से सहायता याचना करनी पड़ी तब कब कर्नल रिचर्ड के नेतृत्व में एक बड़ी सेना हो लोगों के विरूद्ध भेजी गई ?

  1. 1820
  2. 1821
  3. 1819
  4. 1822

उत्तर- 2

व्याख्या – दक्षिण कोल्हान के ‘हो’ लोगों ने अंग्रेजों से विरोध करना जारी रखा और उपद्रव मचाते रहे। इन गतिविधियों को देखते हुए पोरहाट राजा को पुन: रफसेज से सहायता की याचना करनी पड़ी। परिणामस्वरूप 1821 ई. में कर्नल रिचर्ड के नेतृत्व में एक बड़ी सेना हो लोगों के विरूद्ध भेजी गई।

594. हो लोगों ने जब कंपनी की अधीनता स्वीकार कर ली और वफादार बने रहने का आश्वासन दिया तो पहले पांच वर्षों तक कितना रुपया कर देना स्वीकार किया।

  1. 8 आना
  2. 50 पैसा 
  3. 1 रुपया
  4. सभी

उत्तर- 4

व्याख्या – ‘हो’ लोग जब अंग्रेजों का सामना नहीं कर पाये तो कुल पांच संधि किए।

1.’हो’ लोगों ने कंपनी की अधीनता स्वीकार कर ली।

2. ‘हो’ लोगो ने अपने राजाओं-जमींदारों को पांच वर्षों तक 8 आना (50 पैसा) प्रति हल और उसके बाद एक रुपया प्रति हल सालाना देना स्वीकार किया।

3.’हो: लोगों ने कोल्हान के मार्गों को यात्रियों के लिए खुला एवं सुरक्षित रखने का वचन दिया।

4.’हो’ लोगों ने सभी जातियों के लोगों को अपने गांव में बसने की अनुमति दी।

5. “हो लोगों ने उत्पीड़ित किये जाने पर हथियार उठाने के बजाय सरकार से फरियाद करने का वचन दिया।

595. वर्ष 1820-21 ई. में मेजर रफसेज तथा 1837 ई. में कैप्टेन विलकिंसन के नेतृत्व में निम्न में से किस विद्रोह को दबा दिया गया ?

  1. तमाड़ विद्रोह 
  2. भूमिज विद्रोह
  3. हो विद्रोह
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 3

व्याख्या – वर्ष 1820-1821 के हो विद्रोह का दमन मेजर रफसेज कर्नल रिचर्ड की सहायता से कुछ हद तक शांत करने सफल हुए लेकिन विद्रोह समय-समय पर उठता गया अंतत दक्षिण-पश्चिम सीमांत एजेंसी के गवर्नर जेनरल के एजेंट मेजर टी.एस.विलकिन्सन की सलाह पर 1836 ई. के अंत में एक ब्रिटिश फौज कर्नल रिचर्ड के नेतृत्व में कोल्हान में प्रविष्ट हुआ। चार महीने के संघर्ष के बाद फरवरी 1837 ई. में हो लोगों ने आत्म- समर्पण किया।

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596. पूर्ण रूप से ‘हो देशम’ पर कंपनी सरकार का नियंत्रण कब स्थापित हो सका।

  1. 1765
  2. 1857
  3. 1837
  4. 1836

उत्तर- 3

व्याख्या- 1765 ई. में कंपनी को दीवानी मिलने के 72 वर्ष बाद 1837 ई. में ‘हो’ देशम पर कंपनी सरकार का नियंत्रण स्थापित हो सका।

  • कोल विद्रोह (1831-1832 ई.)

597. झारखण्ड का पहला सुसंगठित और व्यापक जनजातीय विद्रोह कौन-सा था ? 

  1. तमाड़ विद्रोह
  2. बिरसा आंदोलन
  3. तिलका आंदोलन
  4. कोल विद्रोह

उत्तर- 4

व्याख्या – झारखण्ड में हुए जनजातीय विद्रोहों में कोल विद्रोह का विशिष्ट स्थान है, क्योंकि यह झारखण्ड का पहला सुसंगठित और व्यापक जनजातीय विद्रोह था।

598. झारखण्ड का कोल विद्रोह में किन-किन जनजातियों ने भाग लिया था?

  1. कोल
  2. मुण्डा
  3. हो
  4. b और c दोनों

उत्तर- 4

व्याख्या – झारखण्ड का कोल विद्रोह मुण्डाओं का विद्रोह था, जिसमें ‘हो’ उनके दाहिने हाथ बनकर विद्रोह में शामिल हुए।

599. झारखण्ड में कोल विद्रोह का प्रारंभ कब हुआ ?

  1. 1820-21
  2. 1800-1805
  3. 1831-1832
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 3

व्याख्या – कोल विद्रोह झारखण्ड का पहला सुसंगठित और व्यापक जनविद्रोह था जिसकी शुरूआत 1831-32 में मुण्डाओं के नेतृत्व में हुआ।

600. झारखण्ड का ऐसा कौन-सा क्षेत्र था, जो कोल विद्रोह से हमेशा अछूता रहा ?

  1. प. सिंहभूम
  2. पलामू
  3. हजारीबाग
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 3

व्याख्या – कोल विद्रोह में छोटानागपुर खास, पलामू, सिंहभूम व मानभूम के कुछ जनजातियों ने भाग लिया सिर्फ हजारीबाग एक ऐसा क्षेत्र था जो इस विद्रोह से अछूता रहा।

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